शिमला न्यूज: इस साल हिमाचल में बनीं 85 दवाओं के सैंपल फेल, सालाना 12 हजार करोड़ का कारोबार

शिमला। हिमाचल में बन रही दवाओं के लगातार फेल हो रहे सैंपल से फार्मा हब के नाम से मशहूर हिमाचल का नाम खराब हो रहा है। इस साल अब तक प्रदेश में बनी 85 से अधिक दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं।

हिमाचल में प्रदेश सरकार जहां करोड़ों के बल्क ड्रग फार्मा पार्क के निर्माण के लिए प्रयासरत है, वहीं हर महीने फेल हो रहे दवाओं के सैंपल ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। हिमाचल में बन रही दवाओं के लगातार फेल हो रहे सैंपल से फार्मा हब के नाम से मशहूर हिमाचल का नाम खराब हो रहा है। हिमाचल में करीब 600 फार्मा कंपनियां सालाना 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करती हैं।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में एक के बाद एक हिमाचल में बनी दवाओं के सैंपल फेल हो रहे हैं। इस साल अब तक प्रदेश में बनी 85 से अधिक दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं। बीते साल भी जनवरी से लेकर जुलाई तक 107 दवाओं के सैंपल फेल हुए थे। इसके बाद सरकार ने टास्क फोर्स गठित कर दोषियों पर कार्रवाई करने का दावा किया था, बावजूद इसके दवाओं के सैंपल फेल होने का सिलसिला लगातार जारी है। दवा निर्माता कंपनियां मुनाफा कमाने के लिए सब स्टैंडर्ड दवाएं बना रही हैं। हिमाचल में बीबीएन, पांवटा साहिब, कालाअंब, सोलन, संसारपुर टैरेस, गगरेट, मेहतपुर व कुमारहट्टी औद्योगिक क्षेत्र हैं। जीवन रक्षक दवाओं के अलावा हार्ट, किडनी, बुखार, मधुमेह, एलर्जी, दर्द, सर्दी-जुकाम, बीपी, गैस, उल्टी, हड्डियों के दर्द, कान, आंख व दांतों के दर्द जैसी दवाओं के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं।

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सीडीएससीओ ने उठाए हैं हिमाचल में बन रहीं दवाओं पर सवाल
केंद्रीय दवा मानक एवं नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने प्रदेश में बनने वाली दवाओं के सैंपल फेल होने पर सवाल उठाए हैं। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएसओ) हर महीने राष्ट्रीय स्तर पर ड्रग अलर्ट जारी करता है। इसमें जिन दवाओं के सैंपल फेल होते हैं, उनकी सूची जारी की जाती है। बाजार में ये दवाएं उपलब्ध होने के कारण लोग इन दवाओं का सेवन कर लेते हैं क्योंकि सैंपल फेल होने के बाद ही इन दवाओं का स्टॉक वापस मंगवाया जाता है। इससे पहले यह दवाएं बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होती हैं।

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”दवाओं के सैंपल फेल होना चिंता का विषय है। सरकार ने दवा नियंत्रक को ऐसी कंपनियां के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं जिनके सैंपल लगातार फेल हो रहे हैं”-एम सुधा देवी सचिव स्वास्थ्य
बाजार से वापस मंगवाया फेल 20 दवाओं का स्टॉक
प्रदेश में अगस्त में 20 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इन सभी दवाओं के स्टॉक को बाजार से वापस मंगवा लिया है। सभी दवा उत्पादकों को नोटिस जारी कर लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। एक सप्ताह में सभी दवाएं वापस कंपनी में पहुंच जाएंगी। जिन कंपनियों में दवाओं के अधिक सैंपल फेल हुए हैं, अब वहां के कर्मचारियों को एक विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं दवा नियंत्रक अधिकारियों का कहना है कि सैंपल फेल होने के कारण गुणवत्ता ही नहीं कई अन्य कारण भी होते हैं। कई बार लेबल सही नहीं होता है। यही नहीं जहां पर स्टोर में दवा रखी होती है वहां पर तापमान की कंडीशन क्या है, इससे भी सैंपल फेल होना निर्भर करता है।

कितने आदमी थे.

अधिकारियों के अनुसार हिमाचल में दवाओं के सैंपल फेल होने की रेशो अन्य राज्यों से कम है। प्रदेश में केवल एक फीसदी दवाओं के ही सैंपल फेल हुए हैं जोकि अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम हैं। हिमाचल में दवा कंपनियों के 90 फीसदी सैंपल लिए जाते हैं जबकि देश के अन्य राज्यों के केवल दस फीसदी ही सैंपल लिए जाते हैं। हिमाचल की कंपनियों की बनी दवाओं की अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है। यही कारण है कि हिमाचल की 250 दवा कंपनियों को विदेशी एजेंसियों ने अप्रूवल दी है।

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प्रदेश में लिए जाते हैं 90 फीसदी कंपनियों से सैंपल
प्रदेश में दवाओं के सैंपल लेने की रेशो अन्य राज्यों से 9 गुणा अधिक है। 90 फीसदी सैंपल प्रदेश से उठाए जाते हैं। केवल 10 फीसदी सैंपल अन्य राज्यों से लिए जाते हैं। सैंपल फेल होने के बाद सभी दवाइयां बाजार से वापस मंगवाई जाती हैं। फेल होने के कारणों का पता लगाया जाता है। दोबारा सैंपल फेल न हों इसके लिए विभाग की ओर से औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं- मनीष कपूर राज्य ड्रग कंट्रोलर

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