कांवड़ मेला : छोरों से कम नहीं हरियाणा की छोरियां, सात सहेलियां लाईं सातवीं कांवड़, खुशी लेकर आई 31 लीटर गंगाजल

मुजफ्फरनगर। खेल के मैदान पर छोरों को पछाड़ने वाली हरियाणा की बेटियां कांवड़ यात्रा में भी पीछे नहीं हैं। वे पांच से 51 लीटर तक गंगा जल की कांवड़ उठाकर शिवालयों की ओर बढ़ रही हैं। गंगाजल लेकर शिवालयों की ओर बढ़ रहीं इन महिला कांवड़ियों का कहना है कि भोले शंकर ने उनकी राह आसान कर दी है।

शहर के शिव चौक पर पहुंची हरियाणा के फरीदाबाद निवासी खुशी 31 लीटर गंगाजल लेकर आई हैं। वह कहती हैं कि करीब तीन सौ किमी की यात्रा है। साथ में परिवार के गौरव, राहुल और सोनू भी है। बिना किसी मन्नत के वह बाबा की मर्जी से कांवड़ लाए हैं। गंगाजल लेकर पहुंची भिवानी की संतोष कहती हैं कि पहली बार कांवड़ लाई हैं।

पहले उसके भाई यात्रा करते थे, लेकिन इस बार उसका भी मन हरिद्वार पहुंचने का हुआ। भगवान शिव ने उनकी हर मनोकामना पूरी की है। परिवार में सुख शांति है। दृढ इच्छा शक्ति हो तो को भी मुश्किल आपकी राह नहीं रोक सकती। फरीदाबाद की सरिता कहती हैं कि कांवड़ यात्रा संकल्प के साथ शुरू की थी।

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भगवान शिव ने सारी थकान दूर कर दी है। यात्रा में किसी तरह की मुसीबत सामने नहीं आई है। कोई विशेष मन्नत नहीं मांगी है।
अपनी बहन लक्ष्मी के साथ दिल्ली निवासी टीना भी 11 लीटर की कलश कांवड़ लेकर पहुंची। उन्होंने बताया कि वह दोनों बहने पहली बार कांवड़ लेकर आई है। अपने परिवार की खुशी और बाबा की भक्ति के लिए कांवड़ उठाई है।


दिल्ली निवासी महिला राजकुमारी अपनी बेटी राधिका के साथ कांवड़ ला रही है। उन्होंने बताया कि घर की सुख समृद्धि और बच्चों की खुशी के लिए वह कांवड़ लेकर आई है। उन्होंने हरिद्वार से गंगा जल उठाया है। बाबा के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। सात सहेलियां कांवड़ लेकर भोपा कांवड़ सेवा शिविर में पहुंची। सैनिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली हरियाणा के पलवल की ऊषा (70) इस बार अपनी सातवीं कांवड़ चढ़ाएंगीं।

वह कहतीं हैं कि भोले बाबा ने परिवार को सब कुछ दिया है। इस बार उसकी सातवीं कांवड़ वतन की आन-बान-शान को समर्पित है। पलवल जिले के गांव बोराका निवासी उषा ने बताया कि उसके पति सवाचंद सेना से सेवानिवृत हैं। तीन बेटे मुकेश, पवन, पुष्पेंद्र हैं। दो बेटे मुकेश व पवन अमेरिका में रहते हैं। तीसरा बेटा पुष्पेंद्र इंजीनियर है। बुधवार को वह अपनी सहेली बिमला, कमला, श्यामवती, जयदेई, बती, रामादेवी के साथ सेवार्थ क्लब व ग्रामीणों के सहयोग से लगाए गए भोपा शिविर में पहुंचीं।

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उनका कहना है कि भोलेनाथ ने उसे भरा पूरा परिवार अच्छा स्वास्थ्य दिया है। वह अब तक अपने भोलेनाथ के नाम से सात कांवड़ चढ़ा चुकी हैं। इस बार वह वतन की रक्षा करने वाले समस्त सैनिकों व वतन की आन-बान-शान के लिए कांवड़ चढ़ा रहीं हैं। सभी महिला कांवड़िनें किसान परिवार से हैं और खेती में हाथ बंटातीं हैं। शिविर में मास्टर अजय कुमार जैन, प्रदीप वालिया, राकेश कुमार, राम कुमार, अमित कश्यप, शैलेंद्र राठी, धर्मेंद्र कुमार, श्रीपाल महाराज, दिनेश लाला,सोम प्रजापति, मिंटू सैनी आदि ने स्वागत किया।

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कांवड़ियां उषा ने बताया कि वह अपनी सहेलियों के साथ जूनागढ़, द्वारकापुरी, जगन्नाथ, गोरखनाथ, सोमनाथ, वृंदावन, मथुरा-गोवर्धन आदि सहित 17 तीर्थ स्थल की यात्रा कर चुकी हैं, जिनमें गुजरात के जूनागढ़ में गिनार पर्वत की ऊंची चोटी स्थित दत्तात्रेय तीर्थ स्थल की 10 हजार सीढ़ियां चढक़र दर्शन कर चुकीं हैं।

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