बिलासपुर न्यूज: ई वी एम के बारे व्यक्त की जा रही आशंकाओं का निराकरण सुनिश्चित करे चुनाव आयोग : विनोद कुमार

सुमन डोगरा, बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाऐं महासंघ ने भारत के मुख्य निर्वाचन आयोग और हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन विभाग से मांग की है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) प्रणाली को लेकर आए दिन देश के राजनीतिक दलों और कुछ लोगो के द्वारा देश के मीडिया और सोशल मिडिया पर व्यक्त की जा रही आशंकाओं का ठोस और व्यवहारिक निराकरण सुनिश्चित किया जाए ताकि देश की चुनाव प्रणाली और सरकारी मशीनरी पर देश के मतदाताओं का भरोसा कायम रहे।

महासंघ के नेताओ विनोद कुमार, गोविन्द सिंह ब्रागटा, विनोद शर्मा, प्रवीण मेहता, शीला चंदेल ने जारी ब्यान मे कहा है कि भारत लोकतांत्रिक देश है, देश की जनता ही यंहा सरकार चुनती है और इसलिये चुनाव की इस पद्धति पर देश के मतदाताओं के मन मे सन्देश के जो बीच बोए है उस सन्देह को खत्म करने के लिए “ईवीएम” से जुड़ी सहायक प्रणाली “वोटर वेरिफिएवल पेपर आडिट ट्रेल”( वीवीपीएटी) से मतगणना के समय मशीन मे पडे कुल वोटों का शतप्रतिशत प्रति सत्यापन ” क्रास वेरिफिकेशन ” सुनिश्चित किया जाए ताकि देश मे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का समर्थन सरकारी मशीनरी को मिलता रहे,चूंकि इस चुनावी पद्दति के परिणामो पर पैदा हुई अशंकाओ ने केंद्र और राज्यों की सरकार के लाखो अघिकारी और कर्मचारी जो जटिल चुनावी प्रक्रियाओं को ईमानदारी से कुशलतापूर्वक निभाते है, यह उनकी सेवाओं पर भी नकारात्मक संदेह पैदा करती है।

क्रास वेरिफिकेशन कोई जटिल प्रक्रिया नही है क्योंकि मतदान प्रक्रिया के बाद ईवीएम और वीवीपीएटी एक साथ सीलबंद होकर एकसाथ टैग कर इकट्ठे जमा होते है। पूर्व मे चुनावी गड़बड़यों पर नियंत्रण रखने के लिए 1990 के दशक मे यह प्रणाली लाई गई थी इसलिए इसकी स्वतन्त्रता और पारदर्शता बनाए रखने को मतगणना मे ईवीएम और वीवीपीएटी की क्रास वेरिफिकेशन सुनिश्चित करना आवश्यक है।

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महासंघ ने निर्वाचन विभाग से यह भी मांग की है कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात होने वाले स्टाफ के लिए परिवहन सुविधा ,ठहरने ,खाने पीने और कई तरह की मुश्किल हालातो का सामना करना पड़ता है जबकि राजनीतिक दलो के उम्मीदवारों के लिए चुनावी प्रक्रियाओ पर देश का अरबो रूपये खर्च किए जाते है और जबावदेही कोई नही।

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