मदर्स डे स्पेशल : नालागढ़ के सनेड गांव की रहने वाली 65 वर्षीय मां कर रही समाज को प्रेरित
नालागढ़। हर किसी की जिंदगी में मां का सबसे बड़ा योगदान होता है। आज मदर्स डे है और हम आज उस मां से मिलाते हैं जो लोगों के लिए प्रेरणा का केंद्र बनी हुई है। बात करते हैं प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ की जहां पर एक छोटे से गांव सनेड की रहने वाली 65 वर्षीय पालो देवी नामक महिला समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है पालो देवी की उम्र इस समय 65 वर्ष है और जब वह 30 वर्ष की थीं तब उनके पति की बीमारी के कारण मौत हो गई थी पति की मौत के बाद उनके रिश्तेदारों की ओर से उन पर दूसरी शादी के लिए भी दबाव बनाया गया। लेकिन पालो देवी द्वारा अपने तीन बच्चों की वजह से शादी से इंकार कर दिया गया और भरी जवानी में विधवा हुई पालो देवी द्वारा अपने तीनों बच्चों के सहारे ही पूरी जिंदगी काटने का निर्णय ले लिया गया।
पालो देवी अब 65 वर्ष की हो चुकी है और फलों देवी द्वारा पहले लोगों के खेतों में काम कर कर के अपने बच्चों को बड़ा किया और पढ़ाया लिखाया इस काबिल बनाया के आज उनके तीनों बच्चे जिनमें से दोनों बेटियों की शादी अच्छे घरों में हो चुकी है और एक बेटा अपने पैरों पर खड़ा होकर आज अपना कारोबार कर रहा है वही पालो देवी द्वारा एक निजी कंपनी में 22 साल नौकरी करने के बाद वह रिटायर्ड हो गई। और रिटायर्ड होने के बाद आज भी पालो देवी की हिम्मत कि हम दात देते हैं और फिर से द्वारा एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही है और अपने घर का गुजारा आज भी मेहनत करके चला रही है पालो देवी आज समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आई है। और लोगों को अपनी जीवन की कहानी के माध्यम से आइना दिखा रही है एक कड़ी मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती और हौसले से ही जग जीता जा सकता है।
पालो देवी से जब हमने इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि पूरी जिंदगी साथ निभाने का वादा करने के बाद उनके पति राम सिंह द्वारा भरी जवानी में ही उनका साथ छोड़ गए थे और पीछे छोड़ गए थे उनके पास 3 बच्चे और गरीबी। पालो देवी का कहना है कि जब उनके पति की मौत हुई तब वह बहुत गरीब थे खाने के लिए घर में दाने तक नहीं थे और जो कुछ भी था उनके पति के इलाज पर लग गया था। फलोदी का कहना है कि पहले लोगों के खेतों में काम कर करके उसने अपने बच्चों को पाला और पढ़ाया और उनकी शादी भी कर दी और उसके बाद वह एक निजी कंपनी में काम करने लगी जहां 22 साल के बाद उन्हें रिटायर्ड हो चुकी हैं और आज वह अपने बच्चों के साथ एक अच्छी जिंदगी जी रही है। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी में बहुत दुख तकलीफ है आई लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत पर विश्वास करके आगे बढ़ती रही।