बागेश्वर … #जिला चिकित्सालय : दोपहर बाद तक रह रह कर उमड़ता रहा भावनाओं का सैलाब, आसुओं की गंगा-जमुना बहती रही

सुष्मिता थापा
बागेश्वर।
नियति को कोसते मृतकों के परिजन, रो-रो कर पथराई आंखें इस माहौल को देख शायद ही कोई होगा जिसका दिल न भर आया होगा। दुख, दर्द व अपनों को खोने के गम में विलाप करते परिजनों को देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया। आज दोपहर बाद तक यही नजारा दिखा जिला अस्पताल परिसर में।

पश्चिम बंगाल से पहाड़ की वादियों में घूमने आये और हादसे का शिकार हुए पर्यटकों के परिजनों इस अनजान सी जगह पर इधर से उधर भटक रहे थे। भीतर वार्ड में बुधवार को वाहन दुर्घटना में घायल दीपमिता ने अपना इकलौता भाई खोया है। अब उसके परिवार में कोई जीवित नहीं बचा है। चिकित्सक उसका इलाज तो कर रहे हैं तथा उसके स्वास्थ्य में सुधार भी हो रहा है। फिलाहल उसके दुखों का इलाज तो भगवान के पास भी नहीं है। वहीं घायल जददू नाथ को अभी पता नहीं है कि उनकी पत्नी सावोनी चक्रवर्ती अब उनसे बहुत दूर जा चुकी है।

अस्पताल परिसर में जो भी आ रहा था चाहे स्वास्थ्य कर्मचारी हो या तीमारदार पहले बंगाली पर्यटकों के हाल चाल के बारे में पूछ रहा था। इस बीच मृतकों के कुछ परिजन भी दिल्ली से यहां पहुंचे तो वे अपने घायल परिजनों से लिपटकर रोने लगे तो कुछ को परिजन की मौत की खबर मिली तो वे दहाड़े मारकर रोने लगे। मृतक सावोनी के पुत्र नीलकंठ व पुत्री सोमना भी दिल्ली से यहां पहुंचे। सोमना ने बताया कि उसके पिता को अभी मालूम नहीं है कि उसकी मां का निधन हो चुका है। वार्ड में भर्ती दीपमिता घटक को ड्रीप लगाई गई थी वह सिसकियां ले रही थी।

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इस घटना में उसके भाई किशोर घटक की मौत हो चुकी है। बताया कि दीपमिता का इस दुनिया में अपना परिजन कोई नहीं है वह अविवाहित है तथा वे दोनों भाई बहन ही परिवार में थे जिसमें अब उसका सहारा चला गया है।कई लोग उनसे कुछ जानकारी लेना चाहते हैं परंतु उसकी भाषा आड़े आ रही है। जिस पर वे उन्हें बस सांत्वना ही देते हैं। हालांकि दीपमिता को कई जगह चोट आई हैं परंतु उन्हें भीतर के दर्द के सामने शरीर के दर्द कोई अहसास नहीं है। वैसे भी बाहरी ज़ख्म तो कुछ दिनों में भर ही जाते हैं लेकिन आत्मा को लगे ज़ख्म ताउम्र सालते रहते हैं।

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