काम की बात : सोने से दो घंटे पहले करें भोजन, कंन्जेशन घटेगा और खर्राटे कम होंगे
सोने से दो घंटे पहले खाना खाने की आदत डालें। रात में हल्का खाना खायें। सोने से पहले नाक और गला अच्छी तरह साफ करें जिससे कंजेशन घटे और खर्राटों की आवाज कम हो। स्मोकिंग, शराब और सेडेटिव्स को ना कहैं। इनसे गले के टिश्यू ढीले जाते हैं जो कारण बनते हैं खर्राटों का।
खर्राटे, आदमी खुद चैन से सोता है लेकिन पास वालों का सोना मुश्किल। लोगों के तलाक हो जाते हैं इनकी वजह से। क्यों लेते हैं लोग खर्राटे? क्या ये किसी बीमारी के सिम्पटम हैं या कुछ और। आइये जानें खर्राटों के कारण और छुटकारा पाने के तरीकों को।
अगर आप खर्राटे लेते हैं, तो शर्मिन्दा होने की जरूरत नहीं, ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं। ये कॉमन फिनोमिना है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर के 45 प्रतिशत वयस्क खर्राटे लेते हैं। इनमें 25 प्रतिशत तो रोजाना। जेन्डर के हिसाब से महिलायें कम, पुरूष ज्यादा खर्राटे लेते हैं और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, खर्राटे भी बढ़ जाते हैं।
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कारण क्या खर्राटों का?
खर्राटे यानी सोते समय सांस लेने की आवाज। जो आती है सांस की नली में कंजेशन से। जितना ज्यादा कंजेशन उतनी ज्यादा आवाज। आमतौर पर नाक में कंजेशन, गले में सूजन, डैमेज टिश्यू, गर्दन पर ज्यादा चर्बी या मुंह में स्ट्रक्चरल प्रॉब्लम से सांस खुलकर नहीं आती, जिससे सोते समय तरह-तरह की आवाजें निकलती हैं।
कुछ लोगों को खर्राटे आते हैं स्लीप अपेनिया के कारण। ये जन्मजात बीमारी है। इनके अलावा टॉन्सिल्स में सूजन, तालू में उभार, बड़ी जीभ, गलत पोजीशन में सोना, ज्यादा शराब, स्लीपिंग पिल्स, सेडेटिव्स, मोटापा, एलर्जी और सर्दी से भी लोग खर्राटे लेते हैं।
कैसे छुटकारा मिले खर्राटों से?
खर्राटों से मुक्ति के लिये पहले उपाय के रूप में सोते समय 4 इंच मोटा तकिया रखकर सोने की आदत डालें। हमेशा करवट लेकर सोयें, हो सके तो बांयी। इससे कंन्जेशन घटेगा और खर्राटे कम होंगे।
कुछ लोगों को खर्राटे आते हैं सांस की नली के टिश्यू ढीले होने से। इनकी रिपेयरिंग के लिये प्रतिदिन 7 से 9 घंटे की नींद लें। जैसे-जैसे टिश्यू रिपेयर होंगे, खर्राटे धीरे-धीरे कम हो जायेंगे।
कई बार गले और श्वसन नलिका में सूजन वजह होती है खर्राटों की। इसे दूर करने के लिये रोजाना एक चम्मच शहद खायें। शहद की एंटी-इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज, सूजन घटाकर, खर्राटे घटाने में मदद करती हैं।
सूजन घटाकर, टिश्यू रिपेयर करने में जिंजर-गारलिक भी कारगर है। खर्राटे कम करने के लिये खाने में इनकी मात्रा बढ़ायें। अगर नॉन वेजीटेरियन हैं तो गर्दन की अतिरिक्त चर्बी हटाने के लिये रेड मीट खाना बंद कर मछली खाना शुरू करें। मछली में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड, अतिरिक्त चर्बी हटाने में मदद करता है।
डाइट में दूध, दही, पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट कम करें। इनसे म्यूकस बनता है। नार्मल दूध के बजाय हल्दी वाला दूध पियें। ये सांस की नली की सूजन घटाकर वायु प्रवाह ठीक करने में मदद करता है। गले का कंजेशन घटाने के लिये चाय की जगह मिंट या ग्रीन टी पियें। कंजेशन होता है म्यूकस के कारण। शरीर से म्यूकस निकालने के लिये प्रतिदिन कम से कम तीन लीटर पानी पियें।
खर्राटे कम करने में आजकल नेज़ल स्ट्रिप का इस्तेमाल आम है, इससे सांस की नली में वायु प्रवाह बेहतर होता है। जिससे खर्राटे कम आते हैं।
सोने से दो घंटे पहले खाना खाने की आदत डालें। रात में हल्का खाना खायें। सोने से पहले नाक और गला अच्छी तरह साफ करें जिससे कंजेशन घटे और खर्राटों की आवाज कम हो। स्मोकिंग, शराब और सेडेटिव्स को ना कहैं। इनसे गले के टिश्यू ढीले जाते हैं जो कारण बनते हैं खर्राटों का।
इलाज क्या खर्राटों का?
अगर इन उपायों से खर्राटे कम न हों तो समझिये मामला गम्भीर है। हो सकता है खर्राटों की वजह मुंह का स्ट्रक्चरल डिफेक्ट या स्लीप अपेनिया जैसी बीमारी हो। ऐसे में डॉक्टर से कन्सल्ट करें। आज इनसे निजात दिलाने के लिये पैलेटल इम्प्लांट, सेप्टोप्लास्टी, सोमनोप्लास्टी और यूपी-पीपी जैसे कई तरीके उपलब्ध हैं। आपके लिये कौन सा बेहतर है ये सिर्फ डॉक्टर ही बता सकते हैं।
और अंत में
याद रखें, खर्राटे कोई ऐसी समस्या नहीं जो ठीक न हो। इनसे निजात पाने के लिये बस इनकी वजह पता होनी चाहिये। वैसे तो ये जानलेवा नहीं होते। लेकिन इन्हें हल्के में न लें। समय से इलाज न कराने पर रिश्तों में खटास, ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी, हाई बीपी और स्ट्रोक जैसी समस्यायें हो सकती हैं। अगर खर्राटों के साथ सांस फूलना, रात में बार-बार यूरीनेशन, दिन में ज्यादा नींद, गले में खराश, मुंह सूखना और सुबह सिरदर्द जैसे सिम्पटम फील हों तो बिना देर किये डॉक्टर से कन्सल्ट करें।