सोलन ब्रेकिंग : मशरूम की प्लुरोटस सजोर-काजू प्रजाति के जनक डा. सीएल जंदैक का निधन

सोलन। जाने-माने मशरूम वैज्ञानिक और दुनिया को ढींगरी की प्लुरोटस सजोर-काजू प्रजाति देने वाले वैज्ञानिक डॉ. सीएल जंदैक दुनिया से विदा हो गए। वे 79 वर्ष के थे। वे अपने पीछे पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां छोड़ गए हैं। हिमाचल प्रदेश में मशरूम को बढ़ावा देने, वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करने और मशरूम क्रांति लाने वाले डॉ. सीएल जंदैक का नाम देश में अग्रणी मशरूम वैज्ञानिकों में लिया जाता है।


डॉ. सीएल जंदैक का जन्म शिमला जिला के चौपाल क्षेत्र के छोटे से गांव कलावन में 18 अप्रैल, 1945 को हुआ। शिमला जिला के सरकारी स्कूल देहा से प्रारंभिक शिक्षा ली। इसके बाद 1967 में एग्रीकल्चर कॉलेज सोलन, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। यहां पढ़ाई पूरी करने के बाद एमएससी और पीएचडी (आईएआरआई) नई दिल्ली से माइकोलॉजी और प्लांट पैथोलॉजी में (1970-1974)। एक वर्ष के लिए फोर्ट फाउंडेशन में माइकोलॉजी और प्लांट पैथोलॉजी विभाग, आईएआरआई, नई दिल्ली में प्रोग्राम एसोसिएट के रूप में कार्य किया।

सोलन: बारिश के बीच गुग्गापीर के दरबार में सैकड़ों भक्तों की हाजिरी#gugganavmi

यह भी पढ़ें 👉  सोलन न्यूज : ठोडो मैदान के पास बेहोश मिला युवक, चिकित्सकों ने किया मृत घोषित


पीएचडी की पढ़ाई के दौरान उन्होंने इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी (दिल्ली जोन) के काउंसलर का चुनाव लड़ा और जीता। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तब पहचान मिली जब 1974 में उन्होंने पहली बार मशरूम की प्रजाति प्लुरोटस सजोर-काजू मशरूम की प्रजाति ईजाद की। यह विज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक साबित हुआ जिसने विश्व स्तर पर प्लुरोटस उत्पादन में क्रांति ला दी।

कमजोर दिल वाले न देखें। बद्दी में हिंसक भीड़ का नंगा नाच, एक मारा गया। #viralvideo


डॉ. सीएल जंदैक सोलन में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के वनस्पति विज्ञान विभाग में जूनियर माइकोलॉजिस्ट मशरूम के रूप में अपनी सेवाएं शुरू की। मशरूम की एगारिकस बिटोरक्विस और प्लुरोटस एसपीपी की खेती के एडवांस प्रशिक्षण के सिलसिले में उन्होंने नीदरलैंड और पश्चिम जर्मनी का दौरा भी किया।
डॉ.जंदैक डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी में प्रोफेसर रहे।

यह भी पढ़ें 👉  काम की खबर : कल काठगोदाम की ओर जाना है तो यह खबर आपके लिए ही है

कंगना के बयान से भाजपा का किनारा और यह क्या कर दिया…#shorts

यहां उन्होंने विभिन्न पदों पर 1975 से वर्ष 2005 तक अपनी सेवाएं दी। उनके मार्गदर्शन में 5 एमएससी और 11 पीएचडी का मार्गदर्शन किया। छात्रों को मशरूम की खेती के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी गई। देश के एकमात्र डॉयरेक्टोरेट मशरूम रिसर्च सोलन के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा भी उनके चात्र रहे और उनके मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी पीएचडी कंपलीट की थी।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी ब्रेकिंग : पकड़ा गया यू ट्यूबर सौरव जोशी से फिरौती मांगने वाला 19 वर्षीय युवक


राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रिकाओं में उनके 95 शोध पत्र प्रकाशित हुए। इसके अलावा 5 पुस्तक अध्याय/समीक्षा लेख भी छपे हैं।

हल्द्वानी में बालक से गलत काम #shorts #haldwani


डॉ. आर.के. अग्रवाल के साथ 1986 में “भारत में मशरूम की खेती” नामक पुस्तक का संपादन किया। राष्ट्रीय स्तर की मशरूम अनुसंधान सुविधा स्थापित करने के अलावा, नौणी यूनिवर्सिटी सोलन के माइकोलॉजी और प्लांट पैथोलॉजी विभाग में मशरूम में विशेषज्ञता वाले स्नातक/स्नातकोत्तर छात्रों के लिए पाठ्यक्रम तैयार किए गए। अप्रैल, 2005 में माइकोलॉजी और प्लांट पैथोलॉजी विभाग, डॉ. परमार यूनिवर्सिटी नौणी मेंं प्रोफेसर एंड हैड के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।

मोदी की एक और चुनौती लाओ तराजू

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *