राजनीति…#हल्द्वानी: क्या होगा वह ऐलान जिसे करने कल हल्द्वानी आ रहे हैं केजरीवाल!
तेजपाल नेगी
हल्द्वानी। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के हल्द्वानी दौरे पर मीडिया के अलावा सभी राजनैतिक दलों की नजरें भी लगी हुई हैं। इस बीच आम आदमी के नेताओं की ओर से संकेत दिए गए हैं कि केजरीवाल तिरंगा यात्रा के बाद रामलीला मैदान में होने वाली जनसभा में पार्टी के उत्तराखंडी एजेंडे से निकाल कर एक और घोषणा जनता के सामने रख सकते हैं। यह योजना क्या होगी अब लोग इस पर दिमाग खपाने में लग गए हैं।
स्मरणीय है कि आम आदमी पार्टी ही हैं जिन्होंने सबसे पहले उत्तराखंड में मुफ्त बिजली का शिगूफा छोड़ा। इसके बाद जब दूसरी पार्टियों में हलचल बढ़ी तो किसी ने सौ तो किसी ने दो सौ यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा कर डाली फिर केजरीवाल देहरादून आए और उन्होंने साफ किया कि आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड में सतता में आई तो हर महीने तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। उनकी इस योजना ने लोगों की खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद उत्तराखंड में पार्टी को संभालने के लिए अलग अलग अध्यक्ष बनाने की शिगूफा भी आम आदमी पार्टी ने छोड़ा। कांग्रेस ने देखा कि यह नई नीति कारगर साबित हो सकती है तो उन्होंने पार्टी के कई कार्यकारी अध्यक्ष बना कर अपनी रणनीति सामने रख दी। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने गढ़वाल, कुमाऊं और तराई के तीन अलग अलग अध्यक्ष बनाने का ऐलान कर नई राजनीति का श्रीगणेश कर दिया।
दरअसल केजरीवाल की प्रदेश की राजनीति में सशक्त उपस्थिति इन दो घटनाओं से साफ हो जाती है। अब जब आम आदमी पार्टी के नेता कल की जनसभा में नई घोषणा होने के संकेत दे रहे हैं तो विरोधी दलों में बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक ही है।
अब सवाल यह है कि वे कौन सी घोषणा है जिसकी ओर आप के स्थानीय नेता इशारा तो कर रहे हैं, लेकिन खुल कर कुछ नहीं बोल रहे हैं। हमने आप के प्रदेश प्रवक्ता सुति टिक्कू से भी इस संभावित घोषणा की टोह लेने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है। अगर कोई घोषणा करनी होगी तो वह केजरीवाल ही को पता होगा।
स्थानीय मुद्दों के कई जानकारों से बातचीत के बाद कुछ मुद्दे निकल की सामने आए। इनमें सबसे खास खास पर चर्चा की जा सकती है। संभवत: केजरीवाल इनमें से ही किसी मुद्दे पर पार्टी का रूख स्पष्ट करें। सबसे पहला भू कानून, यह मुद्दा पिछले कई महीनों से यहं के राजनैतिक गलियारों में तैर रहा है। भाजपा और कांग्रेस के लिए यह मुद्दा गले की फांस से इतर कुछ नहीं। हालांकि अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस पर जल्द ही निर्णय के संकेत दिए हैं। लेकिन जिस तरह से यह मुछ्दा अचानक उभरा और उत्तराखंड के राजनीति आसमान पर छा गया। उससे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर अपना रूख स्पष्ट करके मामले की अगुवाई करे। इसके बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही इस पर अपना रूख स्पष्ट करना लाजमी हो जाएगा।
दूसरा मुद्दा है स्थायी राजधानी। यह मुद्दा भी लगातार हर चुनाव के केंद्र में रहता है और चुनाव निपटते ही उत्तराखंड के राजनैतिक आसमान से ओझल हो जाता है। भाजपा और कांग्रेस के उलझाने के लिए केजरीवाल स्थायी राजधानी पर भी पार्टी की राय साफ करते हुए कोई ऐलान कर सकते हैं।
बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा के मुद्दे को तो आम आदमी पर्टी पहले से ही भुना रही है। लेागों में पार्टी को लेकर उत्सुकता भी इसी मुद्दे से बनी। संभव: है कि केजरीवाल यहां के लिए बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की अपनी कोई नई योजना का ऐलान करें।
चूंकि केजरीवाल हल्द्वानी आ रहे हैं। यानी तराई और पहाड़ की संगम स्थली। वे चाहेंगे कि यहां से वे पहाड़ और तराई दोनों के लिए संदेश जारी करें।
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