अल्मोड़ा—- डिस्ट्रिक्ट एज फल्क्रम ऑफ डेवलपमेंट विषय पर एक दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

अल्मोड़ा- सरकार द्वारा आगामी 5 वर्षों मे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है तथा उत्तराखण्ड राज्य को 2025 तक श्रेष्ठ राज्य बनाने एवं सशक्त उत्तराखण्ड राज्य बनाने की परिकल्पना की गई है। इसी को लेकर जनपद स्तर के हित कारकों एव संबंधित विभागो के अधिकारिंयो के साथ विचार मंथन कर त्वरित समावेशी विकास सुनिश्चित करने हेतु अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी की अध्यक्षता मे विकास भवन सभागार में डिस्ट्रिक्ट एज फल्क्रम ऑफ डेवलपमेंट (जिला, विकास की धुरी के रूप में) विषय पर एक दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला आयोजित हुई।

कार्यशाला का शुभारंभ विधायक मनोज तिवारी ,मुख्य विकास अधिकारी अंशुल सिंह समेत डॉ मनोज पन्त, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सी.पी.पी.जी.जी. नियोजन विभाग, तथा संयुक्त निदेशक अर्थ एवं संख्या, कुमाऊॅ मण्डल, नैनीताल ने संयुक्त रूप से दीप प्रवज्वलित कर किया। इस अवसर पर विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि जिले के विकास आधार के रूप में एवं 30 सूत्री/विजन 2030 के लिए सतत् विकास लक्ष्यों की पूर्ति एवं सशक्त उत्तराखण्ड 2025 को प्राप्त करने हेतु सभी अधिकारी एक विस्तृत कार्ययोजना बनाकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विभाग आपस में समन्वय बनाते हुए अधिक से अधिक स्वरोजगार उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें ताकि अधिक से अधिक लोंगो को रोजगार मिल सके व उनकी आर्थिकी में सुधार किया जा सकेगा। साथ ही स्वयं सहायता समूहों पर भी विशेष गौर करने एवं उनको रोजगार सृजन हेतु अधिक से अधिक सुविधाएं प्रदान की जाएं।

इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अंशुल सिंह ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु जनपद को एक आधार के रूप में देखना है। उन्होंने कहा कि सभी योजनाएं जनपद स्तर पर ही धरातल पर उतरती हैं, इसलिए जनपद स्तरीय अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा परिचर्चा करना है। इस दौरान उनके द्वारा सभी का स्वागत एवं अभिन्दन करते हुए विभागीय योजनाओं का लाभ आमजनमानस तक किस प्रकार मिले इस पर चर्चा करते हुए विकास सम्बन्धी कार्य योजना को भविष्य हेतु जनपद के विकास खण्डों, ग्राम पंचायत स्तर पर विभिन्न योजनाओं ,स्टैक होल्डरस के माध्यम से सतत विकास लक्ष्य के अनुसार योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर किये जाने हेतु सभी विभागों से अपेक्षा करने के साथ ही विकास खण्ड स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु चर्चा-परिचर्चा कर आवश्यकतानुसार योजनाओं को क्रियान्वित करने के निर्देश दिए।

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कार्यशाला में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सी.पी.पी.जी.जी. नियोजन विभाग डॉ. मनोज कुमार पन्त ने कहा कि “जिले, विकास के आधार के रूप में” विषय का तात्पर्य सामान्य भाषा में ‘जिला विकास की धुरी’’ है, इस पर कार्य किया जाना है। इसी क्रम में सरकार द्वारा त्वरित गति से राज्य के विकास हेतु भारत सरकार के 20 सूत्रीय कार्यक्रम की तर्ज पर जनपद की आवश्यकताओं एवं विकास हेतु 30 सूत्री कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सतत् विकास लक्ष्यों की अधिप्राप्ति हेतु आजीविका, मानव विकास, पर्यावरण तथा सामाजिक विकास क्षेत्रों में किये जा रहे कार्यों के आउटपुट एवं आउटकम की सूचनायें ससमय शासन स्तर तक पहुॅचने हेतु बेहतर डेटा सिस्टम विकसित किये जाने की जरूरत है। उन्होंने इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये।

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इस दौरान जनपद में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले ग्राम प्रधानों एवं अन्य लोगों ने अपने अपने अनुभव भी साझा किए। कार्यशाला में जिला योजना एवं जनपद स्तर पर समस्त संसाधनों का वित्तीय एवं तकनीकी का मैपिंग करते हुए जिला स्तरीय रिर्साेस विकसित करते हुए, सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा जिला योजना तैयार करने सम्बन्धी अभिमुखीकरण, जिला योजना निर्माण प्रक्रिया के बारे में बताया गया। विभिन्न प्रतिभागियों/विभागों द्वारा चर्चा की गई कि कैसे विकास हेतु भविष्य में जनपद/विकास खण्ड/ग्राम पंचायत स्तर पर सतत विकास लक्ष्य अनुसार योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर किया जायेगा।

कार्यशाला का संचालन उदित वर्मा, अपर सांख्यिकीय अधिकारी द्वारा किया गया। कार्यशाला में विभिन्न ब्लॉकों के ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, जनप्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञ शैलेंद्र सिंह, अर्थ एवं संख्याधिकारी राजेश कुमार, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी रेनू भंडारी समेत अन्य अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे।

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