फ्रूट मार्केट पर भी कोरोना का साया… फल फेंकने को मजबूर किसान: सख्त निगरानी से थम गया इंपोर्ट, कई एशियाई देशों पर टूटी आफत

बीजिंग। चीन अपने यहां कोरोना को रोकने के लिए सख्त ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ पर काम कर रहा है। इसकी वजह से उसे फल बेचने में काफी दिक्कत रही है, जिससे देश का इंपोर्ट बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। उसने फलों और फ्रोजन फूड के हजारों पैकेट को बाहर से आई डाक के साथ कड़ी निगरानी रखा है।

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यह सब तब हो रहा है जब यह साबित हो चुका है कि ऐसे प्रोडक्ट से वायरस नहीं फैलता है। इस वजह से दक्षिण एशियाई देशों के किसानों पर बुरा असर पड़ रहा है। 2020 में दक्षिण पूर्व एशिया से चीन को लगभग 45 हजार करोड़ रुपए के फलों का निर्यात हुआ था।

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चीन की सीमाओं पर वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड और लाओस से आने वाले ट्रकों की लंबी लाइन लगी है। चीन को अधिकतर फल भेजने वाले वियतनाम के ड्रैगन फ्रूट किसान भारी कर्ज से लद चुके हैं। म्यांमार में तरबूज के निर्यातक अपने फल सीमा पर फेंक रहे हैं क्योंकि ट्रक ड्राइवरों को चीन में माल लाने से पहले 15 दिन के क्वारैंटाइन में रहना पड़ता है। वियतनाम के ड्रैगन फ्रूट किसानों को प्रतिबंधों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।

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चीन में नौ शहरों के अधिकारियों ने बताया कि वियतनाम से आए ड्रैगन फ्रूट में कोरोना वायरस पाया गया है। इसके बाद अधिकारियों ने फल बेचने वाले सुपरमार्केट्स बंद कर दिए। फलों के संपर्क में आए एक हजार से अधिक लोगों को क्वारंटीन में रख दिया। म्यांमार के तरबूज किसान आए म्यो की ने बताया उसे अपने फलों की पैदावार फेंकनी पड़ी है। थाईलैंड की फल निर्यातक वोराकान्या के अनुसार, उसका माल चीन की सीमा पर 60 दिन तक अटका रहा और सड़ गया।

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वियतनाम फल-सब्जी एसोसिएशन के महासचिव डांग फुक नुग्येन के अनुसार बंदिशों से वियतनाम के ड्रैगन फ्रूट, आम और अनानास के दस लाख से ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं। पिछले दस साल से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के किसानों को चीन में उभरते मध्यम वर्ग के कारण फायदा हुआ है।
चीन ने जनवरी में वियतनाम की सीमा खोल दी है, लेकिन फलों की जांच-पड़ताल जारी है। वियतनामी अधिकारियों ने व्यवसायियों से कहा है कि वे फिलहाल अपना माल चीन ना भेजें। सरकार वैकल्पिक बाजारों की तलाश के लिए किसानों की मदद करेगी।

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