बागेश्वर ब्रेकिंग : आंदोलनरत सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने को एसपी को भेजी तहरीर, पढ़िए पूरी खबर
बागेश्वर। जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ धरने पर बैठे कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्य से मिलने पहुंचे जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव द्वारा दिखाया जाए पंचायती राज एक्ट और पंचायत सदस्यों के पास उपलब्ध पंचायती राज एक्ट में अंतर का मामला अब तूल पकड़ गया है। आंदोलनरत जिला पंचायत सदस्यों ने बागेश्वर के एसपी और डीएम को ज्ञापन भेजकर जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने की मांग की है।
अपने ज्ञापन में जिला पंचायत सदस्यों ने लिखा है कि वे जिला पंचायत परिसर बागेश्वर में पिछले कई दिनों से विभिन्न मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। 30 जून को भी सभी सदस्य धरने पर बैठे थे तभी जिला पंचायत कार्यालय में अध्यक्ष बसंती देव पहुंची। उसके बाद उपजिलाधिकारी जोगिंदर सिंह तहसीलदार नवाजिश अली, नायब तहसीलदार दीपिका आर्य भी वहां पहुंच गए। उप जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष बागेश्वर की आंदोलनरत सदस्यों की वार्ता करवाई गई। वार्ता स्थल पर बसंती देव, उप जिला अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कार्यवाहक अपर मुख्य अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी के अलावा मीडिया के भी बहुत से लोग उपस्थित थे। वार्ता शांतिपूर्ण चल रही थी इसी दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव ने अपने साथ लाई गई एक पंचायती राज अधिनियम 2016 की पुस्तक निकालकर धारा 112 को खोला और उसे पढ़ने लगी जिसमें लिखा गया था कि जिला पंचायत की धारा 112 के 12 के उपखंड के अंतर्गत गठित समितियों का कार्यकाल 2 वर्ष के लिए होगा।
ज्ञापन में कहा गया है कि जब जिला पंचायत अध्यक्ष ने यह तथ्य पढ़कर सुनाया तो आंदोलनरत सदस्यों ने उसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत के गठन के समय जो पंचायती राज अधिनियम 2016 की प्रति उन्हें दी गई थी। उसमें यह तथ्य नहीं है और ना ही बाजार में उपलब्ध पंचायती राज अधिनियम तथा पंचायती राज विभाग की वेबसाइट में इस तथ्य का जिक्र किया गया है। इसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष बागेश्वर के पास अलग और जिला पंचायत सदस्य के पास अलग पंचायती राज एक्ट पर विवाद होने लगा। उप जिलाधिकारी बागेश्वर से सभी आंदोलनरत सदस्यों ने आग्रह किया कि वह असली पंचायती राज एक्ट की प्रति मंगवाएं और शंका का समाधान करें। जिस पर तहसीलदार बागेश्वर ने अपना मोबाइल खोलकर पंचायती राज अधिनियम 2016 को देखा तो उसमें भी समितियों का कार्यकाल 2 वर्ष के लिए होने वाली बात नहीं लिखी थी। इसके बाद आंदोलनरत जिला पंचायत सदस्यों ने उप जिलाधिकारी से आग्रह किया कि वह तुरंत जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके पास उपलब्ध पंचायती राज एक्ट को सीज करवाएं और इस पूरे मामले की जांच करवाएं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और वे वार्ता स्थान से उठकर चले गए।
इसके बाद 1 जुलाई को सभी सदस्यों ने पंचायती राज के विभागों से पंचायती राज एक्ट की प्रतियां एकत्र की और उनका मिलान जिला पंचायत विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध एक्ट से करवाया लेकिन कहीं पर भी समितियों का कार्यकाल 2 वर्ष के लिए होने का जिक्र नहीं मिला। इस तथ्य से पुख्ता हो गया के जिला पंचायत अध्यक्ष के पास जो पंचायती राज एक्ट की पुस्तक है। उसमें फर्जी ढंग से समितियों का कार्यकाल 2 वर्ष लिखा गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि पंचायती राज एक्ट की धारा 112 के उपखंड में कूट रचित तरीके से उपबंध लिख कर आम जनता व सम्मानित सदस्यों के साथ धोखाधड़ी की गई है। जो कानूनन अपराध है। उन्होंने लिखा है कि पंचायत जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष ने कार्यवाहक अपर मुख्य अधिकारी सत्य प्रकाश कोठियाल के साथ मिलकर सभी प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में यह धोखाधड़ी की, जो कि अपराध की श्रेणी में आता है। जिला पंचायत बागेश्वर द्वारा इस अपराध के लिए उन पर मुकदमा दायर किया जाए और कानूनी कार्रवाई प्रारंभ की जाए।
ज्ञापन में जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार, जिला पंचायत सदस्य वंदना ऐठानी, हरीश ऐठानी, सुरेंद्र खेतवाल, इंदिरा परिहार व रूपा कोरंगा आदि ने हस्ताक्षर किए हैं। ज्ञापन के प्रति एसपी बागेश्वर को और दूसरी प्रति बागेश्वर के जिलाधिकारी को भेजी गई है।
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