भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर ने करवाया डॉक्टर चंद्रधर शर्मा गुलेरी जयंती का आयोजन
सुमन डोगरा,बिलासपुर। भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर ने संस्कृति भवन बिलासपुर में ज़िला स्तरीय चंद्रधर शर्मा गुलेरी जयंती का आयोजन करवाया। कार्यक्रम में सेवानिवृत विभागाध्यक्ष गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर डा० लेख राम शर्मा ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की, जबकि अध्यक्षता सेवानिवृत ज़िला भाषा अधिकारी डा० अनीता शर्मा ने की। मंच का संचालन साहित्यकार तथा कवि रविंदर शर्मा ने किया।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों की भाषण, कविता वाचन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। भाषण प्रतियोगिता में वैष्णवी ने प्रथम स्थान कामेश डोगरा ने दूसरा स्थान प्राप्त किया तथा कविता वाचन में परिधि ने प्रथम स्थान तथा शौर्य शर्मा ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती की वन्दना से किया गया। कार्यक्रम को दो सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम सत्र में श्री कुलदीप चंदेल ने –कथा शिल्पी पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी विषय पर पत्र वाचन किया तथा रविंद्र भट्टा ने गुलेरी साहित्य पर प्रकाश डाला।
जिस पर साहित्यकारों द्वारा चर्चा परिचर्चा की गई। दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजित की गई। सन्देश शर्मा ने-मैं पत्थर हूँ जमाने से। जीत राम सुमन ने कदी- कदी करी लेयां याद मिंजो शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियाँ थी – “ज्युणे रा टैम जे देई देंदी मिंजो”। अमरनाथ धीमान ने – “पहली हि नजर में वो प्यार का पैगाम दे गए। “कर्मवीर ने- “आज अपने हि पराये हो गए”। रवीन्द्र कुमार शर्मा ने – “पवित्र मन में भगवान। “एस०आर० आजाद ने – मेघा गरजे बरखा बरसे। रविन्द्र कुमार शर्मा ने-कैसा समय आ गया, कैसा हुआ व्यवहार।” सुरेंदर मिन्हास ने :- “पुराणे जमाने च मत्ते प्रोणे आंदे जांदे थे। नरैणु राम हितैषी ने-घन घोर घटा नभ पर छाई” ने – सडका पर पकवान। केशव शर्मा ने यही सोचता हूँ मै।
अखिलेश चन्द्र जोशी ने –पावक ना होती सिर्फ शर में है। शीला सिंह ने –सत्कर्मों की सीख है मान रहे हर धर्म। तृप्ता देवी ने – बीना कसूर तो किसे नो ना बोल। सुषमा खजूरिया ने – धन्य माँ रूकमणि की कुर्वानी। कर्ण चंदेल ने – बिलासपुर – एक सिंहावलोकन। आदराम संख्यान ने –स्कूला रा सवाल। कविता सिसोदिया ने –एक अनूठी कहानी की रचना कर अमर हो गया एक साहित्यकार। शिवपाल गर्ग ने – दिल तोडना नी या टूटी गया अनजाने।
रचना चंदेल ने –इतिहास के पन्नों से उठाकर मुझे एक बात दोहरानी है। रेखा चंदेल ने –कजो आई सुनहरी पग्गां बनी के की बेटी अस्सां नई ओ भेजनी। रविंदर चंदेल ने- द्वीवेदी युग के प्रतिनिधि लेखक –उसने कहा था। सीता जसवाल ने – चमकता है चाँद और सितारे टीम तिमाते हैं। प्रकाश चाँद शर्मा ने पहाड़ी गीत प्रस्तुत किया। इसके अतिरक्त रविंदर भट्टा, सुमन चड्डा इत्यादि ने भी अपनी रचनाये प्रस्तुत की।
इस अवसर पर इन्द्र सिंह चंदेल, मुनीश कुमार, प्यारी देवी, इलियास, राकेश कुमार, अखिलेश कुमार, अंकित कुमार भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे। अंत में ज़िला भाषा अधिकारी श्रीमती रेवती सैनी ने सभी साहित्यकारों का इस गोष्ठी में रचनायें प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद किया।