हिमाचल… जब 11 लोगों की सांसें 150 फीट ऊंचाई पर छह घंटे हवा में अटकी रहीं, 30 साल पहले भी हुआ था ऐसा

सोलन। हिमाचल प्रदेश में सोलन जिला के प्रवेश द्वार परवाणू में सोमवार सुबह करीब 10:30 बजे टिंबर ट्रेल (केबल कार रोपवे) तकनीकी खराबी की वजह से अचानक आधे रास्ते में रुक गई। ट्रॉली में बैठे एक ही परिवार के पर्यटकों समेत 11 लोगों की सांसें 150 फीट ऊंचाई पर छह घंटे हवा में अटकी रहीं। दिल और मधुमेह के मरीजों समेत भूखे-प्यासे लटके इन लोगों को घंटों तक न तो होटल प्रबंधन और न ही प्रशासन से कोई मदद मिली।


डरे सहमे इन लोगों ने थक-हारकर मोबाइल पर वीडियो बनाकर अपने परिजनों को भेजा। परिजनों ने पुलिस और मीडिया को घटना की जानकारी दी और मदद मांगी। इसके बाद दोपहर करीब 12:35 बजे परवाणू से स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची। उन्होंने प्रशासन और एनडीआरएफ को इसकी सूचना दी। दोपहर 2:00 बजे बचाव अभियान शुरू हुआ और 4:30 बजे तक सभी पर्यटकों को सुरक्षित नीचे उतार दिया गया। नीचे उतरने के बाद पर्यटकों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रशासन से मिलने के बाद कहा कि वे कई घंटे ट्रॉली में फंसे रहे। वे मानसिक रूप से परेशान हैं।

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उन्होंने कहा कि वह इसका मुआवजा तो नहीं मांग रहे लेकिन होटल में रहने और खाने का बिल माफ किया जाए। उपायुक्त कृतिका कुलहरी ने कहा कि इस बारे में प्रबंधक से बात की जाएगी। डिंपल गोयल ए172 दिवेश विहार दिल्ली, रीता गोयल टैगोर रोड दिल्ली, गोपाल गुप्ता आनंद विहार दिल्ली का यह परिवार शनिवार को रिसोर्ट आया था और सोमवार को घर लौट रहा था।

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ट्रॉली में इस परिवार के पांच पुरुष और पांच महिलाओं के अलावा हरियाणा के जींद का व्यक्ति बैठा था। जींद का व्यक्ति इसी होटल में सप्लाई का काम करता है। सभी पर्यटक अपने घर लौट गए हैं।ट्रॉली बनासर के मोक्षा रिसोर्ट से परवाणू टीटीआर के लिए आ रही थी। इस दौरान अचानक टीटीआर प्वाइंट से 100 मीटर पहले ट्रॉली रुक गई। टीटीआर में बनाई गई बचाव ट्रॉली से एक व्यक्ति फंसी हुई ट्रॉली के पास पहुंचा।

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सबसे पहले महिलाओं को नीचे उतारना चाहा लेकिन उन्होंने उतरने से इनकार कर दिया। पहले एक व्यक्ति को नीचे उतारा गया, उसके बाद महिलाएं भी उतरने के लिए तैयार हो गईं। सभी को रस्सी से बांधकर एक-एक कर उतारा गया। नीचे एनडीआरएफ की टीम तैनात रही। प्रशासन ने एयरफोर्स से भी मदद मांगी थी लेकिन बाद में इनकार कर दिया गया। एनडीआरएफ की टीम को सेना के अधिकारी लीड करते रहे।

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पर्यटकों ने आरोप लगाया कि होटल मामले को दबाने में लगा रहा। ट्रॉली सुबह 10:30 बजे फंस गई थी। मगर उन्हें यही बताया जाता रहा कि बिजली चली गई है। ऐसे में ट्रॉली रुक गई है। बाद में बताया गया कि ट्रॉली तकनीकी खराबी के कारण फंस गई है, बचाव टीम जल्द उन्हें निकालेगी। पर्यटकों ने आरोप लगाया कि उन्हें केवल पानी ही मिल पाया। खाने के लिए कुछ नहीं दिया गया। डॉक्टर की मांग भी की, लेकिन इसे भी पूरा नहीं किया गया।


1.8 किलोमीटर लंबा है ट्रैक
टीटीआर स्थित रोपवे की कुल ऊंचाई करीब 2000 फीट है। यह पूरा ट्रैक 1.8 किलोमीटर लंबा है और इसमें एक से दूसरी तरफ पहुंचने में आठ मिनट का समय लगता है। एक बार में इस ट्रॉली में 12 लोग बिठाए जाते हैं।
घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने सभी पर्यटकों से बात की। मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री अमित शाह को भी फोन पर इस घटना की जानकारी दी है। शाह से बात के बाद मुख्यमंत्री ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, टीटीआर होटल के एजीएम विजयकांत शर्मा ने कहा कि तकनीकी खराबी के कारण ट्रॉली फंस गई थी। हमारी रेस्क्यू टीम ने सभी मेहमानों को सुरक्षित निकाल लिया है। इसमें कुछ समय जरूर लगा लेकिन निकालने से पहले सभी पर्यटकों को मोटिवेट करना था। ट्रॉली दोबारा कब चलेगी, यह तकनीकी टीम देखेगी।

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ताजा हुईं 30 साल पुराने हादसे की यादें, जब एक जांबाज अफसर ने बचाई थी 10 लोगों की जान
परवाणू। हिमाचल के प्रवेशद्वार परवाणू के टीटीआर होटल में रोपवे में तकनीकी खराबी आने के कारण फंसे सभी 11 पर्यटकों को रेस्क्यू कर लिया गया है। हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि प्रशासन और पुलिस की टीम ने 11 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है। वहीं इस घटना ने 1992 के उस हादसे की यादें ताजा कर दी हैं जब 10 लोगों की हवा में सांसें अटक गईं थीं।

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1300 फीट की ऊंचाई पर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे दस लोगों की जान बचाने वाले सेना के जाबांज अफसर की बहादुरी को आज भी हर कोई सलाम करता है। 1980 का दौर शुरू होते ही हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में परवाणू स्थित शिवालिक पहाड़ियों में केवल कार टिंबर ट्रेल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई। समंदर तल से करीब 5000 फीट की ऊंचाई पर केवल कार से वादियों को निहारते हुए 1.8 किमी सफर मन को रोमांचित कर देता है। 13 अक्तूबर 1992 को परवाणू में ऐसी घटना हुई जिसे आज भी जब याद करते ही रूह कांप जाती है।


10 यात्रियों को लेकर जा रही केवल कार अचानक टूट गई और सभी लोग 1300 फीट की ऊंचाई पर हवा में लटक गए। यह देख केवल कार का संचालन करने वाली कंपनी के कर्मचारियों के भी हाथ-पांव फूल गए। सेना को बुलाया गया। कर्नल इवान जोसफ क्रेस्टो (रिटायर्ड) को इस बचाव अभियान की कमान सौंपी गई। उस दौरान इवान जोसफ सेना में मेजर के पद पर तैनात थे। इवान जोसफ ने वायु सेना के टॉप हेलिकॉप्टर पायलट और अपने साथियों के साथ 10 जिंदगियों को बचाने के लिए संयुक्त बचाव अभियान शुरू किया। रस्सी के सहारे इवान जोसफ एमआई-17 हेलीकॉप्टर से हवा में लटक रही केवल कार के भीतर पहुंचे।

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उन्होंने केवल कार में फंसे यात्रियों को एक-एक कर हेलीकॉप्टर में चढ़ाना शुरू किया। शाम होने तक बचाव अभियान पूरा नहीं हो पाया और पांच यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया। कर्नल क्रेस्टो ने यात्रियों का हौसला टूटने नहीं दिया और वे हवा में लटकी केवल कार में बाकी बचे पांच यात्रियों के साथ रूक गए। रातभर यात्रियों को गाने सुनाते रहे और उनका हौसला बढ़ाते रहे। अगले दिन फिर बचाव अभियान शुरू हुआ और कर्नल क्रेस्टो ने सभी यात्रियों को रेस्क्यू कर लिया। टिंबर ट्रेल रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। गोवा के रहने वाले कर्नल क्रेस्टो के पिता नौसेना में अफसर थे।

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1978 में इवान जोसफ क्रेस्टो को पैरा सिक्योरिटी फोर्स में कमीशन मिला। मिलिट्री ऑपरेशन निदेशालय समेत उन्होंने कई अहम पदों पर सेवाएं दीं। कर्नल क्रेस्टो के एक सहयोगी ने बताया कि वे पेशेवर और समर्पित शख्सियत थे। स्काई डाइविंग के भी विशेषज्ञ थे। विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय बेवाक होकर रखते थे। उन्होंने बताया कि कर्नल क्रेस्टो इन दिनों सिडनी आस्ट्रेलिया में लोकल स्कूल में मैथ पढ़ाते हैं। आज भी कई अधिकारी उनकी बहादुरी के किस्से सुनाते हैं।

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