ये क्या …पंजाब-हरियाणा के गांवों में बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं की एंट्री पर बैन, लगे नारे- ‘हाथ बदलेगा हालात’
नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा में कई दर्जन से ज्यादा गांवों की पंचायत ने मिलकर यह फैसला लिया है कि वह अपने गांव की सीमा में बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रचार करने की इजाजत नहीं देंगे। वहीं किसानों को कांग्रेस से एमएसपी कानून लागू करवाने की उम्मीद बंध रही है। कांग्रेस पार्टी लगातार एमएसपी कानून लागू करने का वादा भी दोहरा रही है।
हरियाणा के 60 से ज्यादा गांवों ने अपने इलाकों में बीजेपी नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार कर रही है। बीजेपी के पंजाब में 2024 के आम चुनावों के लिए छह उम्मीदवारों की घोषणा के साथ किसान उत्तेजित हो गए हैं और किसानों ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने गांवों में भाजपा नेताओं के प्रवेश को रोकने वाले पोस्टर लगाना शुरू कर दिए है।
पंजाब में लगे कई पोस्टर शुभकरण सिंह को समर्पित थे जिनकी इसी साल फरवरी महीने में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए 1 जून को मतदान होना है।
हरियाणा में इस साल जनवरी में भी इस तरह का प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई थी। संगठनों द्वारा उस समय यह प्रतिबंध किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून को लागू कराने के लिए दबाव बनाने के लिए किया गया था। किसानों ने एमएसपी लागू करवाने के लिए दिल्ली की ओर कूच भी किया था। केंद्र की सरकार के साथ किसानों के नेताओं की बातचीत हुई लेकिन अब उन्हें बीजेपी सरकार से एमएसपी कानून को लागू करने की उम्मीद टूट रही है।
यही वजह है कि अब किसान कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के वायदों पर भरोसा करने लगे हैं और यह नारा लगाने लगे हैं- ‘हाथ बदलेगा हालात।’ कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार और प्रसार के दौरान यह जोरशोर से वादा कर रही है कि उनकी सरकार केंद्र में आते ही स्वामीनाथन फार्मूले के आधार एमएसपी की कानूनी गारंटी लागू करेगी। कांग्रेस अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एमएसपी लागू कराने की बात कह रही है और यह नारा लगा रही है- ‘किसानों को है विश्वास, हाथ बदलेगा हालात।’
हरियाणा के ग्रामीण किन मुद्दों पर बीजेपी से हैं खफा?
सोनीपत, सिरसा, हिसार, रोहतक के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बीजेपी का बहिष्कार करने की योजना बना रहे हैं। किसानों का यह फैसला एमएसपी कानून को लागू करने, महिला पहलवानों के मुद्दे, अग्निवीर और मुद्रास्फीति के प्रति भाजपा के दृष्टिकोण के खिलाफ किया गया है।
किसान एमएसपी कानून लागू करने की कर रहे मांग
नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का संगठन पिछले कई सालों से आंदोलनरत है। किसानों ने एमएसपी कानून को लागू कराने के लिए 2020-21 में जोरदार आंदोलन चलाया था। केंद्र सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद आंदोलन खत्म हुआ था। वर्ष 2023 के अंत में किसान एक बार फिर से शंभू बॉर्डर पर एकत्रित हुए थे। उस दरम्यान हरियाणा में 60 से अधिक गांवों में भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी के नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था।
हरियाणा में विभिन्न खापों के अलावा कई गांवों के लोगों ने नए कृषि कानूनों का समर्थन करने के लिए भाजपा और जेजेपी के मंत्रियों और विधायकों के बहिष्कार का आह्वान किया था। भाजपा और जेजेपी नेताओं को हरियाणा में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था।
केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी की अनुशंसा की जाती है। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए न्यूनतम लाभकारी मूल्य दिलाना, बाजार में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश के किसानों से बार-बार यह वादा कर रहे हैं कि उनकी सरकार केंद्र में बनती है तो वह एमएसपी गारंटी कानून जरूर लागू करेगी। कांग्रेस पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में एमएसपी कानून बनाने की बात की है।