ब्रेकिंग : हालात बता रहे हैं कि देश को आज की सबसे बुरी खबर के लिए भी तैयार रहना होगा, उत्तराखंड के लोगों की नजरें इसलिए टिकी हैं टीवी पर
नई दिल्ली। राजनाथ सिंह का संसद में आज हुए हेलीकाप्टर हादसे पर कुछ भी बोलने से पहले इस समय अपने साउथ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय से जानकारी जुटाने के बाद संसद में पहुंच गए हैं। जिस तरह की जानकारियां आ रही हैं उससे तो यही लग रहा है कि राजनाथ इस घटनाक्रम की सबसे ज्यादा दुखदायी खबर देने जा रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर जनरल विपिन रावत व उनकी पत्नी के साथ हुई अनहोनी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
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लेकिन जिस तरह से देश में अचानक माहौल बना है उससे तो यही लग रहा है कि सोशल मीडिया पर लगाए जा रहे कयास सही ही हैं। कुछ ही देर में राजनाथ सिंह संसद में इस पूरे घटनाक्रम से पर्दा उठाएंगे। तब ही जनरल विपिन रावत व उनकी पत्नी के हालात के बारे में कुछ दावे से कहा जा सकेगा। फिलहाल इस हादसे में 11 लोगों की मौत की खबर की सेना ने पुष्टि कर दी है। लेकिन किन लोगों की मौत हुई यह साफ नहीं किया गया है।दरअसल जनरल रावत उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले थे।
उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चौहान राजपूत परिवार में हुआ । ये परसई या परसारा रावत हैं ,जो गढ़वाल के उत्तराखंड के चौहान राजपूतो की शाखा है। जनरल रावत की माताजी परमार वंश से है। इनके पुर्वज मायापुर/हरिद्दार से आकर गढवाल के परसई गांव मे बसने के कारण परसारा रावत कहलाये । रावत एक मिल्ट्री टाईटल है जो विभिन्न राजपूतों को गढ़वाल के शासको द्दारा दिये गये थे ।
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इनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत, जो सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए। रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की थी। रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी , देहरादून से शिक्षा ली , जहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ़ ऑनर ‘ दिया गया।
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वह फोर्ट लीवनवर्थ , यूएसए में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज , वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के स्नातक भी हैं। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में एमफिल , प्रबंधन में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया है। 2011 में, उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय , मेरठ द्वारा डॉक्टरेट ऑफ़ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया। इसीलिए उत्तराखंड के लोग इस हादसे के बारे में सबकुछ जानने के लिए उत्सुक हैं।
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