गाय की पाठशाला-3 : दूध निकालते समय बरती जाने वाली सावधानियां

एक परिचय — हमारे इस साप्ताहिक कॉलम में गौपालन से संबधित जानकारी दे रहे हैं देहरादून के नत्थनपुर में अपनी गाय की पाठशाला चला रहे राजेश मधुकांत, आप वरिष्ठ पत्रकार हैं और गाय की डेयरी ही नहीं चला रहे वरन इसे नए स्वरूप में लोगों के सामने पेश भी कर रहे हैं। लोग उनसे हर रोज इस व्यवसाय को अपनाने के गुर सीखने आते हैं। आज से आपके लिए हम ला रहे हैं इस क्षेत्र में पदार्पण करने के इच्छुक युवाओें के लिए राजेश मधुकांत के टिप्स…

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¤ दूध सदैव मवेशी के पाँव बांधकर ही निकालना चाहिए ।
¤ दूध निकालने से पूर्व थन को अच्छी तरह पानी से धोना चाहिए ।
¤ इसके उपरांत साफ सूती कपडे से थन पौंछने चाहिए।
¤अब दूध निकालना चाहिए।
¤ दूध निकालते समय थन में चिकनाहट पैदा करने के लिए सरसों का तैल नहीं लगाना चाहिए।क्योकि सरसों का तैल कई बार थन में चिरचिराहट मचा देता है।
इसके स्थान पर दूध का ही इस्तेमाल करना चाहिए
¤ दूध सदैव थन को मुट्ठी में पकड़कर ही निकालना चाहिए अंगूठे से दबाकर दूध निकालने से कई बार थन खराब भी हो जाते हैं
¤ दूध निकालने के उपरांत थन पर पोटेशियम परमैगनेट उपचारित जल का स्प्रे करना चाहिए ।
¤ दूसरी गाय का दूध निकालने से पूर्व हाथों को अच्छी तरह धो लेना चाहिए ।
¤ दूध निकालने के आधे घण्टे तक मवेशी को बैठने नहीं देना चाहिए इससे थनैला होने की संभावना रहती है।
¤ दूध निकालते से पहले और बाद में मवेशी को प्यार से सहलाना चाहिए।
¤ यदि मवेशी दूध देते समय लात मार रहा हो या उछल कूद मचा रहा हो तो उसे चौकर आदि खाने को देना चाहिए।
¤ मवेशी को कभी भी मारना नहीं चाहिए ।

गाय की पाठशाला, देहरादून द्वारा जनहित में जारी

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