लालकुआं… #अदावत : अब आया बैटल आफ लालकुआं में फोर्थ फैक्टर, मोहन बिष्ट की एंट्री न बिगाड़ दे समीकरण, दुम्का का प्लस प्वाइंट बरेली रोड खतरे में

तेजपाल नेगी
लालकुआं।
कहते हैं कि पिछले विधानसभा चुनावों भाजपा प्रत्याशी नवीन दुम्का की जीत में बरेली रोड के वोटों की भूमिका सबसे अहम रही। लेकिन अब बरेली रोड वाले दुम्का के वोटों पर सेंधमारी की संभावना सबसे ज्यादा दिखने लगी है। स्वयं अपनी ही पार्टी के नेताओं के रचे गए चक्रव्यूह को तोड़ने की जुगत में लगे नवीन दुम्का के सामने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के अलावा अब एक और चुनौती आ खड़ी हुई है। इस नई चुनौती का नाम है डा. मोहन सिंह बिष्ट।

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समय चक्र में कुछ पीछे जाएंगे तो आपको जिलना पंचायत का वह नजारा स्मरण हो आएगा जब जिला पंचायत का टिकट मांग रहे मोहन सिंह बिष्ट के मांगने के बावजूद पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर उनके भाई को टिकट देकर मैदान में उतार दिया था। इसके बाद मोहन सिंह बिष्ट निर्देलीय ही मैदान में उतरे उनके चुनाव प्रचार में नवीन दुम्का के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी होती थी। वजह उनके समर्थकों का मानना था कि नवीन दुम्का ही नहीं चाहते थे कि डा. बिष्ट को भाजपा प्रत्याशी बनाए। उस चुनाव का नतीजा निकला तो भाजपा के थिंक टैंक ने भी माथा पीट लिया था। बिष्ट सहानुभूति की लहर पर ऐसे सवार हुए कि प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने और सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले जिला पंचायत सदस्य बन गए।

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दुम्का और बिष्ट की यह अदावत अब विधानसभा चुनावों के द्वार तक आ पहुंची है। बिष्ट ने नवीन दुम्का के लिए गत चुनावों में सबसे मददगार बने बरेली रोड पर ही उनके लिए कील कांटे बिछाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने अपना पहला चुनाव कार्यालय बरेली रोड पर गोरा पड़ाव और तीन पानी के बीच ही खोला है। इसके साथ ही बिष्ट ने यह भी लगभग साफ कर दिया है कि वे किसी पार्टी से चुनाव लड़ने का मन नहीं बना रहे हैं। वे निर्दलीय के ही रूप में चुनाव मैदान में उतरेंगे।

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बस उनका निर्देलीय होना ही दुम्का समेत अन्य दावेदारों के लिए बड़ी समस्या है। दुम्का के लिए संभवत: औरों से ज्यादा। दरअसल बिष्ट पूर्व भाजपाई रहे हैं और इस नाते उनकी संबंध भाजपा कार्यकर्ताओं से अधिक होंगे। अब जो भाजपाई दुम्का से नाराज होंगे और आप व कांग्रेस दोनों को ही राजनैतिक सोच के कारण वोट नहीं देना चाह रहे होंगे वे आसानी से बिष्ट के चुनाव चिहृन का बटन दबा सकते हैं। दूसरे कांग्रेस और आप से भी असंतुष्ट न्यूट्रल वोट भी उनकी झोली में आसानी से आ सकते हैं। बस आवश्यकता ऐसे वोटों को चिन्हित करके उनका विश्वास जीतने की है।

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बिंदखुत्ता, गौलापार, लालकुआं आदि इलाकों में भी बिष्ट का चुनाव प्रचार नंबर वन न सही लेकिन कम से कम नवीन दुम्का के मुकाबले का चल ही रहा है। होर्डिंगों पर उनका चेहरा जगह—जगह दिख ही रहा है।
जो भी हो बिष्ट ने बैटल आफ लालकुआं में जोरदार एंट्री मारी है। अब तक यहां तिकोणीय संघर्ष अब चतुष्कोणीय बनने लगा है। देखें भाजपा, कांग्रेस और आप इस नई चुनौती का सामना कैसे करते हैं।

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