सोलन…फिलफाट के अभिनय-2024 में देश की संस्कृति और नाट्य विधाएं उतरीं एक मंच पर

सोलन। फिलफाट फोरम सोलन की ओर से आयोजित 36वीं आखिल भारतीय डान्स- ड्रामा गीत संगीत प्रतियोगिता के अन्तर्गत बुधवार को 2 नाटकों व 18 एकल नृत्य जिसमें ओडिसी, सम्लबपुरी, पंजाबी गिद्दा, सेमी कलासीकल आदि नृत्य शामिल थे। 6 प्रतिभागियों ने गायन व वादन में भाग लिया। इसके अतिरिक्त विभिन्न 6 प्रान्तों के समूह व लोक नृत्य प्रस्तुत किए गए।

इससे पहले नाटकों की प्रतियोगिता में पहला नाटक ऊषा सांस्कृतिक एवीएम समाजिक संस्था वाराणसी द्वारा मुन्शी प्रेम चंद की अमर कृति “सदगति” पर अधारित नाटक साईत- सगुन प्रस्तुत किया गया जिसका निर्देशन बाद अमरेश ने किया। जिसमें असलम शेख ने पंडित, नीलम सिंह ने झुरिया, प्रवीण सिंह ने दुखिया, शशि प्रकाश ने चिखुंडी व करन राजभर ने चण्डीदास की भूमिका अभिनित की।

दूसरी प्रस्तुति युनाइटेड आर्टिस्ट पटियाला की ओर से हास्य नाटक भागवत् अजुकम प्रस्तुत किया गया। जिसका निर्देशन रमणीक घुम्मन ने किया। नाटक में शांडिल्य के रूप में रमणीक घुम्मन, बसन्त सेना के रूप में गुरनूर कौर, यमदूत के रूप में इन्दु ने प्रभावित किया।


इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे सोलन के जिला उपायुक्त मनमोहन शर्मा ने कहा कि देश भर की संस्कृति और और भाषाओं पर आधारित फिलफोट के अभिनय कार्यक्रम की साल भर से सोलनवासियों को प्रतीक्षा रहती है। उन्होंने कहा कि देश भर की संस्कृति को समझने के लिए यह अच्छा अवसर होता है। उन्होंने आयोजकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि फिलफॉट के सदस्यों के प्रयासों से लगातार यह आयोजन भव्य होता जा रहा है।

जिला उपायुक्त के सामने ही खुल गई आडिटोरियम की पोल
जिला उपायुक्त मनमोहन शर्मा के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद जैसे ही प्रतियोगिता की पहली प्रस्तुति शुरू हुई। इतने में आडिटोरियम की लाइट चली गई। काफी इंतजार करने के बाद विद्युत व्यवस्था ठीक तो हो गई, लेकिन इस बीच डीसी के सामने आयोजकों ने इतने बड़े आडिटोरियम में एक जैनरेटर की व्यवस्था का मुद्दा उठा दिया। जिला उपायुक्त भी इस बात को जानकर हैरान थे कि भाषा विभाग ने यहां एक अदद जैनरेटर की उचित व्यवस्था भी नहीं है। बताया गया कि इस आडिटोरियम के सबसे निचले तल पर जैनरेटर रखा गया है। लाइट जाने की स्थिति में उसे स्टार्अ करने में पंद्रह से बीस मिनट का समय लग जाता है। इससे चलता हुआ कार्यक्रम प्रभावित होता है।

इसके अलावा कार्यक्रम से ठीक पहले अचानक हुई ओलावृष्टि से आडिटोयिम की एक और गड़बड़ी भी खुल कर सामने आ गई। दरअसल जब बारिश हो रही थी तब आडिटोरियम के अंदर बारिश की आवाज इस स्तर तक बढ़ गई थी मंच पर होने वाली प्रस्तुतियों की आवाज दर्शकों सुनाई ही नहीं पड़ रही थी। ऐसे में लोग कह रहे थे कि आडिटोरियम को इस तरह से साउंड प्रूफ बनाया गया है कि बाहर की आवाज तो अंदर आती है लेकिन अंदर की आवाज बाहर नहीं जा सकती।

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