नालागढ़ का रण : नालागढ़ में अरसे बाद हुआ जिसकी सरकार उसका विधायक, खुदा खैर करे
नालागढ़। नालागढ़ की जनता ने अप ने ऊपर लगे सरकार विरोधी विधायक को जिताने के दाग को धो डाला है। नालागढ़ के इतिहास में कुछ अपवादों को छोड़कर संभवत: यह पहला अवसर है जब जिस दल की सरकार है उसी दल के प्रत्याशी को यहां से जीत हासिल हुई है। कांग्रेस के बावा हरदीप ने भाजपा के प्रत्याशी कृष्ण लाल ठाकुर को 8990 वोटो से मात नालागढ़ सीट कब्जा जमाया है।
इस मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए बावा हरदीप सिंह ने कहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ठाकुर की सरकार की नीतियों की वजह से उन्हें इस बड़े मार्जन से जीत दर्ज हुई है। उन्होंने के क्षेत्र की जनता का आभार जताते हुए कहा है कि लोगों ने जो विश्वास उनमें दिखाया है इसे वह कायम रखेंगे और सरकार के साथ मिलकर नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में विकास को तीव्र गति से करवाना उनकी प्राथमिकता रहेगी।
इस मौके पर जीत दर्ज करने के बाद बावा हरदीप के समर्थकों ने ढोल नगाड़े एवं आतिशबाजी और पटाखे बजाकर खूब जश्न मनाया। इस मौके पर एक खुली गाड़ी में बावा हरदीप सिंह व उनके साथ दून से विधायक रामकुमार चौधरी ने बैठकर लोगों का आभार जताया। विजयी विधायक की टीम विजय जुलूस लेकर शहर में निकल पड़ी है।
खैर यह तो हुई बात बावा की विजय की। इससे पहले भी वे दो बार चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन विजय उनके हाथ से लगातार फिसलती रही थी। नालागढ़ के साथ एक रोचक तथ्य शुरू से चस्पा है। वह यह कि नालागढ़ की जनता ने हमेशा से सत्ताधारी दल का विरोधी विधायक चुन कर सदन में भेजा, कुछ मौकों पर ऐसा हुआ कि विधायक और सत्ता दोनों एक ही दल के थे लेकिन नालागढ़ के विधायक की कभी सीएम से बिगड़ जाती तो कभी वे स्वयं ही इस्तीफा देकर लौट आते।
राजा विजयेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट से भले ही जीतते रहे हों लेकिन उनकी कभी तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने बनी नहीं। नतीजा यह निकला कि नालागढ़ की झोली में मंत्री पद नहीं आ सका। फिर भाजपा के टिकट से हरिनारायण सिंह सैणी विधायक बने लेकिन उनकी तत्कालीन सीएम प्रेम कुमार धूमल से पटरी नहीं बैठी। हालांकि बहुत खींचतान के बाद उन्हें मंत्री पद मिला भी लेकिन जल्दी ही वे उसे भी ठुकरा कर लौट गए।
इसके बाद केएल ठाकुर भाजपा से विधायक बने तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई। जब लखविंद्र राणा को जनता को कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनकर भेजा तो प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई। अंतत: मामला निर्दलीय तक जा पहुंचा और गत चुनावों में जनता ने निर्दलीय केएल ठाकुर को विधायक चुना।
उन्होंने भी निर्दलीय विधायकों का गठबंधन बनाकरप्रदेश में काबिज सुक्खू सरकार को बाहर से समर्थन दे दिया। लेकिन यह युक्ति भी लंबी नहीं चल सही। 14 महीने बाद केएल ठाकुर ने अपने दोनों अन्य निर्दलीय विधायकों के साथ विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, भाजपा में शामिल हो गए।
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अपनी ही वजह से खाली हुई इस सीट पर वे भाजपा के टिकट पर फिर से उपचुनाव में कूद गए। आज उपचुनाव के नतीजे आए और जनता ने अपने पिछली सभी भूलों को सुधारते हुए कांग्रेस प्रत्याशी को जीत दिला दी है। हालांकि लोग दबी जुबान से गुटबाजी की शिगूफा यहां भी छोड़ रहे हैं।
लेकिन समय की मांग है कि तमाम अटकलों के बावजूद उम्मीद की जानी चाहिए कि नालागढ़ के कांग्रेसी विधायक और प्रदेश में काबिज सुक्खू सरकार पुराने अपवादों को झूठा साबित कर दे और नालागढ़ विकास की राह में दूसरे विधानसभा क्षेत्रों की तरह सरपट दौड़ने लगे।
आपको बता दें कि नालागढ़ विधानसभा के क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान बावा हरदीप सिंह को 34608,भाजपा प्रत्याशी कृष्ण लाल ठाकुर को25618,व निर्दलीय उम्मीदवार हरप्रीत सिंह सैनी को 13025 मत प्राप्त हुए है जिसमें बावा हरदीप सिंह ने भाजपा के प्रत्याशी कृष्ण लाल ठाकुर को 8990 मतो से मात देकर जीत दर्ज की है।