वाह…मदरहुड चैतन्य, चंडीगढ़ में 100 से अधिक नवजात और बच्चों की सफल इमर्जेंसी सर्जरी, सोलन में आईवीएफ ओपीडी 25 मई से

सोलन। चंडीगढ़ के सैक्टर 44 में स्थापित मदरुिड चैतन्य हास्पिटल 25 मई से सोलन में आईवीएफ ओपीडी शुरू करने जा रहा है। इसके लिए चिकित्सालय ने सोलन के जेपी चिकित्सालय का सहयोग लिया है। आज यहां एक एक होटल में आयोजित पत्रकारवार्ता में मदरहुड चैतय के वरिष्ठ चिकित्यसकों व प्रबंधन प्रति​निधयों ने बताया कि यह हॉस्पिटल सोलन के कई पीडियाट्रिक इमर्जेंसी मामलों में सफलतापूर्वक इलाज करके चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब व हरियाणा के आसपास के शहरों में एक विश्वसनीय हॉस्पिटल बन गया है।

बाल रोग विशेषज्ञ एवं नियोनैटोलॉजिस्ट तथा सलाहकार डॉ. विमलेश सोनी ने बताया, “ एक शिशु का जन्म का जन्म सामान्य डिलीवरी द्वारा 29 सप्ताह की गर्भावस्था में हुआ था। इसका वजन 1.2 किलोग्राम था और यह गंभीर भ्रूण संक्रमण, कई अंगों के फेल होने और साँस की समस्या के कारण काफी परेशानी में था। हमारे एनआईसीयू ऑन व्हील्स में शिशु को सोलन से चंडीगढ़ तक 70 किलोमीटर एम्बुलेंस के सफर में बहुत सावधानी से केयर प्रदान की गई। इस सुविधा के तहत एक मोबाइल नियो नैटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) प्रयोग में लाई जती है। जो लंबी दूरी तक ले जाए जाने के दौरान नवजात शिशुओं को क्रिटिकल केयर प्रदान करती है।


गहन निगरानी और इलाज के बाद इस शिशु को 2 महीने के बाद स्वस्थ हालत में एनआईसीयू से छुट्टी दे दी गई। भारत में मल्टिपल ऑर्गन फेल्योर के साथ जन्म लेने वाले 10 नवजात शिशुओं में से कम से कम 4 से 5 का सफलतापूर्वक इलाज पूरा कर लिया जाता है। डॉ. विमलेश ने बताया कि चंडीगढ़ में एनआईसीयू ऑन व्हील्स के पहुँचने के बाद, देखा गया कि उसकी हालत अत्यंत गंभीर थी। उन्होंने नवजात शिशु को वैंटिलेटर पर रखा।

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चिकित्सालय में सफल सर्जरी के बाद स्वस्थ्स हुए बच्चों के माता पिता के साथ अभिभावक

उसके रक्तचाप में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहा था। लंबे समय तक उसकी हालत अस्थिर रही और उसे रक्तचाप नियंत्रित रखने के लिए कई दवाईयाँ देनी पड़ीं। उसके प्लेटेलेट्स की संख्या कम थी और उसे काफी खून निकल रहा था। इसलिए इस शिशु को खून भी चढ़ाना पड़ा।

इस शिशु को डाईलेटेड कार्डियोमायोपैथी (डीसीएम) भी थी, इस बीमारी में जिसमें हृदय की माँसपेशियाँ पतली हो जाती हैं, बाईं वेंट्रिकल होने के कारण हृदय का बायाँ चैंबर फैल रहा था, और हृदय प्रभावी तरीके से खून को पंप नहीं कर पाता, जिससे शरीर में पंप होने वाले खून की मात्रा कम हो रही थी। जिसके कारण उसे साँस की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं। अब बच्चा पांच साल का है और पूरी तरह से स्वस्थ है।


बाल रोग विशेषज्ञ डा. आशीष धार्मिक और डा. अशीष धारीवाल ने भी ऐसे ही दूसरे बच्चों की सफल कहानियां बाते हुए बच्चों और उनके माता पिता से मीडया की मुलाकात कराई।

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चिकित्सकों ने बताया कि मदरहुड चैतन्य हॉस्पिटल ने पीडियाट्रिक केयर में नए मानक स्थापित किए हैं, परिवारों को बेहतरीन इलाज द्वारा आशा की नई किरण प्रदान की है। यहाँ समर्पित टीम और अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ यह हॉस्पिटल सर्वश्रेष्ठ चाईल्ड केयर प्रदान करता है। उनका इनोवेटिव और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण बच्चों की विभिन्न समस्याओं के लिए क्रिटिकल सर्जरी और नियोनैटल केयर के साथ प्रभावी समाधान और सकारात्मक परिणाम प्रदान करता है।

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साथ ही इस हॉस्पिटल में विशेषज्ञ केयर और मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण पर बल देते हुए शिशु और माता-पिता को महत्वपूर्ण सपोर्ट प्रदान की जाती है, जिससे प्रदर्शित होता है कि यह हॉस्पिटल उत्कृष्टता का केंद्र है। उन्होंने बताया कि जेपी अस्पताल के सहयोग से सोलन क्षेत्र में जल्द ही मदरहुड चैतन्य हास्पिटल आइईवीएफ ओपीडी शुरू करने जा रहा है।

25 मई से इसकी शुरूआत होगी। चिकित्सालय क प्रमुख सलाहकार प्रजनन चिकित्सा और प्रजनन विशेषज्ञ डॉ. परमिंदर कौर इस आईवीएफ कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगी।

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