पिथौरागढ़…इसे कहते हें हौसला: 75 साल के रूद्र ने बीस मिनट तक खूंखार भालू से संघर्ष कर जीती जिंदगी की बाजी
पिथौरागढ़। कहते हैं आदमी का हौसला उम्र का मोहताज नहीं होता, अगर यहबात सच न होती तो यहां चीन सीमा से लगे मुनस्यारी के क्वीरी जमिया गांव के 74 वर्ष के रूद्र सिंह रावत के हौसले के आगे खूंखार भालू यू घुटने नहीं टेक देता। लगभग बीस मिनट के भालू और रूद्र के बीच शक्ति प्रदर्शन हुआ और अंतत: भालू को मैदान छोड़ कर जंगल में भागना ही पड़ा।
घटना शुक्रवार की की सुबह लगभग दस बजे के आसपास की है। मुनस्यारी के चीन सीमा से लगे क्षेत्र में मुनस्यारी से अठारह किमी दूर एक गांव है क्वीरी जीमिया। यहीं के रहने वाले 75 वर्षीय रुद्र सिंह रावत लकड़ी एकत्रित करने के लिए जंगल गए थे। इसी दौरन उनका सामना एक खूंखार भलू से हो गयया। परिस्थितियां ऐसी थी कि रूद्र सिंह को कहीं से भी मदद मिलने की संभावना नहीं थी। ऐसे में हालात को भांपते हुए रूद्र ने भालू का अपने दम पर मुकाबला करने का निर्णय लिया। पहला हमला भालू ने किया और उसने अपने ताकतवर पंजों से रूद्र को जख्मी कर दिया।
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इसके बाद रूद्र ने बिना देरी किए ही भालू पर पलटवार कर दिया। काफी देर दोनों बीच संघर्ष किया कभी भालू उपर तो कभी रूद्र उस पर हावी। लगभग 20 मिनट की उठापटक के बाद आखिर भालू को लग गया कि जिस बुजुर्ग को वह आसान शिकार समझ रहा था, वह दरअसल उस पर भारी पड़ता जा रहा है। भालू ने मौका देखकर जंगल में भागना ही उचित समझा।
इसके बाद भी रूद्र ने हौसला नहीं खोया वे बुरी तरह जख्मी हालत में पैदल ही अपने गांव पहुंचे।
बताया गया है कि क्वीरी जीमिया गांव मुनस्यारी से मिलम की तरफ लगभग 18 किमी दूर है। चीन सीमा को जोडऩे वाले मुनस्यारी -मिलम मार्ग से लगभग सात किमी दूर चिलमधार तक घायल रूद्र को गांव के युवा युवा लक्ष्मण मर्तोलिया, लाल सिंह रावत,देवेंद्र क्वीरीयाल, गंगा सिंह रावत कंधों पर लाद कर पैदल ही लाए। गांव से चिलमधार तक का पैदल मार्ग वर्ष 2001 से लगातार आपदा के चलते इस कदर क्षतिग्रस्त है कि एक आदमी का खुद पैदल चलना कठिन है।
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कुछ ही देर में मुनस्यारी के फार्मेसिस्ट विक्कू सयाना दवा व इंजेक्शन लेकर चिलमधार पहुंच गए। असहनीय पीड़ा से तड़प रहे रुद्र सिंह को दर्द रोकने का इंजेक्शन दिए जाने लगे। चिलमधार के बाद फार्मेसिस्ट अपने वाहन से घायल को सीएचसी मुनस्यारी लाए। घटना के चार घंटे बाद घायल वृद्ध को चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार मिल सका। चिकित्सकों के अनुसार स्ट्रीचिंग और ड्रेसिंग करने के बाद वृद्ध की हालत खतरे से बाहर है।
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