एक्सक्लूसिव…#अल्मोड़ा : जानिए अल्मोड़ा जेल के बैरक नंबर सात में क्या हुआ था 4 अक्टूबर को, एसटीएफ के छापे की पूरी कहानी सत्यमेव जयते.कॉम की जुबानी

अल्मोड़ा। यहां की जिला जेल से रंगदारी का धंधा चलने की सूचना के बाद पड़े छापे से पूरा प्रदेश हैरान और परेशान है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि जिन अपराधियों को सजा देने के लिए जेल में भारी सुरक्षा के बीच रखा जाता है वे उसी जेल से जरायम की किताब के नए अध्याय जोड़ने में कैसे मशगूल हो जाते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं, अल्मोड़ा जेल में 4 अक्टूबर को पड़ी एसटीएफ की रेड की पूरी कहानी।


तारीख : 4 अक्टूबर, स्थान : एसएसपी कार्यालय अल्मोड़ा, समय लगभग सवा दो बजे दोपहर,एसएसपी पंकज भट्ट अपने कार्यालय में बैठे हैं। अचानक दो कारों में सवार एसटीएफ की टीम वहां पहुंचती है। टीम के इंचार्ज इंस्पेक्टर महेंद्र पाल सिंह कुछ साथी पुलिस सब इंस्पेक्टरों के साथ एसएसपी कार्यालय के भीतर पहुंचते हैं। हाथ में कुछ कागजों की फाइल है। एसएसपी भीट्ट के सामने फाइल रख दी जाती है।


इंस्पेक्टर महेंद्र पाल सिंह मुतैना के नेतृत्व में एसटीएफ की टीम में शामिल एसआई केजी मठपाल, बृजभूषण गुरूरानी, हवलदार प्रकाश भगत, कांस्टेबल गोविन्द सिंह, महेन्द्र गिरी, किशोर कुमार, संजय कुमार, गुणवन्त सिंह, प्रमोद रौतेला, सुरेन्द्र कनवाल सरकारी बोलेरो यूके-06 जीए-0174 एवं एक निजी कार से एसएसपी कार्यालय अल्मोड़ा में पहुँचे हैं । इंस्पेक्टर महेंद्र बताते हैं कि कारागार अल्मोड़ा में बंद एक दोषसिद्ध बन्दी कलीम के बारे में एसटीएफ को शिकायत मिल रही है कि वह जेल के भीतर से ही आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हैं। खबर थी कि कलीम मोबाईल फोन के माध्यम से व्यापारियों को डरा धमकाकर अवैध वसूली कर रहा है। इस खबर पर एसटीएफ के एसएसपी ने चार टीमों का गठन किया था। इनमें से एक टीम को जिम्मेदारी दी गई थी कि टीम अल्मोड़ा जिला कारागार में कार्रवाई करे। इस टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टर महेंद्र पाल सिंह को सौंपा गया। बाकी की 3 टीमों की कमान इंस्पेक्टर अबुल कलाम, रवि सैनी व उप निरीक्षक विपिन बहुगुणा को सौंपी गई।

कोरोना अपडेट…#उत्तराखंड : कोरोना ने फिर मारा उछाल,22 नए मामले मिले, सात की घर वापसी, पिथौरागढ़ में एक कोरोना संक्रमित ने दम तोड़ा

4 अक्टूबर को यहां एसएसपी को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराते हुए जिला कारागार अल्मोडा में तलाशी के लिए राजपत्रित अधिकारी एवं मजिस्ट्रेट नियुक्त करने के लिए आग्रह किया गया। एसएसपी ने पुलिस उपाधीक्षक अल्मोड़ा राजेंद्र सिंह रौतेला को तलाशी की कार्यवाही हेतु नामित किया कर दिया। एसएसपी के लिखित आग्रह पर जिलाधिकारी अल्मोडा ने तहसीलदार अल्मोड़ा संजय कुमार मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किए गए। एसएसपी ने अल्मोड़ा एसओजी प्रभारी नीरज भाकुनी को भी एसटीएफ टीम के साथ तैनात कर दिया।

सराहनीय… #भीमताल : ध्येय संस्था अध्यक्ष राहुल निस्वार्थ भाव से कर रहे समाज की सेवा — टम्टा

उनके पास उनका निजी लैपटॉप भी था। एलआईयू के निरीक्षक कमल कुमार पाठक एवं थानाध्यक्ष सोमेश्वर राजेन्द्र सिंह बिष्ट भी एसटीएफ की टीम के साथ अपने वाहन से जेल की की तलाशी में सहयोग करने के लिए निकल पड़े। उधर भतरौजखान के थाना प्रभारी अनीस अहमद सरकारी चालक सूरज बोरा के साथ और एसओजी टीम के सदस्य एसओजी टीम के सदस्य सिपाही दीपक खनका, दिनेश नगरकोटी, भूपेन्द्र पाल चालक राजेश भट्ट चालक देवेन्द्र राणा, संदीप सिंह ने भी अपने वाहनों में जेल के लिए कूच कर दिया।एसटीएफ की टीम तीन बजे के आसपास एसएसपी कार्यालय से निकली और तकरीबन साढ़े तीन बजे जेल के मुख्य गेट पर पहुंच गई। यहां सीओ अल्मोड़ी राजेन्द्र सिंह रौतेला और तहसीलदार संजय कुमार पहले से ही मौजूद थे।

👍धन्यवाद शिवम…#देहरादून : शिमला बायपास पर सड़क पर मिला शैडयूल 1 में सूचीबद्ध
फ्लैपशेल कछुआ


दो मिनट के अंदर पूरी टीम जेल अधीक्षक के कार्यालय में थी। प्रभारी जेल अधीक्षक संजीव सिंह ह्यांकी उस वक्त अपने कार्यालय में ही थे। टीम ने जिलाधिकारी व एसएसपी द्वारा जारी किए गए आदेशों की प्रतियां दिखाते हुए एसटीएफ निरीक्ष महेंद्र पाल सिंह ने कलीम के बारे में जानकारी मांगी। ह्यांकी ने बतया कि कलीम को जेल की गैरक नंबर सात में रखा गया है। इस औपचारिकता को पूरा करने में आधा घंटा बीत गया होगा। इसके बाद जेल अधीक्षक संजीव सिंह ह्यांकी एवं पुलिस उपाधीक्षक, तहसीलदार मजिस्ट्रेट और एसटीएफ तथा पुलिस की पूरी टीम लगभग चार बजे बैरक नंबर सात में पहुंची। इस बैरक के बारे में जेल अधीक्षक से टीम ने जानकारी जुटा ली थी। बैरक में कुल 45 बंदियों को रखा गया है, जिनमें से 5 को कोर्ट में पेशी के लिए भेजा गया है।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी ब्रेकिंग : पकड़ा गया यू ट्यूबर सौरव जोशी से फिरौती मांगने वाला 19 वर्षीय युवक

🙂सफलता…#देहरादून: उत्तराखंंड एसटीएफ ने झारखंड से दबोचा साइबर अपराधी


तकरीबन पांच मिनट में टीम बैर​क नंबर सात में दाखिल हुई। बैरक में कुछ बंदी उपस्थित थे बाकी बैरक के बाहर धूप सेंक रहे थे। एसटीएफ,एसओजी और पुलिस की टीम ने वहां मौजूद कैदियों से उनका नाम पूछकर एक एक करके उनके बिस्तर एव उनके पास मौजूद सामान की तलाशी लेनी शुरू कर दी।सबसे पहले बैरक के दरवाजे के बांयीं तरफ बिस्तर में मौजूद कैदियों की ताशी ली गई। यहां अभिनन्दन सिंह और उसकी बगल में मौजूद प्रदीप अस्थाना की तलाशी ली गई। उनके पास से कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिसे संदिग्ध कहा जा सके। बैरक के बाँयी तरफ के कोने वाले बिस्तर पर ऋषिकेश की जाटव बस्ती निवासी बन्दी महिपाल सिंह बैठा था।

🙂खुशखबरी…#देहरादून:समूह ग में 423 पदों पर खुली भर्ती, युवाओं के लिए सुनहरा मौका

वक्त लगभग चार बजकर 35 मिनट हो चला था। महिपाल के बिस्तर के सिराहने में रखे काले रंग के बैग के अन्दर पुलिस को ऐसा कुछ मिला जिससे साफ हो गया कि जिस आपरेशन को करने के लिए टीम यहां पहुंची है उसकी सफलता अब तय है। बैग में एक पट्टे के नीचे 500 रूपये के नोटों की गड्डी मिली। गिनने पर यइनकी संख्या 254 निकली। इसमें एक दो हजार का नोट भी मिला। इस तरह पुलिस को महिलापाल के बैग से एक लाख 29 हजार रूपये बरामद हुए।

👍जायजा…#ऋषिकेश: सीएम ने एम्स का किया निरीक्षण, कल आएंगे पीएम मोदी

अब टीम के लिए आगे का काम कुछ आसान हो चला था। महिपाल से बरामद रकम के बारे में जानकारी मांगी गई तो उसने ठीक सामने के बिस्तर पर लेटे कैछी कलीम की ओर इशारा कर दिया। उसने बता दिया कि कलीम ने हरिद्वार के किसी व्यापारी को फोन पर धमका कर यह रूपये मंगाए हैं। बकौल महिपाल यह नोट ललित भट्ट ने कलीम को और कलीम ने महिपाल को सहेज कर रखने के लिए दिए थे। ललित भअ्ट के बारे में पूछताछ में महिपाल ने बताया कि वह जेल की गाड़ी का चालक है। एसटीएफ टीम ने बैग को कब्जे में ले लिया।

👍शिकंजा…#देहरादून: आईएमए के पास से फर्जी सैन्य अधिकारी गिरफ्तार


अब एसटीएफ की टीम का रूख महिपाल के सामने बिस्तर पर मौजूद बन्दी की ओर था। पूछताछ में उसने अपना नाम कलीम अहमद निवासी मौहल्ला किला थाना मंगलौर जनपद हरिद्वार बताया।
अधिकारियों ने कलीम की तलाशी लेनी शुरू की। उसके पहने निकर की दाहिनी जेब से एक की पैड वाला मोबाईल फोन बरामद हो गया। नीला व आसमानी रंग का सैमसंग ड्यूस कंपनी का यह मोबाइल डबल सिम वाला था। अधिकारियों ने इस फोन का आईएमईआई नम्बर नोट कर लिया। फोन के अंदर वीआई लिखा हुआ एक सिम पड़ा मिला। इसका सीरियल नंबर भी अधिकारियों ने नोट किया।अब बारी थी कलीम के सामान की तलाशी की।

🙏तर्पण…#हरिद्वार: गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने किए अपने पित्रों के श्राद्ध, उमड़ा सैलाब

उसके बिस्तर के सिरहाने के पास दो हॉट केस रखे थे। हॉट केस मिल्टन कम्पनी थे। कलीम से पूछा गया कि यह किसके हैं तो उसने इन्हें अपना बताया। पुलिसकर्मियों ने हॉटकेसों की बारीकी से पड़ताल की तो दोनों हॉट केसों के तले का प्लासटिक के ढक्कन खुल गए। इन दोनों हॉटकेसों के तलों में लगे थर्माकोल को मोबाईल के साईज में काटकर दो एन्ड्रायड मोबाईल फोन फिट किए गए थे। जिन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया। इनमें से एक मोबाइल रियल मी कंपनी का था यह मोबाइल फोन चार कैमरों से युक्त था। इसकी स्क्रीन पर टेप से जिओ कम्पनी का सिम चिपका हुआ मिला। सिम का नम्बर पुलिस अधिकारियों ने नोट कर लिया। अब आरी दूसरे मोबाइल की थी। उसकी जांच की गई तो उस पर कंपनी का नाम रेड मी लिखा था। मोबाइल का कलर नीला था। इसमें दो कैमरे लगे थे। इसके स्क्रीन पर दो सिम टेप से लगाए गए मिले। इसमें एक एयरटेल कंपनी का था दूसरा जिओ का। अधिकारियों ने इनके नंबर भी नोट कर लिए।

यह भी पढ़ें 👉  शिमला न्यूज : हमीरपुर, ऊना व बद्दी को नगर निगम बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट ने किया पास

कल से शुरू हो रहे हैं नवरात्र,सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली मां भगवती की ऐसे करें आराधना


बिस्तर के नीचे सिराहने की तरफ एक काले रंग का मोबाईल चार्जर मिला। इस पर केबल जुड़ी थी। प्लग पर नीले सफेद रंग की तार के साथ टेप से पिन जोड़ी गयी है एवं एक सफेद रंग की डाटा केबल व एक काले रंग की ऑक्स केबल व एक सफेद रंग का यूएसबी कार्ड कनैक्टर भी मिला। यही नहीं ब्लूटूथ आरओएचएस कम्पनी व एक सैमसंग कम्पनी का सफेद रंग का ईएर फोन व सैमसंग कम्पनी की ही फोन की एक छोटी बैटरी और एक लाल रंग का बेलनाकार स्पीकर भी मिला। जिसमें एक माईक्रो एसडी कार्ड लगा मिला। अब शाम के पांच बज चुके हैं।

👍खुशखबरी…#हल्द्वानी : गांधी आश्रम के उत्पादों में 25 प्रतिशत तक की छूट

अधिकारियों ने बरामद सामान के बारे में ‘कलीम भाई’ से फौरी पूछताछ शुरू की। कलीम ने बताया कि मैं इन तीनों मोबाईल फोन और सिम को अवैध रूप से धन की वसूली किये जाने हेतु लोगों को कॉल के माध्यम से धमकाने के लिए प्रयोग करता हूँ। उसने बताया कि वह जानता है कि व्हाट्सअप की काल् को ट्रेक नहीं किया जा सकता है। इसलिए वह इस छोटे की पैड वाले फोन के सिम को अपने एंड्रायड मोबाईल फोन में व्हॉटसएप में रजिस्टर करके व्हाटसएप के माध्यम से ही कॉल करके लोगों से धन की वसूली के काम में प्रयोग करता था। और फिर व्हाटसएप को फोन से अनइस्टाल कर दिया करता था । उसने बताया कि धमकाने पर लोग डर कर फिरोती की रकम को जिला कारागार अल्मोड़ा में चालक के पद पर नियुक्त उसके विश्वासपात्र ललित भट्ट के मार्फत उस तक तक पहुँचाते । उसने रहस्य उगल दिया कि कुछ रूपये उसने भ्ज्ञअ्ट के एसबीआई बैंक के खाते में आन लाइन भी ट्रांसफर कराए थे। फिरौती की रकम ललित भट्ट के पास आने के बाद वह उस रकम को कलीम को नगद जेल में उसकी बैरक में आकर दे देता था । महिपाल के बैग से बरामद एक लाख 29 हजार रूपये की रकम भी ललित ही लाया था।


अब तक एसटीएफ को अपने आपरेशन में काफी हद तक सफलता मिल चुकी थी। फिर भी पूरी बैक की पड़ताल करनी आवश्यक थी। एसटीएफ व पुलिस की टीम ने अगले कैदी खमानी सिंह, जयदत्त मैलकानी, दरवाजे के दाहिनी तरफ बिस्तर में मौजूद राजेन्द्र कश्यप, विक्की आर्या आदि की तलाशी भी ली। लेकिन कोई संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई। बैरक के रहने वाले अन्य बन्दियों के सामान की तलाशी ली गयी लेकिन कोई संदिग्ध वस्तु बरामद नही हुयी। बाकी बंदी बैरक के आंगन में बैठे थे। इस पूरी प्रकिया में साढ़े 5 बज चुके थे। इस बीच बैरक में ही दरवाजे के कोने में एक स्थान पर रखे गये प्लास्टिक के कैरेट में रखे गये बरतनो को चैक करने पर उसमें रखे एक नीले आसमानी रंग के मिल्टन के टिफिन के अन्दर लगे नीले रंग के डिब्बे के अन्दर का थर्माकोल काटकर उसकी तली में काले रंग की छोटे-बड़े 6 गोल बत्तीनुमा काले रंग का ठोस पदार्थ मिल गया। यह चरस थी। पुलिस कर्मियों ने सूंघ कर इस बात की तस्दीक की।

यह भी पढ़ें 👉  सोलन न्यूज : नौणी विश्वविद्यालय में पीपीपी मोड के तहत एग्री इन्क्यूबेशन सेंटर हुआ शुरू

😭दुखद…#हल्द्वानी:जंगल में मिला लापता किशोरी का शव


हालांकि टिफिन की लिखे कंपनी के नाम और चरस को छिपाने के तरीके से इशारा मिल गया कि यह चरस किसकी हो सकती है, लेकिन किसी भी कैदी ने इस टिफिन पर अपना अधिकार नहीं जताया। अब बड़ा सवाल था कि चरस को तौला कैसे जाए, इसके लिए एक पुलिसकर्मी को बाहर भेजकर तराजू मंगाने का निर्णय लिया गया। एसओजी अल्मोड़ा के सिपाही दीपक खनका को जेल से बाहर भेजा गया। समय लगभग 6 बजकर दस मिनट हो चुका था। खनका इलेक्ट्रानिक तराजू लेकर 6बजकर 50 मिनट के आसपास जेल में पहुंचे। यह तराजू कोतवाली से मंगाया गया था। राजपत्रित अधिकारी व मजिस्ट्रेट के सामने इस चरस को तौला जिसका वजन 36 ग्राम निकला। अब मामला एनडीपीएस एक्ट का भी हो गया था। पुलिस की टीम ने चरस को सील कर दिया। बाकी सामान भी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में सील करा जा रहा था।

👍काम की खबर…#हल्द्वानी : अब बस स्टैंड से नैनीताल रोड पर नहीं निकलेंगी रोडवेज की बसें, नया यातायात प्लान तैयार

इस बीच एसटीएफ निरीक्षक महेंद्र पाल सिंह का मोबाइल बजने लगा। दूसरी ओर एसटीएफ की दूसरी टीम के इंचार्ज इंस्पेक्टर अबुल कलाम थे। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा जिला कारागार में बंद ‘कलीम भाई’ नामक कैदी के चार गुर्गों को उनकी टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। उनके नाम सद्दाम, नदीम, अक्षय एवं साहिब कुमार हैं। यह सभी शूटर हैं और तमंचे के साथ दबोचे गए हैं। इन्होंने पूछताछ में बताया है कि वह चारों लोग आज अल्मोड़ा जेल में बंद ‘कलीम भाई’ के कहने पर हरिद्वार एवं देहरादून के कुछ लोगों को जान से मारने के लिए आए हुए थे। इसकी योजना कलीम ने अल्मोड़ा जेल में रहते हुए बनायी थी। पूछताछ में चारों बताया कि उन्होंने लोगों से व्हाटसएप कॉल के माध्यम से सम्पर्क कर कुछ लोगों से फिरौती की रकम लेकर अपने विश्वसनीय ललित भट्ट एवं अतुल वर्मा के खातों में डालने हेतु कहा था इन लोगों के कलीम ने पैसा न दिए जाने पर फायर करने को कहा था। इससे पूर्व भी कलीम ने ललित भट्ट और अतुल वर्मा के खातों में फिरौती की रकम डलवाई थी जो रकम ये लोग कलीम को जेल में पहुँचाते थे।

🥱जेल से धंधा…#अल्मोड़ा :प्रभारी जेल अधीक्षक, प्रधान बंदीरक्षक समेत चार निलंबित


समय गुजरता जा रहा था और सटीएफ, एसओजी और पुलिस की टीम को अल्मोड़ा जेल की बैरक नंबर सात के ‘कलीम भाई’ नामक ताले की चाबी मिल चुकी थी। इसलिए जिला कारागार अल्मोड़ा में नियुक्त उपनल कर्मी ललित भट्ट को जेल के भीतर बुलाकर उससे फौरी पूछताछ की गई। उसने पूछताछ पर अपना नाम ललित मोहन भट्ट पुत्र स्व0 शंकर दत्त भट्ट निवासी ग्राम गणाऊँ पोस्ट बिरखम तहसील जैंती थाना लमगड़ा जिला अल्मोड़ा बताया। उसने बताया कि कलीम अहमद द्वारा माँगी गयी फिरौती की रकम जो कलीम के आदमियों द्वारा उस तक नकद या उसके खते में डलवा दी जाती थी। उस रकम को वह जेल के अन्दर कलीम तक पहुँचाने का कार्य करता था।उसे रात साढ़े 10 गिरफ्तार कर लिया गया।

अंतरराष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय का अंतर,आप भी तो नहीें कर रहे थे यह गलती?JOURNALISM MANTRA

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *