हल्द्वानी : मोदी सरकार हठधर्मिता छोड़कर कृषि कानून वापस ले : जंगी
हल्द्वानी। किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर अखिल भारतीय किसान महासभा व भाकपा (माले) द्वारा मोतीनगर में कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध प्रकट किया गया। गौरतलब है कि किसानों द्वारा 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाया जा रहा है क्योंकि पिछले साल 5 जून को कोरोना काल के बीच ही कृषि कानून बनाने के लिए विधेयक पास किया था। इसके साथ ही 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा देते हुए देश में जन आंदोलन खड़ा किया था। इसलिए ही 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने का फैसला लिया गया है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से मांग की गई कि किसान विरोधी-जन विरोधी तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाय व स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप किसानों को लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर खरीद की गारंटी करने का कानून बनाया जाय।
इस अवसर पर अखिल भारतीय किसान महासभा के संयोजक बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “किसानों की जमीन छीनकर अंबानी-अडानी सरीखे कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने वाले मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का ऐतिहासिक देशव्यापी आंदोलन सरकार द्वारा डाले जा रहे तमाम अवरोधों के बावजूद मजबूती से जारी है। यह आंदोलन ऐतिहासिक महत्व ग्रहण कर चुका है और दिनों दिन मजबूत हो रहा है।” उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार द्वारा लाये गए विनाशकारी कृषि कानून न केवल किसानों व किसानी को तबाह कर देंगे, बल्कि आम जनता खासकर असंगठित मजदूरों, बेरोजगारों, ग्रामीण व शहरी गरीबों को खाद्य सुरक्षा से भी वंचित कर देंगे क्योंकि इन कानूनों में खाने की वस्तुओं को बाजार और जमाखोरी के हवाले कर दिया गया है।”
जंगी ने कहा कि, “मोदी सरकार किसान विरोधी कानूनों पर अपनी हठधर्मिता छोड़े और देश के किसानों की बात सुनकर तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। अन्यथा मजबूती से चल रहे किसान आंदोलन के चलते उनको अपने कदम वापस खींचने पर मजबूर होना ही पड़ेगा।”
भाकपा (माले) जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार के शासनकाल में बड़े पूजीपतियों की मौज और किसानों व आम मेहनतकश जनता का अस्तित्व ही संकट में पड़ गया है। कोरोना से निपटने में भी मोदी सरकार की नाकामी सर्वत्र उजागर हो चुकी है। कुल मिलाकर यह सरकार अपने हर फैसले में जनविरोधी साबित हुई है इसलिए इस सरकार से निजात पाना देश के लिए बेहद जरूरी हो गया है।”
इस अवसर पर बहादुर सिंह जंगी व डॉ कैलाश पाण्डेय के अतिरिक्त ऋषिपाल सिंह, चानन सिंह, हरबंस सिंह, दलबीर सिंह आदि मौजूद रहे।