टिहरी… #आस्था: देव डोलियों का नृत्य देखने उमड़ा भक्तों का सैलाब

टिहरी। देवभूमि उत्तराखंड संस्कृति समृद्ध है। यहां देवताओं का वास माना जाता है। यहां समय—समय पर मेले आयोजित किए जाते हैं। ऐसे ही सेम मुखेम मेले में देव डोलियों का नृत्य देखने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। नागराजा मेले का देव डोलियों के नृत्य, निशान और ध्याणियों के मिलन और तीन साल बाद फिर मिलने के वादे के साथ रंगारंग समापन हुआ।


मंदिर के मुख्य पुजारी लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल ने बताया कि मेले में टिहरी जिले के अलावा उत्तरकाशी, पौड़ी, चमोली समेत उत्तराखंड के कई हिस्सों से लोग पहुंचे। मुखमालगांव की देव डोलियों के साथ ग्रामीण लाठियों के साथ नृत्य करते दिखे।

मुख्य पंडाल में गायिका पूनम सती और साथी कलाकारों ने भजनों व लोकगीतों की प्रस्तुति दी। मान्यता है कि पूर्व में जब कृष्ण भगवान ने यहां पर अवतार लिया था, तो वीरभड़ गंगू रमोला से उन्होंने रहने के लिए भूमि मांगी थी। लेकिन तब गंगू रमोला ने उन्हें भूमि देने से मना कर दिया। गंगू रमोला की कोई संतान नहीं थी। 

भगवान कृष्ण ने गंगू रमोला को सपने में दर्शन देकर उसे दो पुत्रों की प्राप्ति का वरदान दिया। इसके बाद गंगू रमोला ने श्रीकृष्ण को यहां भूमि प्रदान की। तब इस भूमि पर भगवान ने रासलीला रचाई। तब से इस स्थान पर हर तीसरे वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है।

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