नालागढ़ न्यूज : जगतपुर पंचायत में फ्री बीपीएल परिवारों के दावों की खुली पोल!
नालागढ़। ग्राम पंचायत जगतपुर में फ्री बीपीएल परिवारों के दावों की पोल एक बुजुर्ग महिला व उसका पति खोलकर रख दी है। दोनों ही बुजुर्गों का कहना है कि देश को आजाद हुए 75 वर्ष से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन आज भी वह गुलामी व नर्क की जिंदगी जीने को मजबूर है। उनका कहना है कि वह जगतपुर पंचायत में पिछले 50 वर्षों से रह रहे हैं और यहीं पर वह अपनी एक झुग्गी – झोपड़ी बनाकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन इन 50 वर्षों में ना तो उन्हें पीएम आवास योजना का कोई लाभ मिल पाया है और ना ही सीएम आवास योजना से ही उन्हें कोई मदद मिल सकी।
उनका एक बीपीएल परिवार के तहत राशन कार्ड भी बना हुआ था लेकिन पंचायत पूर्व में रहे प्रधान द्वारा बीपीएल परिवार से भी उनका नाम काट दिया गया है। पंचायत प्रतिनिधि अपनी पंचायत को फ्री बीपीएल परिवार होने का दावा कर रहे थे, लेकिन अभी भी गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले दर्जनों लोग इस पंचायत में रहते हैं। इसके चलते उन्हें बीपीएल के तहत मिलने वाली सुविधाएं भी बंद हो चुकी है और अब एक बार फिर यह बुजुर्ग महिला वह उसका पति एक-एक दाने के लिए मोहताज हो चुका है। बीपीएल में नाम दर्ज करवाने के लिए प्रशासन और सरकार के चक्कर काट रहे हैं।
आपको बता दें कि इस बारे में जब हमसे इस पंचायत के कुछ ग्रामीणों ने संपर्क किया और इन बुजुर्गों की हालत के बारे में बताया गया तो सत्यमेव जयते डॉट कॉम की टीम ने मौके पर पहुंचकर बुजुर्ग महिला और उसके पति से बातचीत की तो वह दोनों ही रोने लगे। उन्होंने बताया कि वे किस तरह से विषम परिस्थितियों में जिंदगी जीने को मजबूर है।
दोनों ही बुजुर्गों का कहना है कि ना तो उनके यहां पर लाइट है और ना ही कोई पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय उन्हें मिला है।बुजुर्गों का कहना है कि उनका नाम बीपीएल में था जिसके तहत सरकार की कुछ सुविधाएं मिल रही थी और वह अपना गुजारा कर रहे थे लेकिन पिछली बार रहे पंचायत प्रधान ने किसी के कहने पर उनका नाम बीपीएल परिवार से काटकर अपनी पंचायत को फ्री बीपीएल परिवार बताया था और कहा था कि उनकी पंचायत में कोई भी गरीबी रेखा के नीचे व्यक्ति नहीं रहा है।
जिसके चलते उनकी पंचायत बीपीएल फ्री परिवार हो चुकी है पीड़ित बुजुर्गों का कहना है कि वह अकेले ही नहीं उसके अलावा भी लोग यहां पर गरीबी रेखा के नीचे हैं और वह पिछले 4 सालों से सरकार और प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं।
इस बारे में जब हमने उनके वार्ड पंच से बातचीत की तो उनका कहना है कि पिछली पंचायत के दौरान उनका नाम बीपीएल परिवार से काटा गया था और यहां पर पूर्व प्रधान ने इस पंचायत को फ्री बीपीएल परिवार घोषित किया था। उनका कहना है कि मौजूदा प्रधान की देखरेख में एक नया प्रस्ताव पारित किया गया है और सरकार को भी उन्हें द्वारा बीपीएल परिवारों में दर्ज करने की मांग उठाई गई है। उन्होंने कहा कि अकेला एक ही परिवार बीपीएल से वंचित नहीं है इसके अलावा भी दर्जनों परिवार ऐसे हैं जिन्हें बीपीएल परिवारों से नाम काटा गया है।
यहां सबसे बड़ा सवाल पंचायत के पूर्व में रहे प्रतिनिधियों पर उठ रहा है कि एक तो इन दोनों बुजुर्गों की उम्र 70 से 75 वर्ष हो चुकी है और इस उम्र में इन्हें दिखाई भी कम दे रहा है और वह मजदूरी भी नहीं कर सकते और उन्हें अपने पालन पोषण की भी चिंता सताने लगी है और यहां पर राजनीति करने वाले लोगों पर देखना होगा अब सरकार और प्रशासन की ओर से क्या कार्रवाई की जाती है क्योंकि किसी बड़े राजनीतिक षड्यंत्र के तहत इन बुजुर्गों का नाम बीपीएल परिवार से हटाया गया है।