उत्तराखंड… कैबिनेट : आखिर क्यों छोड़ दिए धामी ने कुमाऊं के तीन जिले

देहरादून। नई सरकार गठित हो चुकी है, आठ मंत्रियों की पुष्कर धामी दरबार आज लगने वाला है। लेकिन इस दरबार में कुछ पुराने चेहरे आज नहीं दिखेंगे।

इनमें एक नाम है सात बार के विधायक बंशीधर भगत का, दूसरा है डीडीहाट वाले बिशन सिंह चुफाल का और तीसरा है तेज तर्रार माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे अरविंद पांडेय का। यही नहीं पुष्कर धामी कैबिनेट में हरिद्वार, चमोली, उत्तरकाशी,रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, नैनीताल, चंपावत जिलों को कैबिनेट में कोई नेतृत्व नहीं मिला है।

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सिर्फ 6 जिलों से ही धामी कैबिनेट पूरी कर दी गई है। यानि 13 जिलों वाले उत्तराखंड के सात जिलों का कोई नेतृत्व अभी धामी कैबिनेट में नहीं है। बात कुमाऊं मंडल की करें तो आखिर क्या वजह हो सकती हैं कि सीएम धामी ने कुमाऊं तीन जिलों को अपने कैबिनेट में प्रतिनिधित्व तो दिया लेकिन तीन को छोड़ दिया।

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इनमें पहली और सबसे ठोस वजह छह महीने के भीतर सीएम धामी को उपचुनाव के माध्यम से विधानसभा की सदस्यता हासिल करने का पेंच है। अभी तक चंपावत व पिथौरागढ़ जिले की किसी सीट से धामी के चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोरों पर हैं। पिथौरागढ़ जिले में भाजपा के खाते में दो सीटें ही गई हैं। इनमें पहली डीडीहाट है और दूसरी गंगोलीहाट। गंगोलीहाट सीट आरक्षित है।

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धामी के डीडीहाट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं लेकिन वहां के वरिष्ठ भाजपा नेता और विधायक बिशन सिंह चुफाल कहते हैं कि उनसे किसी ने इस मुद्दे पर चर्चा ही नहीं की है।

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माना जा रहा है कि यदि धामी पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट से चुनाव लड़ते हैं तो कैबिनेट में वे पिथौरागढ़ का प्रतिनिधित्व स्वयं ही करते दिखेंगे।
कुछ कुछ यही स्थिति चंपावत जिले के साथ है। जिले की दो सीटों में से एक सीट चंपावत भाजपा के पास है और दूसरी लोहाघाट कांग्रेस के पास। अब चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी पहले ही कह चके हैं कि वे धामी के लिए सीट छोड़ने को तैयार है। अगर ऐसा होता है तो चंपावत का प्रतिनिधित्व धामी स्वयं कर सकते हैं।

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अब नैनीताल जिला कैबिनेट से क्यों हासिये पर रखा गया इस सवाल का जवाब राजनैतिक विशेषज्ञें को सुझाई नहीं पड़ रहा है। छह में पांच सीट भाजपा के नाम करने वाला नैनीताल जिले का कोई विधायक कैबिनेट में नहीं पहुंच सका।

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यह टीस सभी के मन में हैं। जबकि कैबिनेट में तीन सीटें अभी बाकी हैं। जबकि यहां सबसे ज्यादा वोटों से जीतने के मामले में दूसरे स्थान पर रहे बंशीधर भगत हैं।

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