नमन : नींबू -शहद के पानी के सहारे 82 दिन की भूख हड़ताल सिर्फ सुंदरलाल बहुगुणा ही कर सकते थे – राजेश मधुकांत

राजेश मधुकांत
वरिष्ठ पत्रकार

देहरादून। विख्यात पर्यावरणविद् सुन्दर लाल बहुगुणा जी हमारे बीच नहीं रहे। विश्व को जल, जंगल और जमीन से जुड़ाव का गुरुमंत्र देने वाले आदरणीय बहुगुणा इस वैश्विक महामारी का शिकार हो जाएंगे किसी ने सोचा न था।
पहाड़ के सुदूर अंचल से पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने वाले इस पुरोधा ने बाहरी दिखावे से सदैव अपने को दूर रखा।सादा जीवन उच्च विचार उनकी रग रग में समाया था।चेहरे पर सफेद धवल दाढ़ी और उस पर मृदुल मुस्कान हर किसी को मोह लेती थी।
नब्बे के दशक में बहुगुणा जी टिहरी बांध के विरोध में डैम स्थल पर आमरण अनशन पर बैठे थे तो मुझे उनसे साक्षात्कार लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ। निरन्तर अस्सी दिन तक भूखे रहने के बावजूद उनके चेहरे की चमक बरकरार थी। ऊर्जा का संरक्षण कैसे हो यह मैंने तब महसूस किया जब वे मेरे सवालों का जवाब बोलने की बजाय संक्षेप में लिखकर देने लगे।
देश दुनिया की नजर उनके इतने लंबे उपवास को लेकर टिहरी पर टिकी थी।मगर वे सिर्फ नींबू और शहद मिश्रित पानी के सहारे 82 दिन तक भूख हड़ताल पर डटे रहे।
पहाड़ के इस महान योद्धा को मेरा शत शत नमन! विनम्र श्रद्धांजलि!

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