हल्द्वानी… #त्योहार : छठ महापर्व के तहत आज खरना
हल्द्वानी। उत्तराखंड में बिहार के प्रवासी लोगों की छठ पूजा जोरों पर चल रही है। छठ के तहत आज करना होगा। खरना का मतलब है शुद्धिकरण। छठ के व्रत में सफाई और स्वच्छता का बहुत महत्व है। पहले दिन नहाय-खाय जहां तन की स्वच्छता करता है।
दूसरे दिन खरना में मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है। इसके बाद छठ के मूल पर्व षष्ठी का पूजन होता है और भगवान सूर्य को अर्घ्य दे कर उनका आवहन किया जाता है। एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव सूर्य मंदिर में छठी मैया की आराधना की थी।
तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। कहा जाता हैं कि उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया।
छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे हैं। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार की संस्कृति बन चुका हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद में सूर्य पूजन, ऊषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार मनाया जाता हैं।
त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं जो चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है।
भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ सोमवार से शुरू हो गया। व्रत रखने वाले लोगों ने स्नान के बाद चावल, कद्दू, लौकी की सब्जी ग्रहण की। इस मौके पर घाटों की साफ-सफाई की गई। मंगलवार को खरना होगा। इस दिन से व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगे और शाम को पूजा के बाद खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे।
छठ पूजा के लिए लोगों ने बाजार में नारियल, सूप सहित अन्य सामग्री की खूब खरीददारी की।नहाय खाय के साथ छठ पूजा का सोमवार से औपचारिक शुरुआत हो गई। संतान की सुख समृद्धि, मंगलकामना के लिए मनाए जाने वाले पर्व को लेकर लोगों में उत्साह है।
पर्व को लेकर टपकेश्वर, पथरीबाग, मालदेवता, चंद्रबनी, प्रेमनगर, पंडितवाडी, दीपनगर सहित विभिन्न घाट पर सफाई की गई। व्रतियों के घरों में चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई गई। परिवार के सभी सदस्यों ने प्रसाद के तौर पर इसे ग्रहण किया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होने वाले छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में पहले दिन नहाय-खाए, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। नदी किनारे व छठ घाटों पर छठ पूजा की तैयारी की गई। महिलाओं ने शाम के समय खीर का प्रसाद चढ़ाया और छठ के गीतों को गाया। छठ की तैयारी में हर कोई जुट गया है।
घर-घर छठ के सुगवा के मारबो धनुष से…, कोपी कोपी बोलेली छठी मइया…, कांचे ही बांस के बहंगिया… के गीत बज रहे हैं। जिनके घरों में छठ हो रहा है, वहां परिवार के सभी लोग व्यस्त तो हैं ही, जिनके घर में नहीं हो रहा है वह भी अपना सहयोग कर रहे हैं। कोई सफाई काम में साथ दे रहा है, तो कोई खरीदारी में।
इसके बाद घर के सदस्य और आम लोग भी इसे ग्रहण किया। इसे छठ का पहला महाप्रसाद भी माना जाता है। लोग घर- घर जाकर प्रसाद भी ग्रहण करेंगे। महिलाएं छठ पूजन सामग्री खरीदती नजर आई। नगर के पलटन बाजार, डिस्पेंसरी रोड, झंडा बाजार में खरीदारी को काफी भीड़ रही। सभी घाट पर छठ पर्व की रौनक साफ दिखाई दे रही है।
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