#हल्द्वानी…कही अनकही: आखिर किस कांग्रेसी ने उड़ाई सुमित के भाजपा में जाने की अफवाह, किसकी ओर है उनका इशारा!

हल्द्वानी। मां के निधन के बाद सहानुभूति के सेफ जोन में आते ही सुस्त हो गए सुमित हृदयेश समय पर ही यह समझ गए हैं कि अब उन्हें सेफ जोन के खोल से बाहर निकलना पड़ेगा। वर्ना राजनीतिक मैदान में उनकी अनुपस्थिति को उनके कंपीटीटर हाथों हाथ लेंगे। ऐसा हुआ भी राजनैतिक फलक पर सुमित की यदा कदा उपस्थिति का फायदा उठाकर अफवाह फैला दी गई कि वे भाजपा ज्वाइन करने की सोच रहे हैं। नतीजतन कल उन्हें अपनी सफाई देने के लिए बाकायदा पत्रकारवार्ता बुलानी पड़ी।


अपनी बात कहते हुए सुमित ने यह ते साफ किया ही कि वे भाजपा में नहीं जा रहे हैं। जब पत्रकारों ने कुरेदा तो उन्होंने कहा कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता है जो ऐसी अफवाहे उड़वाते रहते हैं। उन्होंने पत्रकारों को ईशारा भी किया ‘आप लोग जानते तो हैं उनको।’ लेकिन इससे महत्वपूर्ण बात उन्होंने इस वाक्य के बाद हंसते हुए कही…’कुछ अपने भी हो सकते हैं इसके पीछे।’

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अगर वे इस बात को पत्रकारवार्ता के बजाए कहीं और कहते तो मामला कुछ और होता लेकिन राजनेता पत्रकारवार्ता में जो कुछ बोलता है उसके निहितार्थ निकालने के अधिकार मीडिया को है। अब भाजपा के बड़े नेता कौन है यह तो समझ में आता है लेकिन कांग्रेस के अपने कौन हैं तो सुमित के खिलाफ इस तरह की अफवाहें उड़ाने के संदेह के दायरे में आते हैं। हालांकि सुमित ने इसके आगे एक भी शब्द नहीं बोला और पत्रकारों ने उन्हें आगे कुरेदा भी नहीं, इसीलिए उनका इशारा किसकी ओर है यह समझने के लिए हमें अलग अलग घटनाक्रमों को पर पड़ी धुंघ को हटाना होगा। हो सकता है कि यहीं से वह नाम निकल कर सामने आ सके जिसकी ओर सुमित ने इशारा किया है।

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कांग्रेस के ‘माई का लाल’ प्रकरण को तो आप भूले नहीं होंगे। यह कांग्रेस के कुमाऊं मुख्यालय में घटी एक बड़ी घटना थी जिसने खूब चर्चाएं बटोरीं। इस घटना के बाद कुछ नाम निकल कर सामने आए जो अंदर ही अंदर कांग्रेस के टिकट के लिए दावेदारी करने के मूड में हैं। इनमें तीन महिलाएं थी और एक व्यापारी नेता हुकुम सिंह कुंवर… कुंवर तो भरी सभा में ‘और कोई माई का लाल है’ बात सामने आते ही आग बबूला हो गए थे। उन्होंने कहा भी था कि ‘मैं हूं माई का लाल,मैं हूं माई का लाल ‘ उनके अलावा तीन महिला नेत्रियां भी गुस्से में आ गई थीं उस दिन।

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महिला कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री पुष्पा नेगी, शशि वर्मा और प्रदेश सचिव शोभा बिष्ट। शशि ने तो यह भी कहा था कि हल्द्वानी की जनता हर बार महिला प्रत्याशी को चुनाव जिताती रही है इसलिए यहां से महिला को ही टिकट मिलना चाहिए। उन्होंने जोड़ा कि वे 25 सालों से कांग्रेस में हैं। इसलिए ये चारों नेता भी संदेह के घेरे में हैं। ये तो वे नेता है जो अपनी दावेदारी सरेआम घोषित कर चुके हैं। मतीन सिद्दीकी को भी इस मौके पर भूलना ठीक नहीं। इंदिरा के निधन के कुछ ही दिन बाद उन्होंने भी अपनी दावेदारी ठोकी थी।

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लेकिन अभी रूकिए… कांग्रेस में कई ऐसे नेता भी हैं जो टिकट की दावेदारी तो खुल कर नहीं कर रहे हैं लेकिन एक अरसे से लगातार ताबड़तोड़ कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के नेताओं का अचानक सक्रिय होना इशारा करता है कि मौका आने पर वे अपनी दावेदारी ठोकने से पीछे नहीं हटेंगे।

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इनमें से एक हैं पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता दीपक ब्ल्यूटिया और दूसरे छात्र राजनीति से चर्चाओं में रहे कांग्रेसी नेता ललित जोशी। दोनों ही लगातार फील्ड में मेहनत ​कर रहे हैं। हाल ही में हुई परिवर्तन यात्रा में दोनों ही नेताओं की टीमें अलग अलग अपना शक्ति प्रदर्शन करती दिखी थीं।

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हम यह कदापि नहीं कह रहे कि इनमें से किसी नेता ने सुमित को कमजोर करने के लिए अफवाह उड़ाई लेकिन महत्वाकांक्षाओं के घोड़ों पर सवार राजनीति के रणबांकुरे जब मैदान में उतरते हैं तो प्रतिद्वंद्वदी पर इस तरह के अप्रत्यक्ष हमले भी होते रहते हैं। सफल राजनीतिज्ञ वह है जो अपने समर्थकों के बूते इस प्रकार के षडयंत्रों के ब्रहमजाल को तोड़ सके।

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सुमित ने किस कांग्रेसी नेता की ओर इशारा किया यह तो वही जानें लेकिन इतना जरूर हैं कि इस समय उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भाजपा से कम और अपनी ही पार्टी के उन लोगों से ज्यादा है जो टिकट प्राप्त करके हल्द्वानी सीट से चुनाव जीतने की मंशा मन ही मन पाल रहे हैं। लेकिन इन सबसे अलग सुमित की सुस्ती ही इसका सबसे बड़ा कराण रही। जिसे उन्होंने 19 सितंबर के बाद तोड़ने का ऐलान भी कर दिया है।

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