हल्द्वानी ब्रेकिंग : ट्यूशन पढ़ाने के बहाने युवती का दो साल तक शारीरिक शोषण करता रहा कथित पत्रकार गिरफ्तार
हल्द्वानी। बनभूलपुरा पुलिस ने एक तथाकथित पत्रकार को अपनी ही छात्रा के साथ रेप के आरोप में गिरफ्तार कया है। मामला बनभूलपुरा थाना क्षेत्र का है। बताया जा रहा है कि वह स्वयं को एक हिंदी दैनिक का संवाददाता बताता था। उसपर अपनी ही ट्यूशन की छात्रा के साथ दो साल तक डरा धमका कर रेप करने का आरोप है। पुलिस ने ससे पहले युवती का मेडिकल भी कराया। पिछले कुछ ही दिनों में जिले में तथाकथित पत्रकारों के जेल जाने का यह तीसरा मामला है। इससे पहले एक पत्रकारिता के नाम पर रंगदारी वसूीली और दूसरा एक वृद्ध महिला की जमीन धोखाधड़ी से बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अब बलात्कार के मामले में तीसरे शख्स की गिरफ्तारी से सवाल उठने लगे हैं कि हल्द्वानी व आसपास के क्षेत्रों में पत्रकारिता में अपराधिक मानसिकता के लोगों के सक्रियता के कैसे रोका जाए।
पहले कहानी बलभूलपुरा में कल रात गिरफ्तार किए गए शख्स की। बताया गया है कि यह व्यक्ति स्वयं को आरटीआई कार्यकर्ता भी बताता था, इसके साथ ही पिछले कई महीनों से वह मोहल्ले की एक युवती को ट्यूशन पढ़ाने के नाम पर अपने घर बुलाता था। युवती का आरोप है कि वह पिछले दो साल से उसके साथ जबरदस्ती कर रहा है। इस बीच कुछ दिन पहले युवती के पेट में दर्द हुआ तो उसकी मां ने ट्यूटर को ही दवाई लाने के लिए कहा। इस पर उसने दवा लाने से इंकार कर दिया। युवती को मां को यह बात अखर गई। उसने एक दो बार और दवाई लाने के लिए कहा लेकिन वह युवती की मां पर झल्ला गया। उसने यहां तक कह दिया कि वह किसी का नौकर नहीं है। दरअसल कथत पत्रकार को युवती के गर्भवती होने की गलत फहमी हो गई। बात बिगड़ी तो युवती ने अपनी मां को पूरी कहानी सुना दी।
इसके बाद युवती की मां बेटी को लेकर सीधे बनभूलपुरा पुलिस थाने जा पहुंची और देर सायं कानूनी कार्रावाई के बाद आखिरकार पुलिस ने कथित पत्रकार और कथित आरटीआई कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लिया। यह पूरी कार्रावाई सीओ शांतनु परासर की देखरेख में हुआ। गिरफ्तार व्यक्ति के पास से एक दैनिक समाचारपत्र का परिचयपत्र भी मिला है।
हम आपको बता दें कि इससे पिछले एक महीने के अंतराल में पुलिस ने दो अन्य कथित पत्रकारों को भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया है। इनमें से कोविड कर्फ्यू के दौरान दुकान खोल कर बैठे एक दुकानदार से खबर रुकवाने के नाम पर साढ़े तीन हजार रूपये वसूल ले गया था, यह मामला लालकुआं का था, जबकि दूसरा एक वृद्धा से धोखाधड़ी करके उसकी जमीन लाखों में बेचने के आरोप में जेल में गया था।
फर्जी पत्रकारों पर नकेल कसने के तमाम दावों के बीच इस प्रकार की घटनाएं पत्रकारिता को तो बदनाम कर ही रही हैं प्रशासनिक व पुलिस की पत्रकारिता की निगरानी पर भी सवाल खड़े कर ही रहीं है। तीनों ही मामलों में कथित पत्रकारों के पास किसी ने किसी समाचार पत्र का परिचय पत्र मिलने की बातें सामने आई है इससे साबित होता है कि समाचार पत्र प्रबंधन व्यक्ति के चरित्र की जांच किए बगैर ही उसे अपना संवाददाता होने का सर्टिफिकेट यानी परिचय पत्र जारी कर रहे हैं, और ऐसे लोग इन परिचय पत्रों की आड़ में अपराधिक कामों को अंजाम दे रहे हैं। दूसरी ओर पत्रकारों से जुड़ें संगठनों में भी ऐसे लोगों को सदस्यता आसानी से मिल जाती है।