नैनीताल न्यूज़ : कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति मामले की हो जांच – राजीव लोचन

नैनीताल। वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी व नैनीताल समाचार के सम्पादक राजीव लोचन साह ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति प्रकरण की जांच की मांग की है। राज्यपाल बैबीरानी मौर्य को भेज ज्ञापन पत्र में उन्होंने लिखा है कि पिछले कुछ समय के कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन. के. जोशी की अर्हताओं पर तमाम तरह के सवाल उठाये जा रहे हैं। यह बात खुल कर कही जा रही है कि वे किसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर रहने योग्य ही नहीं हैं। उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे एम.एससी. तो भौतिकी से हैं डॉक्टरेट उन्होंने वानिकी में प्राप्त की है, एसोसिएट प्रोफेसर वे कम्प्यूटर साइंस के हैं और उनका कोई भी शोध पत्र किसी मान्यताप्राप्त जर्नल में प्रकाशित नहीं हुआ है।

इस तरह के समाचार प्रकाशित होने के बावजूद कुलपति की ओर से कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है और न ही कुलाधिपति कार्यालय से इस प्रकरण पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है।

कुमाऊं विश्वविद्यालय के कार्य परिषद के सदस्य रहे साह ने अपने पत्र में राज्यपाल को लिखा है कि यह बात सम्भवतः आपके संज्ञान में नहीं होगी कि उत्तराखंड राज्य की भाँति कुमाऊं विश्वविद्यालय भी उत्तराखंड की जनता के लम्बे संघर्ष और बलिदान से प्राप्त हुआ है। वर्ष 1972 के विश्वविद्यालय आन्दोलन के दौरान पिथौरागढ़ नगर में दो लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। ऐसे संघर्ष और बलिदान से प्राप्त विश्वविद्यालय का इस स्तर तक गिर जाना घनघोर चिन्ता का विषय है। दिसम्बर 2019 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गलत प्रमाणपत्रों के साथ दून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चन्द्रशेखर नौटियाल को बर्खास्त कर दिया था। आपसे अनुरोध है कि प्रो. जोशी अर्हता की गहराई से छानबीन करें और यदि वे गलत साबित होते हैं तो उन्हें पदमुक्त करने की कृपा करें।

नैनीताल समाचार के सम्पादक ने लिखा है कि मैं राज्य आन्दोलनकारी हूँ और वर्ष 2006 से वर्ष 2009 तक कुमाऊँ विश्वविद्यालय की कार्य परिषद् का सदस्य भी रहा था। तब मैंने विश्वविद्यालय में होने वाली अनियमितताओं को ठीक करने के लिये लम्बी लड़ाई लड़ी थी। उस वक्त तक विश्वविद्यालय सीनेट के चुनाव के लिये मृत हो चुके पंजीकृत स्नातकों के तक वोट पड़ जाते थे। मेरे प्रयासों से वह मामला अब काफी हद तक ठीकठाक हो गया है। विश्वविद्यालय के गरिमापूर्ण पद पर किसी अयोग्य व्यक्ति का आकर बैठ जाना मुझे बर्दाश्त नहीं हो सकता, इसलिए मेरी आपसे विनती है कि इस प्रकरण की जांच करें।

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