सावधान… #डेल्टा और ओमिक्रॉन मिलकर बना सकते हैं डेल्मिक्रॉन, तूफानी होगी रफ्तार, होगा कहीं ज्यादा घातक, यूरोप में तो नहीं फैल रहा डेल्मिक्रॉन, समझें क्या है नई चुनौती
सत्यमेव जयते डेस्क
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कोरोना को नए वेरियंट ने अपने जाल में फंसाना शुरूकर दिया है। कोरोना के इस नए वेरियंट को विज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन नाम दिया है। लेकिन बहुत से वैज्ञानिक दुनिया भर में पैर पसार रही महामारी के पीछे ओमिक्रॉन को नहीं बल्कि कोरोना के सुपर स्ट्रेन डेल्मिक्रॉन (Delmicron) को दोषी मान रहे हैं। दरअसल डेल्मिक्रॉन कोरोना का नया वेरियंट नहीं बल्कि डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरियंट के मिलने से बना नया स्ट्रेन है। इअसीलिए इसकी गति डेल्टा और ओमिक्रॉन से कहीं ज्यादा है। आइये जनते हैं डेल्मिक्रॉन क्या है।
एक ही व्यक्ति में डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों के संक्रमण से पैदा होने वाली स्थिति को ही डेल्मिक्रॉन कहा जा रहा है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग-डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों ही वैरिएंट से संक्रमित हो सकते हैं। इन लोगों के शरीर में डेल्टा और ओमिक्रॉन के वायरस मिलकर नया सुपर स्ट्रेन डेल्मिक्रॉन बन रहा है। इसकी गति दोनोें ही वेरियंटों से कहीं ज्यादा है।
माना जा रहा है कि डेल्मिक्रॉन में डेल्टा और ओमिक्रॉन के जुड़वां स्पाइक प्रोटीन हैं। दोनों वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन होने की वजह से ही डेल्मिक्रॉन ज्यादा असर दिखा रहा है। स्पाइक प्रोटीन से ही कोरोना वायरस मानव शरीर की कोशिका में घुसने के दरवाजे खोलता है। अमेरिका और यूरोप में लगातार बढ़ रहे कोरोना केसेज भी डेल्मिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते खतरे ओर संकेत दे रहे हैं।
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विशेषज्ञों की मानें तो डेल्मिक्रॉन फैलने का खतरा कमजोर इम्यूनिटी वाले, बुर्जुगों और कोमोर्बिडिटी (एक से अधिक बीमारियों से ग्रसित) लोगों में अधिक है। साथ ही ऐसे लोग जिन्हें अब तक कोरोना वैक्सीन नहीं लगी है, उनमें भी डेल्मिक्रॉन संक्रमण फैलने का खतरा है। ऐसे इलाके जहां वैक्सीनेशन कम हुआ, उस इलाके के लोगों पर भी डेल्मिक्रॉन कहर ढा सकता है।
यह बात कई रिपोर्टय में सामने आ चुकी है कि अमेरिका और यूरोप में बढ़ते कोरोना मामलों के लिए डेल्टा+ओमिक्रॉन से बना डेल्मिक्रॉन ही जिम्मेदार है। अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक पिछले महीने तक अमेरिका के कुल कोरोना मामलों में से 99% के लिए डेल्टा वैरिएंट जिम्मेदार था। दिसंबर के तीसरे हफ्ते तक अमेरिका के नए कोरोना केसेज में से 73% से अधिक ओमिक्रॉन के थे, जबकि 26.6% ही डेल्टा के केसेज थे। अमेरिका में 20 दिसंबर को ओमिक्रॉन से पहली मौत हुई है।
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अमेरिका में 1 दिसंबर को 1 एक लाख 39 हजार से अधिक नए कोरोना केस सामने आए थे, जो 23 दिसंबर को बढ़कर 2 लाख 58 हजार से अधिक हो गए। दिसंबर के पूरे महीने में अमेरिका में हर रोज कोरोना मामले तूफानी रफ्तार से बढ़ते गए।
कुछ ऐसा ही हाल ब्रिटेन का भी है, जहां ओमिक्रॉन के फैलते ही कोरोना बम सा फटा और वहां डेली कोरोना केसेज के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं और हर दिन 1 लाख से अधिक कोरोना केसेज सामने आ रहे हैं।
ब्रिटेन में कोरोना की तेज रफ्तार के पीछे भी कहीं न कहीं ओमिक्रॉन+डेल्टा से बने सुपर स्ट्रेन डेल्मिक्रॉन को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। ब्रिटेन में अब तक ओमिक्रॉन से 7 मौतों की पुष्टि हो चुकी है।
कुछ एक्सपर्ट्स डेल्टा और ओमिक्रॉन के मिलने से सुपर स्ट्रेन बनने की बात से सहमत नहीं हैं, लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस सुपर स्ट्रेन की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी मॉडर्ना के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर पॉल बर्टन ने कहा कि ये संभव है कि दोनों वैरिएंट जीन की अदला-बदली करके एक नया खतरनाक वैरिएंट बना चुके हों।
साउथ अफ्रीका से पब्लिश कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में दोनों वैरिएंट होने की आशंका थी। कुछ अन्य रिसर्चर्स ने भी चेतावनी दी है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन का संयोजन होना दुर्लभ है, लेकिन सही परिस्थितियां मिलने पर ऐसा संभव भी है।
भारत में अब तक ओमिक्रॉन के 350 से अधिक मामले सामने आए हैं। वहीं, अभी भी देश के ज्यादातर कोरोना केसेज के लिए डेल्टा वैरिएंट ही जिम्मेदार है। ओमिक्रॉन दुनिया के कई देशों में तेजी से डेल्टा की जगह ले रहा है।
इसे लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर सुपर स्ट्रेन दुनिया के अन्य हिस्सों में असर दिखा रहा है तो ये भारत के लिए भी बड़ा खतरा हो सकता है। हालांकि अभी ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है।
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