बागेश्वर… नियति : सूने गांव, बंजर खेत, दरवाजों पर ताले, लोगों की तरह चुनाव से भी गायब है पलायन

विजय कार्की
बागेश्वर।
2022 विधानसभा की रणभूमि सज चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप के साथ बढ़े-बढ़े दावों का दौर चल रहा है, लेकिन राजनैतिक दलों के रण दुदुंभियों के बीच पलायन, आपदा जैसे स्थानीय गंभीर मुद्दे खो गए से लगते हैं।

कुमाऊं की काशी कहा जाने वाले बागेश्वर जिला पलायन की जबरदस्त मार झेल रहा है। रोजगार व सुविधाओं के अभाव के कारण लोग अपने घरों, अपनी मिट्टी और अपनों से दूर हो रहे हैं। पलायन ने अंदर ही अंदर पहाड़ को खोखला कर दिया है ।

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दूर से उसकी खूबसूरती तो सबको दिखाई देती है लेकिन यह खोखलापन वही महसूस कर सकता है जिसके बुजुर्गों की अर्थी को कंधा देने वाले चार लोग पूरे गांव में नहीं मिल पाते। बागेश्वर के गांवों से भी जवां परिंदे दाना पानी की तलाश में दूर दिशा में उड़ गए हैं । बिन लाठी के लड़खड़ाता बुढ़ापा रह गया है ।

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सेवानिवृत शिक्षक भगवत सिंह नगरकोटी बताते हैं कि पहाड़ों के लिए किसी की सरकार और किसी भी दल ने कुछ नहीं किया। बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाले नेता खुद ही पलायन कर गये, तो फिर किसी और के लिए क्या कहा जा सकता है।जिले की इस मूल समस्या पलायन पर राजनीतिक दलों के बीच कोई चर्चा नहीं हो रही है।

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पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे को मात देने में जुटा है पर कोई भी दल पलायन बन चुके स्थायी समस्या के समाधान का जिक्र नहीं कर रहा है। प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले दिलीप सिंह खेतवाल कहते हैं कि राज्य बनने से पहले विद्यालयों में शिक्षकों की कमी थी , आज भी वही हालत है। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं थे आज भी नहीं है। कुछ नहीं बदला है यहां…। प्राकृतिक आपदाओं ने पहाड़ को तहस-नहस कर दिया है। लोग मैदानी इलाक़ों में जाने की होड़ में लगे हैं। पहाड़ से बाहर की दुनिया में जिस पलायन पर बड़ी-बड़ी बहस होती हैं, उसे यहां के लोग अपनी नियति मान चुके हैं और चुनाव में भी ये कोई मुद्दा बनता हुआ नहीं दिख रहा है।

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विगत दिनों कांडा महोत्सव में पहुंचे प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि पलायन पर सरकार द्वारा काफ़ी काम किया जा रहा है जिसके सुखद नतीजे आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। लेकिन फिलहाल नीचे दिए गए आंकड़े आखों के नम करने के लिए काफी हैं।

बागेश्वर जिले में पलायन

जनसंख्या- 2,59,898
पुरुष- 1,24,326
महिलाएं- 1,35,572
-346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 ने अस्थायी रूप से पलायन किया
-195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों ने पूर्णरूप से पलायन किया।

(सभी आकंडे पलायन आयोग की रिपोर्ट पर आधारित)

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