उत्तराखंड का इतिहास: कार्बेट का सबसे बड़ा टाइगर था बैचलर ऑफ पवलगढ़, जिम ने किया था ‘शांत’, इसके बाद छोड़ दी हंटिंग, जानें कौन थे जिम
रामनगर। 25 जुलाई को विश्व प्रसिद्ध एडवर्ड जिम कॉर्बेट की जयंती है। उनसे जुड़ी कई कहानियां रामनगर, छोटी हल्द्वानी के म्यूजियम में देखने को मिलती हैं। इसी म्यूजियम में बैचलर ऑफ पवलगढ़ से जुड़ी यादें भी देखने को मिलती हैं। ये एक ऐसा टाइगर था जिसका शिकार जिम ने किया था। बाद में उन्होंने उसे बैचलर ऑफ पवलगढ़ की उपाधि दी थी। इस टाइगर के शिकार के बाद ही एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने हंटिंग छोड़ दी थी।
बैचलर ऑफ पवलगढ़
बता दें विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम विश्व विख्यात महान शिकारी एडवर्ड जिम कॉर्बेट के नाम पर पड़ा था। एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने जीव-जंतुओं और जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्हें उत्तराखंड के लोगों को आदमखोरों से बचाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 33 आदमखोरों को मार गिराया। बाद में सबसे महान वन्यजीव संरक्षकों में से एक बन गए। इन आदमखोरों को मारने को लेकर कई रोचक कहानियां अपनी किताब मैन ईटर ऑफ कुमाऊं में लिखी हैं। बैचलर ऑफ पवलगढ़ की कहानी इन्ही में से एक है।
विश्व प्रसिद्ध एडवर्ड जिम कॉर्बेट
इस बारे में वन्य जीव प्रेमी व कॉर्बेट ग्राम विकास समिति के सचिव मोहन पांडे बताते हैं कि एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने लगातार मवेशियों को निवाला बना रहे पवलगढ़ क्षेत्र में सबसे लंबे टाइगर को मारा था। उन्होंने उसको मारने के बाद छोटी हल्द्वानी में म्यूजियम कंजू के पेड़ के आघे रखा था। जिसे उन्होंने बैचलर ऑफ पावलगढ़ नाम दिया। जिसको उन्होंने (1920–1930) में मारा था। यह असामान्य रूप से बड़ा नर बंगाल टाइगर था। जिसके बारे में कहा जाता है कि वह 10 फीट 7 इंच (3.23 मीटर) लंबा था। जिसकी पूरी जानकारी म्यूजियम में पढ़ने को मिलती है। वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल बताते हैं ब्रिटिश शिकारी जिम कॉर्बेट ने 1930 की सर्दियों में बैचलर ऑफ पवलगढ़ को गोली मारकर मार डाला था। बाद में अपनी 1944 की किताब मैन-ईटर्स ऑफ़ कुमाऊं में उन्होंने इसकी कहानी बताई।
कौन थे जिम कार्बेट
इस बारे में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वॉर्डन अमित ग्वासाकोटि कहते एडवर्ड जिम कॉर्बेट महान शिकारी थे। उन्होंने टाइगर को मारने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह इस इलाके के ग्रामीणों, मवेशियों को लगातार निवाला बना रहा था। ग्रामीणों के दबाव के बाद उन्होंने टाइगर को मारने का फैसला लिया। यह सबसे बड़ा बाघ था। इसे मारने के बाद एडवर्ड जिम कॉर्बेट को बड़ा दुख हुआ। इसके बाद उन्होंने हंटिंग छोड़ दी।
नैनीताल में जन्मे थे जिम कॉर्बेट
गौर हो कि एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था। नैनीताल में जन्मे होने के कारण जिम कॉर्बेट को नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों से बेहद लगाव था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में ही पूरी की। अपनी युवावस्था में जिम कॉर्बेट ने पश्चिम बंगाल में रेलवे में नौकरी कर ली, लेकिन नैनीताल का प्रेम उन्हें नैनीताल की हसीन वादियों में फिर खींच लाया।