मटौर शिमला निर्माणाधीन फोरलेन विस्थापित समिति ने सरकार की नीति और नीयत पर उठाए सवाल

सुमन डोगरा, बिलासपुर। मटौर शिमला निर्माणाधीन फोरलेन समिति की बैठक में समिति के प्रधान बाबू राम सिसोदिया ने सरकार की नीति और नीयत दोनों पर सवाल उठाते हुए कड़ा प्रहार किया कि सरकार की कथनी और करनी में लोगों के प्रति बहुत अंतर है सरकार को जो कहती है वह कभी नहीं करती और जो करती है।

उसे कभी नहीं बताती उपरोक्त परियोजना में भी सरकार प्रशासन ने यही सब किया समिति को आश्वासन दिया था कि उक्त परियोजना में जब भी इसके सर्कल रेट निर्धारित किए जाएंगे हम सबसे पहले लोगों से संपर्क करेंगे व सबको विश्वास में लेकर रेटों को निर्धारित किया जाएगा लेकिन जब प्रशासन ने गत महीने में सभी विस्थापितों व प्रभावितों को सीधे उनके खाते में पैसे डालने के लिए नोटिस थमा दिए व पैसा खाते में आने पर दो महीनों के भीतर भूमी मकानों के फरमान जारी कर दिए वहीं परियोजना से संबंधित कोई मूल दस्तावेजों उपलब्ध नां करवाने संबंधित विभाग ‌द्वारा तरह तरह के तर्क दिए जाने पर हमें प्रशासन की नीयत व नीति दोनों पर शक हुआ जिसकी पुष्टी विस्थापितों एवं प्रभावितों द्वारा किए विभिन्नआर टी आई आवेदन पत्रों व की गई अपीलों से हुई जिस पर हमें आज इस बैठक का आयोजन करना पड़ा।

इस बैठक में 14 मुहालो के सभी विस्थापितों एवं प्रभावितों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के प्रमुख सलाहकार भगत सिंह वर्मा ने की। प्रधान ने प्रशासन से उक्त परियोजना से संबंधित उन सभी मूल दस्तावेजों को सभी प्रभावितों को उपलब्ध करवाने की मांग की जिन मूल दस्तावेजों के आधार पर भूमी का अधिग्रहण हुआ हर एक विस्थापित एवं प्रभावित को अपनी निजी भूमी का सीमांकन, सड़क निर्माण में आई भूमी के नक्शों का अवलोकन व अधिग्रहित की गई भूमी से उनकी शेष बची निजी भूमी का अवलोकन सड़क निर्माण में आए मकानों, निर्माणों, पेड़ों, प्रआवित हो रहे आने जाने रास्तों पीने के पानी स्त्रोतों के निर्धारित किए गये सर्कल रेटों का अवलोकन करने का अधिकार है प्रशासन हमें इन अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती है।

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बैठक में लोगों ने सवाल उठाए कि क्या उपरोक्त परियोजना का भूमी अधिग्रहण रोड़ अलाइनमेंट प्लान, असल भूमी अधिग्रहण प्लान, ले आउट प्लान, राईट आफ वे व मौका पर बनाए नक्शों के अनुसार हो भी रहा है या नहीं व यदि उपरोक्त परियोजना का अधिग्रहण उपरोक्त मूल दस्तावेजों के आधार पर हो रहा है तो भू अर्जन अधिकारी हमें उपरोक्त सभी मूल दस्तावेजों को उपलब्ध करवाने के एसडीएम कार्यलय क्यों तरह तरह के अड़गे डाल रहे हैं व आगे से आगे तारीख पे तारीख देने में लगे हैं।

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