उत्तराखंड…बाप रे: फर्जी कागजातों से कंपनियां की जीएसटी में पंजीकृत और सरकार को लगा दिया 24 करोड़ का चूना, मुकदमा दर्ज
देहरादून। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग ने प्रदेश की राजधानी देहरादून में फर्जी कागजातों के आधर पर जीएसटी खाता खुलवाने और सरकार को 24 करोड़ का चूना लगाने का खुलासा किया है। जीएसटी ने जब ममले की छानबीन की तो पता चला कि कंपनी के मालिक ने कार्यालय का जो पता दर्ज करवाया है वह किसी और के नाम है। यहीं नहीं इस कंपनी ने कुछ ही महीनों में जिन दो फर्मों से 120 करोड़ का लेनदेन दिखाया उनके पते भी फर्जी निकले। जीएसटी (कर अपवंचन ) के सहायक आयुक्त देव ज्योति वर्मन की शिकायत पर कोतवाली देहरादून पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुमदा दर्ज करके मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
पुलिस को दी गई जानकारी में जीएसटी (कर अपवंचन ) के सहायक आयुक्त देव ज्योति वर्मन ने बताया कि आनलाइन आवेदन के माध्यम से मेसर्स ठाकुर ट्रेडर्स के नाम से प्रोपराइटर संजय ठाकुर ने जीएसटी में अपनी फर्म को रजिस्टर्ड किया था। फर्म के नाम पर लगभग 120 करोड रूपये का व्यापार दिखाया।
फर्म का 21 अप्रैल 2022 को पंजीकरण हुआ व चन्द महिनों में ही फर्म नेलगभग लगभग 120 करोड रूपये का व्यापार किया तो जीएसटी अधिकारियों के कान खड़े हो गए। इस बडे व्यापारिक लेन देन की सीजीएसटी कर अपवंचन शाखा की टीम जांच पड़ताल शुरू कर दी। टीम फर्म द्वारा दिये गये पते 48 इन्द्रा कालोनी, नेशविला रोड, देहरादून पर पहुंची तो पता चला कि उक्त पते पर संजय ठाकुर नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता। इस पते सतीश कुमार नामक व्यक्ति रहते हैं। इससे साफ हो गया कि संजय ठाकुर ने जीएसटी पंजीकरण में पते के गलत दस्तावेज लगाए हैं।
अब बारी थी उन फर्मों की जिनसे संजय ठाकुर की फर्म ने 120करोड़ का व्यापार किया था। इसमें पहला नाम था मेसर्स एमारत एंटरप्राइज ,107 ,चुक्कुवाला बकरावाला रोड ,देहरादून (डोभालवाला ) का। इस फर्म के मालिक शाहरूख मोहम्मद की पड़ताल की गई तो पता चला कि दिया गया पूर्णत फर्जी है। जब और छानबीन की गई तो रजिस्ट्रेशन में लगाए गए दस्तावेज रिचर्ड ,1 नेशविला रोड ,देहरादून पाया गया, इस पते पर रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्होंने इस तरह का कोई व्यापार कभी किया ही नहीं।
अब बारी थी दूसरी फर्म यानी मेसर्स एस. के. ट्रेड्रस . शांप नंबर 224 प्रेमशीश , नेशविला रोड , देहरादून डोभालवाला की। इस फर्म के प्रोपराइटर – सुनील कुमार की जांच में भी दिया गया पता पूरी तरह से फर्जी पाया गया। सुनील कुमार ने भी संजय ठाकुर की ही तरह फर्जी कागजात लगा कर कंपनी की पंजीकरण कराया था।
जीएसटी सहायक आयुक्त का कहना है कि तीनों नकली फर्मों ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर लगभग साजिशना 120 करोड़ रूपये का व्यापार किया गया। और सरकार को 24 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया।
पुलिस ने जीएसटी के सहायक आयुक्त की तहरीर के आधार पर तीनों फर्मों के मालिकों के खिलाफ धोखाधड़ी के मुकदमा दर्ज करके मामले की छानबीन शुरू कर दी है।