अल्मोड़ा— मेंस्ट्रुअल हेल्थ, हाईजीन एवं अवेयरनेस विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन, पर प्रो मनराल ने कहा मासिक धर्म से जुड़ी भ्रतियां का करना होगा समूल उन्मूलन
अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में मेंस्ट्रुअल हेल्थ, हाईजीन एंड अवेयरनेस विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शनिवार को समापन को हो गया है।
समापन अवसर पर सेमीनार को संबोधित करते हुए शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने कहा कि मासिक धर्म को लेकर समाज में मौजूद सामाजिक भ्रतियां व सामाजिक कुरीतियों को मिलकर समूल उन्मूलन करना होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आज के समय में बेहतर मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट्स को स्वीकार करना चाहिए। मेंस्ट्राउल कप व जैविक पैड इस्तेमाल करने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
डाॅ नीलम ने उत्तराखंड के अलग अलग क्षेत्रों में फैली मान्यताओं और कुरीतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा की पुरुषों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। उन्होंने सभी से सोच संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों में उनकी सहायता करने की अपील की और सामाजिक कुरीतियों से सभी से मिलकर लड़ने का आह्वाहन किया।
डाॅ संगीता पवार ने कहा कि शिक्षा संकाय को सैनेटरी पैड फ्री बनाने का लक्ष्य रखा था आज वह चरित्रार्थ हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा संकाय के प्रशिक्षु किशोरियों को मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल की सही जानकारी देकर सोच संस्था के बच्चों ने सराहनीय काम किया है। कहा कि ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं की सही जानकारी उपलब्ध और जरूरी सामग्री पहुॅचाना हम सबका नैतिक कर्तव्य है। इस मौके पर पीरियड सिमुलेशन एक्टिविटी, मासिक धर्म थीम रिलेटेड चित्रकला प्रतियोगिता आदि भी कराई गई। इसके बाद छात्र छात्राओं ने अपने मासिक धर्म से जुड़े अनुभवों को छात्रों के साथ साझा किया। साथ ही इस सत्र में शोधार्थियों और अध्यापकों के द्वारा शोध पत्रों का वाचन भी किया गया।
महिला विशेषज्ञ डा. श्वेता चैहान ने मासिक धर्म से जुड़े वैज्ञानिक पहलुओं पर बात की और सभी छात्राओं को मेंस्ट्रुअल कप से अवगत करवाया। मेंस्ट्रुअल कप को इस्तेमाल करने के तरीकों और उसके फायदों के बारे में बताया। तत्पश्चात डॉ. स्वेता ने छात्राओं के प्रश्नों के जवाब भी दिए। जितेंद्र बिष्ट ने संस्था द्वारा शिक्षा संकाय में किए गए सर्वे का डाटा एनालिसिस कर सभी के सामने उसका रिजल्ट प्रस्तुत किया। मयंक पंत ने मेंस्ट्रुअल कप को बेहतर विकल्प के रूप में छात्रों के मध्य प्रस्तुत किया और छात्रों को डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से सामाजिक भ्रांतियों को लेकर अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीलम द्वारा किया गया।
इस अवसर पर प्रो जया उप्रेती, प्रो इला साह, प्रो. मधुलता नयाल, कार्यक्रम में प्रो सुशील कुमार जोशी, डा डीएस बिष्ट, डाॅ भास्कर चैधरी, डाॅ ममता असवाल, डाॅ अरविंद अधिकारी, डॉ. पारुल सक्सेना, डॉ. पूरन जोशी, डॉ. योगेश मैनाली, डॉ. रविंद्र नाथ पाठक, मयंक पंत, आशीष पंत, राहुल जोशी, बीएड-एमएड छात्र छात्राएं और शोधार्थी आदि मौजूद रहे।