सोलन के प्रदीप से पूछो हंस कैसे लाते हैं जिंदगी में बहार

सोलन। हंस यानी बुद्धी, विवेक खूबसूरती का संगम। धार्मिक रूप से अत्यंत ही शुभ माने जाने वाला यह पक्षी साफ सुथरे सरोवरों में पाए जाते हैं। प्रातकाल के समय हंस का दर्शन धर्मग्रंथों में अति सौभाग्यशाली बताया गया है। विद्या की देवी सरस्वती का वाहन हंस हिमाचल जैसे राज्य के कम ऊंचाई वाले इलाकों कम ही दिखते हैं।लेकिन सोलन के ओच्छघाट क्षेत्र के सन्होल पंचायत के क्यार गांव के युवा प्रदीप ने अपने घर में तीन हंस पाल रखे हैं।

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प्रदीप ने अपने हंसों के लिए घर के पास एक नहीं बल्कि दो दो पक्के तालाब भी बनवा रखे हैं। वे अपने एक मित्र से छह माह पहले तीन हंस के बच्चों को लेकर आए थे और अब ये हंस उनके साथ खूब हिल मिल गए हैं। प्रदीप अपे हंसों की देखभाल भी खूब करते हैं। महीने में एक या दो बार उन्हें नानवेज पार्टी दी जाती है।

प्रदीप ने अपने हंसों के लिए पहले घर से थोड़ा दूर जलकुंड बनाया था लेकिन वहां हंसों के लिए कुत्ते और बिल्ली जान के इदुश्मन बन गए थे, अब प्रदीप ने अपने घर से लगते हुए एक आठ फीट गहरा जल कुंड बनाया है। हंस एक आवाज पर इस जलकुंड में आ पहुंच जाते हैं।

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प्रदीप के हंस पालने की खबर लगते ही चंडीगढ़ से लेकर हिमाचल के अन्य इलाकों के हंस प्रेमी उनसे हंस के बच्चे लेने की मांग करने लगे हैं। प्रदीप कहते हें कि जानवरों को आजादी में घूमते देखता उन्हें अच्छा लगता है।

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फिलहाल पूरे इलाके में प्रदीप और उनके हंसों के चर्चे हैं।

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