सोलन न्यूज : सीएम से मिलकर उठाई सौर ऊर्जा बाड़बंदी योजना दोबारा शुरू करने की मांग

सोलन। खेत सुरक्षा बाड़बंदी ठेकेदार संघ के सदस्यों ने हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलकर सौर ऊर्जा बाड़बंदी योजना को दोबारा शुरू करने की मांग उठाई है। उनका कहना था कि इस योजना के तहत दस हजार से ज्यादा किसानों ने इस योजना के तहत बाड़बंदी के लिए आवेदन किया। योजना के बंद कर दिए जाने से किसान निराश हैं।


संघ के अध्यक्ष अजय ठाकुर और महासचिव विपन शर्मा के नेतृत्व में दर्जन भर से अधिक ठेकेदारों ने सीएम सुक्खू से भेंटकर अपनी समस्या रखी। उन्होंने कहा कि उन्होंने बाड़बंदी से संबधित करोड़ों रुपये का सामान खरीद रखा है और सरकार के योजना बंद कर दिए जाने से उनके सामने आर्थिक संकट आ गया है।


सीएम को ठेकेदारों ने बताया कि मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना में सौर बाड़बंदी की योजना 2016-2017 से हिमाचल प्रदेश के किसानो की फसल की सुरक्षा के लिए चली आ रही है। यह योजना किसानो की फ़सलों को जंगली जानवरों, आवारा पशुओं और बंदर रीछ इत्यादि बचाने के लिए शुरू किया गया था।

कृषि विभाग के अनुसार हर वर्ष किसानो की 500 करोड़ रुपये की फसलें जंगली जानवरों, आवारा पशुओं और बंदरों द्वारा नष्ट कर दी जाती है। हिमाचल प्रदेश में अधिकतर छोटे किसान है और इनकी और इनके परिवार की रोज़ी रोटी खेती पर निर्भर करती है। कुछ जगहों पर तो इन पशुओं का इतना आतंक है की किसानों ने अपनी ज़मीन पर फ़सले लगाना ही छोड़ दिया है और बरोजगारी की कगार पर है।

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वर्ष 2016-2017 मे इस योजना के तहत किसान के खेत में 9 तारे एक एक फ़ुट की दूरी पर लगाई जाती थी इस प्रकार की सौर बाढ़ बंदी बड़े पशुओं के लिए तो बहुत ही कारगर सिद्ध हुई परन्तु छोटे जानवर और बंदर इत्यादि इस एक फुट में से आसानी से अंदर घुस जाते थे और फ़सलों को नुकसान पहुंचाते थे।

इस तरह की बाड़ बंदी में एक समस्या और थी की इस बाड़ बंदी का रखरखाव बहुत ही मुश्किल था। जब भी छोटा पौधा या घास नीचे वाली करंट की तार जो ज़मीन के पास लगती थी उस करंट की तार को छू जाता था तो पूरी बाड़ का करंट बंद हो जाता था। इस प्रकार की बाढ़ बंदी लगाने के लिए हिमाचल सरकार किसानों को 60% का अनुदान देती थी।

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वर्ष 2017-2018 मे कृषि विभाग ने इस बाड़बंदी मे संशोधन किया और इस मॉडल को बदल कर 9 तारों को जगह 11 तारे लगवानी शुरू की।अब 11 तार की वजह से छोटे जानवर जैसे जंगली मुर्गा एवं बंदरों इत्यादी आने बंद हो गए परन्तु नीचे करंट की तार को घास या पौधे के छूने से करंट बंद होने की समस्या का कोई निजात नहीं निकला। इस प्रकार की बाड़बंदी लगाने के लिए हिमाचल सरकार किसानों को 80% का अनुदान देती थी।


वर्ष 2019 से लेकर मार्च 2024 तक कृषि विभाग ने फिर इस तरह की बाड़बंदी मे संशोधन कर कंपोजिट सोलर फेंसिंग की योजना चलाई। इस योजना के तहत जमीन से चार फुट ऊँची चैन लिंक जाली लगाई जाती है और फिर उसके ऊपर करंट की 3 तार लगाई जाती है। इस तरह की बाड़बंदी से न केवल बड़े छोटे जानवरों बल्कि बंदरो से भी फसल का बहुत अच्छा बचाव होने लगा साथ साथ नीचे चेन लिंक जाली लगी होने की वजह घास और पौधों को बाढ़ बंदी छूने से करंट बंद नहीं होता है। इस तरह कम्पोजिट सोलर फेंसिंग बहुत लोकप्रिय हो गई है और हर किसान इसको लगाने की होड़ में लग गया।

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वर्तमान में 5000 -10000 से अधिक किसानो ने इस तरह की बाड़बंदी को लगाने के लिए आवेदन किया हुआ है और हजारों किसान इसे लगाना चाहते है। इस बाड़बंदी के नतीजे बहुत ही उत्साहजनक रहे है और किसानों को बहुत लाभ मिला है।


पूरे विश्व में सौर बाड़बंदी ही एक ऐसा विकल्प है जो बंदरों से फ़सलों की रक्षा करने मे सक्षम है। हिमाचल प्रदेश की इस स्कीम की बाक़ी प्रदेशों ने बहुत सराहना की और कई प्रदेश इस तरह की बाड़बंदी को अपने राज्यों में शुरू करने लगे हैं।


अब जब सौर बाड़बंदी बहुत ही लोकप्रिय हो गई है तो वर्तमान सरकार ने सौर बाड़बंदी को बंद करने का बगैर किसानों से विचार विमर्श किए अपने आप बंद करने का निर्णय ले लिया है। सरकार जब इतनी बड़ी बड़ी स्कीमें चला रही है तो किसानों के हित में एक छोटी सी 35 करोड़ की स्कीम को बंद करने का औचित्य समझ नहीं आ रहा। उन्होंने सरकार से किसानों के हित में इस योजना की शीघ्र अति शीघ्र दोबारा लागू करने की मांग उठाई है। ।

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