नौणी विवि में फसल कीटों के जैविक नियंत्रण पर वार्षिक कार्यशाला हुई आरंभ
सोलन। फसल कीटों के जैविक नियंत्रण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 33वीं वार्षिक समूह बैठक आज डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में शुरू हुई। विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो (आईसीएआर-एन॰बी॰ए॰आई॰आर॰), बेंगलुरु के सहयोग से इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
इस बैठक में आईसीएआर संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य जैविक नियंत्रण प्रयोगशालाओं और उद्योग के 70 से अधिक वैज्ञानिकों और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कार्यशाला का उद्देश्य 2023-24 के दौरान विभिन्न जैविक नियंत्रण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना केंद्रों द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा करना है।
पहले दिन आईसीएआर-एनबीएआईआर में जैविक नियंत्रण पर अनुसंधान:
प्राकृतिक शत्रुओं की जैव विविधता और फसल कीट प्रकोप रिपोर्ट विषय पर महत्वपूर्ण तकनीकी सत्र आयोजित हुआ।
पहले तकनीकी सत्र के दौरान, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने किसी भी नई कीट रिपोर्ट को प्रकाशन से पहले सत्यापन के लिए आईसीएआर-एनबीएआईआर को प्रस्तुत करने के महत्व पर जोर दिया। प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि यदि किसी नए कीट की घटना चिंताजनक है और स्थापित रोकथाम प्रोटोकॉल के भीतर इसका प्रबंधन नहीं किया जा सकता है, तो ही इसे वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जाना चाहिए।
मुख्य चर्चाएँ फसल-आधारित कंसोर्टिया के विकास, कीटों, बीमारियों और पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले राइजोबैक्टीरिया (पीजीपीआर) के लिए जैव नियंत्रण एजेंटों को शामिल करने पर भी केंद्रित रहीं। जैव नियंत्रण एजेंटों के बीच अनुकूलता सुनिश्चित करना और रासायनिक कीटनाशकों के साथ उनकी अनुकूलता का मूल्यांकन करने पर ज़ोर दिया गया। वैज्ञानिकों ने जैव नियंत्रण एजेंटों पर उच्च तापमान, विविध आर्द्रता और यूवी विकिरण के प्रभावों पर अध्ययन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
बैठक के दौरान, विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और आईसीएआर संस्थानों के वैज्ञानिक विभिन्न कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं, आक्रामक कीटों की जैव विविधता और जैव नियंत्रण एजेंटों का उपयोग करके फसल कीटों के प्रबंधन पर अपने काम को प्रस्तुत करेंगे और चर्चा करेंगे।