सत्यमेव जयते विशेष : लोग एक-एक सांस के मोहताज और सीएम साब चुनावी मोड में, वैक्सीनेशन के लिए भव्य आयोजनों की क्या आवश्यकता
तेजपाल नेगी
हल्द्वानी। त्रिवेंद्र को सत्ता च्युत कर कुर्सी पर विराजे अपने सीएम तीरथ सिंह रावत कोरोना काल में भी चुनावी मोड में ही दिखाई पड़ रहे हैं। वर्ना जब देश में वैक्सीनेशन के काम चल ही रहा है तो अलग अलग जिलों में जाकर 18प्लस आयु वर्ग के लोगों के लिए शुरू हुए अभियान का शुभारंभ करने के भव्य आयोजनों की कोई आवश्यकता समझ में नहीं आ रही। जरा कल्पना कीजिए कोरोना के खौफ के साये में जी रहे लोगों को इन भव्य आयोजनों में बुलाकर आप उनका स्ट्रेस कम कर पाएगें क्या। इस बीच आक्सीजन देहरादून पहुंची तो उसे अलग अलग जिलों में पहुंचाने के लिए सीएम साहब हरी झंडी लेकर टैंकरों के आगे खड़े दिखाई पड़े। यह तब था कि जब बुजुर्गों व अधेड़ों को टीका लगाने के लिए भी डोज पूरी नहीं हो रही थी, इतनी बड़ी संख्या में युवाओं को टीके की डोज लगाने में तो सरकार के घोड़े ही खुल जाएंगे। यह सच है…
इन आयोजनों के नाम पर भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाने का कोरोना काल में क्या अर्थ बनता है। हल्द्वानी की जो फोटो आप देख रहे हैं, वह 18प्लस को वैक्सीन देने के कार्यक्रम के शुभारंभ का ही है। इस मंच पर आपको सोशल डिस्टेसिंग दिखाई पड़ रही है क्या। यह तब है जब महामारी अधिनियम को लागू करने वाले तमाम छोटे और बड़े अफसरान कार्यक्रम में ही खड़े या बैठे थे।
मुख्यमंत्री के साथ एक फोटो खींचने के लिए बौराए भाजपा नेता कोरोना के संवाहक स्वयं नहीं बने होंगे। दरअसल यह समय इस प्रकार के आयोजनों के लिए नहीं है। सरकार ने स्वयं शासनादेश जारी करके भीड़ जुटाने वाले सभी आयोजनों पर पाबंदी लगा रखी है लेकिन स्वयं इस प्रकार के आयोजन करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। विचारणीय यह है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है और अच्छे प्रबंधन से यदि प्रदेश कोरोना पर विजय प्राप्त करता है तो इसमें तीरथ सिंह रावत का नाम ही सबसे ऊपर होगा, तो फिर शुभारंभ और हरी झंडी दिखा कर आप क्या जताने का प्रयास कर रहे हैं। यह समझ से परे है।
ऐसे मौके पर कुंभ मेले में देश भर के लोगों को बुलाना और कोरोना न फैलने के कुतर्क पेश करने की गलती तो आप पहले ही कर चुके हैं। आज तो डब्ल्यूएचओ ने भी यह साफ कर ही दिया है। समझदारी यही है कि महामारी को रोकने के सार्थक प्रयास होने चाहिए, गाल बजाने वाली बातें अपनों को खो चुके लोगोें को अब रास नहीं आएंगी।
गाल बजाने वाली बात संभवत: कुछ लोगों को अखरे इसलिए साफ कर दूं कि क्या आप को नहीं पता कि प्राइवेट चिकित्सालयों में रेमेडेसिवर का एक इंजेक्शन मरीजों कोे 30—30 हजार का मिल रहा है। क्या आप यह भी नहीं जानते कि जिन अधिगृहित एंबुलैंसों में कोरोना के गंभीर मरीजों को चिकित्सालय पहुंचाया जा रहा है उनके से अधिकांश में आक्सीजन है ही नहीं, जिनमें है उनके चालक उसका मरीज पर उपयोग करने में आनाकानी कर रहे हैं। या फिर क्या यह नहीं जानते कि शमशान घाटों पर चिता लगाने वाला गिरोह चिता सजाने का 3 से पांच हजार रूपये वसूल रहा है। या फिर क्या आप यह नहीं जानते कि आप की सरकारी टीमें के पास आरटीपीसीआर करने के लिए कंटेन्मेंट जोनों में जाने पर अधिकाधिक सैंपल लेने की बात पर किट ज्यादा न होने की बात भी कर रही हैं।
इसलिए प्रदेश के नीति निर्धारकों को चुनाव के सपने छोड़ कर इस वक्त एक एक सांस के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को नई जिंदगी देने की आवश्यकता है। जीवित रहे तो वे वोट आपको ही देंगे…