अल्मोड़ा…बंदर पकड़कर आसपास छोड़ने के आरोप पर बोला वन विभाग— शिकायतकर्ता संजय पांडे साक्ष्य उपलब्ध कराएं

अल्मोड़ा। सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार पाण्डे द्वारा जिलाधिकारी को भेजी गई क्षेत्र में बंदरों की समस्या वन विभाग के लिए नाक का सवाल बन गई है। वन विभाग ने अब शिकायतकर्ता पांडे से ही उस संबंध में साक्ष्य मांगे हैं, जिसमें कहा गया था कि वन विभाग बंदरों को शहरी इलाकों से पकड़ कर नजदीक पहाड़ी क्षेत्रों में छोड़ देता है।

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वन विभाग का कहना है कि नगर क्षेत्र में बन्दरों को पकड़ने की जिम्मेदारी नगरपालिका परिषद की है तथा विभाग स्तर पर आतंकित क्षेत्र के बंदरों को बजट की उपलब्धता के आधार पर पकड़कर दूरस्थ जंगलों में छोड़ा जाता है। इसके अतिरिक्त मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण नियमावली के सुसंगत नियमों के अनुसार बंदरों के काटे जाने पर मुआवजा प्रदान किये जाने का कोई प्राविधान नहीं है।

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वन विभाग का कहना है कि इसके अतिरिक्त कतिपय ग्रामवासियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा जनपद के बाहर दूरस्थ क्षेत्रों से बंदरों को पकड़ने के उपरान्त वाहनों में भरकर अल्मोडा जनपद में छोड़ने सम्बन्धी शिकायतें प्राप्त होती रही हैं। इन प्राप्त शिकायतों का संज्ञान लेकर अधिकारियों ने वन क्षेत्राधिकारियों व फील्ड स्टाफ को मौखिक व फील्ड भ्रमण के दौरान स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि वन चौकियों पर तैनात कर्मचारी संदिग्ध वाहनों की अनिवार्य रूप से जाँच करें किन्तु इस प्रकार का कोई मामला प्रकाश में नहीं आया।

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इस सम्बन्ध में पूर्व में अध्यक्ष- नगपालिका परिषद, अल्मोड़ा द्वारा भी पत्र के माध्यम से बंदरों को अल्मोड़ा में छोड़े जाने की शिकायत प्राप्त हुई थी। इस सम्बन्ध में अध्यक्ष, नगपालिका परिषद, अल्मोड़ा से साक्ष्य उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया गया किन्तु अध्यक्ष, नगपालिका परिषद, अल्मोड़ा के स्तर से कोई साक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं हुए। वन चौकियों के साथ ही पुलिस चौकी पर भी वाहनों की जाँच में पुलिस विभाग का सहयोग प्रदान करने हेतु सम्बन्धितों को लिखा गया है।
इस संबंध में वन विभाग द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार पाण्डे को पत्र लिखकर कहा गया है कि शिकायतकर्ता के पास बंदरों को छोड़ने सम्बन्धी साक्ष्य उपलब्ध हो, तो इस कार्यालय को उपलब्ध कराये जाने का कष्ट करें।

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उधर संजय पांडे ने कहा है कि बंदर को पकड़ने का कार्य वन विभाग का है जबकि वन विभाग द्वारा यह कार्य नगर पालिका पर डाला जा रहा है। बंदरों के आतंक की वजह से गांव से पलायन होता जा रहा है क्योंकि बंदर खेती आदि को नष्ट कर देते हैं। बंदरों द्वारा हाल ही में एक महिला पर हमला किया गया था। जिसके बाद उनका पैर फैक्चर हो गया और करीबन डेढ़ महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई। उन्होने कहा कि इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार है इसके लिए उन्हें लिखित आदेश करने चाहिए। उनका कहना है कि वन विभाग अपने कार्यों से बचने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रश्न उठता है कि जिन बंदरों को पकड़ा जा रहा हैं उन्हें छोड़ा कहां जा रहा है। वन विभाग द्वारा मौखिक आदेश यह दर्शाता है कि विभाग इस मुद्दे के प्रति कितना संवेदनशील है।

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उन्होंने कहा बंदरो से संबंधित समस्याओं के लिए सिविल सोयम डिवीज़न में बन्दरबाड़ा बनाया जाना है पर इसके शिवाय भ्रष्टाचार के और कुछ नहीं होगा। बड़े आश्चर्य की बात है कि वन विभाग प्रशासन केवल पेड़ की शाखा पकड़ रहे है जब की काम जड़ पर होना है,जब तक चौकीयों पर चेकिंग अभियान शुरू नही होगा तब तक इसका स्थायी समाधान प्राप्त नही होगा। इसके लिए शासन को मौखिक नही बल्कि लिखित रूप में आदेश जारी करना चाहिए।

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उन्होंने सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों और जन प्रतिनिधियों से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की अपील की है और उन्होंने कहा की कहीं ऐसा तो नहीं की जिन बंदरों को पकड़ा जा रहा है वापस शहर में ही छोड़ दिया जा रहा है। क्योंकि जिस तरीके से साक्ष्य मांगा जा रहा है वो शासन पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। उन्होंने कहा की अगर मुझे शासन द्वारा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तो मैं अवश्य साक्ष्य उपलब्ध करवाऊंगा।

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