पितृ पक्ष में भूल कर भी इन चीजों का न करें दान, वरना पितृ होंगे नाराज

कुल्लू। सनातन धर्म में पितरों के लिए समर्पित पितृ पक्ष आज से शुरू हो गए हैं। ऐसे में पितृ अमावस्या के दिन पितृ पक्ष का समापन होगा. आज से लोग अपने पितरों के निमित्त दान पुण्य और श्राद्ध आदि कर्म करते हैं। सनातन धर्म के अनुसार पितरों के निमित्त दान पुण्य करने से व्यक्ति को जीवन में पितरों का आशीर्वाद मिलता है और कई प्रकार की बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है, लेकिन पितृ पक्ष में कुछ खास चीजों का भी ध्यान ऐरखना जरूरी है। वरना पितृ नाराज भी हो जाते हैं। पितृ पक्ष में व्यक्ति जहां कई चीजों का दान करता है, तो वहीं कुछ चीज ऐसी भी है जिसका दान करने से व्यक्ति को बचाना चाहिए।

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इन चीजों का नहीं करना चाहिए दान
आचार्य विजय कुमार का कहना है कि पितृ पक्ष में बर्तन भी दान किए जाते हैं, लेकिन इसमें लोहे के बर्तन दान नहीं किए जाते हैं. व्यक्ति को पीतल, सोने या चांदी के बर्तनों का दान करना चाहिए।
चमड़े से बनी वस्तुओं का भी पितृपक्ष में बिल्कुल उपयोग नहीं करना चाहिए. पितृपक्ष में चमड़े का प्रयोग करना भी अशुभ माना गया है।
पितृ पक्ष में हमेशा ब्राह्मणों को नए वस्त्र की दान करने चाहिए और पुराने कपड़े किसी को भी दान नहीं देने चाहिए. पुराने कपड़े दान करने से भी पितर नाराज होते हैं।
पितृपक्ष में जब भी पूजा करें तो किसी भी अनुष्ठान में काले रंग का इस्तेमाल न करें। इसके अलावा पितृ पक्ष में काले रंग के वस्त्र या फिर काला कंबल दान करने से भी व्यक्ति को बचना चाहिए।
पितृपक्ष में किसी भी तरह के तेल का दान नहीं किया जाता है। श्राद्ध के दौरान सरसों के तेल का भी दान नहीं करना चाहिए. इसके बदले में व्यक्ति देसी घी का दान कर सकते हैं।

पितरों को क्या करें अर्पित
आचार्य विजय कुमार का कहना है कि व्यक्ति को पितृ पक्ष में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पितरों को सिर्फ शुद्ध और ताजा भोजन ही अर्पित करना चाहिए। पितरों को गलती से भी झूठ या बचा हुआ खाना नहीं देना चाहिए. पितृपक्ष में अगर कोई जानवर या पक्षी आपके घर आता है तो उसे भोजन जरूर करवाना चाहिए। शास्त्रों में मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वज पक्षी या जानवर के रूप में मिलने आते हैं। ऐसे में जानवरों का तिरस्कार बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

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