ब्रेकिंग न्यूज : सीपीएस मामले में हिमाचल सरकार को सुप्रीम राहत, विधायकी भी नहीं जाएगी

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश सरकार को सीपीएस मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिलती दिख रही है। पूर्व सीपीएस विधायक पद पर बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सीपीएस रहे विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा। इन पर उच्च न्यायालय के निर्णय का पैरा 50 लागू नहीं होगा। मामले में शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को दो सप्ताह का नोटिस दिया है।


दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने भाजपा पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भाजपा के नेताओं को करारा जवाब है। भाजपा लगातार सरकार को कमजोर करने में लगी है।

भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के नेता गलत सलाह देने में लगे हैं।सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। बता दें, हिमाचल प्रदेश के सीपीएस कानून से जुड़ीं अलग-अलग याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। हिमाचल सरकार की ओर से मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे हैं।

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सभी याचिकाओं में हिमाचल हाईकोर्ट के 13 नवंबर के फैसले को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के 18 वर्ष पुराने सीपीएस कानून 2006 को अवैध-असांविधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद छह विधायकों अर्की से संजय अवस्थी, दून से राम कुमार चौधरी, पालमपुर से आशीष बुटेल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, बैजनाथ से किशोरी लाल और कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर को मुख्य संसदीय सचिव के पद से हटना पड़ा है।

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शीर्ष अदालत में सरकार की ओर दायर याचिकाओं में कहा गया है कि मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिव के पद 70 वर्षों से भारत और 18 सालों से हिमाचल में हैं। याचिका में दलील दी गई है कि हिमाचल सरकार ने गुड गवर्नेंस और जनहित के कार्यों के लिए सीपीएस नियुक्त किए थे।

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