हमारे लोक पर्व @ मोटाहल्दू : सातू-आठू पर देवी गौरा व भगवान शिव की पूजा से मिलता है यह आशीर्वाद

मोटाहल्दू। उत्तराखण्ड के लोक पर्व गौरा-महेश की पूजा सातूं-आठूं की शुभकामनाएं देते हुए शास्त्री महेश चन्द्र जोशी ने बताया कि यह पर्व भाद्रपद माह में सप्तमी व अष्टमी के दिन मनाया जाता है शास्त्री महेश चन्द्र जोशी ने बताया कि सप्तमी के दिन माँ गौरा देवी अपने ससुराल से रुठकर अपने मायके आ जाती है। उन्हें लेने के लिए अष्टमी के दिन भगवान महेश( शिव) आते हैं।

भाद्रपद माह के पंचमी को महिलाएं व्रत रख कर पांच प्रकार के अनाज को भिगाती है जिसे कुमांऊ में विरुड़ कहा जाता है। इन अनाजों को भिगोने के बाद उमा- महेश्वर का ध्यान करना चाहिए घर में अखंड दीपक जलाना चाहिए फिर तीसरे दिन सप्तमी को उन्हें अच्छे से धोकर माँ गौरा का का पूजन कर और अष्टमी के दिन भगवान महेश( शिव) का पूजन करना चाहिए। इस शुभावसर पर अखंड सौभाग्य और संतान की मंगल कामना के लिए सुहागिन महिलाएं, गले व हाथ मे पीली डोर धारण करती हैं।
पुरोहित सप्तमी एवं अष्टमी की पूजा करवाते हैं। महिलाएं ,लोकनृत्य तथा लोकगीतों का आनंद लेती हैं। शास्त्री महेश चन्द्र जोशी ने बताया कि गौरी-महेश का पूजन करने से सभी को अखण्ड सौभाग्य और सन्तान और सुख-सम्पति ऐश्वर्य प्राप्त होता है।

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