अल्मोड़ा—-रैंगल गांव में पिंजरे में कैद हुआ आतंक का पर्याय बना गुलदार
अल्मोड़ा। हवालबाग विकासखंड के रैंगल गांव में लंबे समय से आतंक का पर्याय बने बना गुलदार पिंजरे में कैद हो गया। खबर मिलते ही गुलदार को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई सूचना पर मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम गुलदार को अपने साथ ले गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आज बुधवार दोपहर को प्राथमिक पाठशाला जंगल में छुट्टी के बाद वापस अल्मोड़ा लौट रही शिक्षिका को गुलदार की आवाज सुनाई दी आवाज सुनकर शिक्षिका घबरा गई और आसपास देखने लगी तो सड़क से कुछ दूर गधेरे में लगें पिंजरे में गुलदार फसा हुआ दिखाई दिया।
शिक्षिका ने इसकी जानकारी ग्रामीणों को दी जिसके बाद कोट के गधेरे के पास पिंजरे में फंसे गुलदार को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गयी। इस दौरान ग्रामीणों ने गुलदार के पिंजरे को कपड़े से ढक कर वन विभाग को मामले की सूचना दी। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और गुलदार को ले गई। जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। लोगों का मानना है कि क्षेत्र में और भी गुलदार हो सकते है।
मौके पर पहुंचे रैंजर मोहन राम आर्या ने बताया कि रैंगल गांव में लगाये पिंजरे में गुलदार कैद हुआ है। पिंजरे में कैद गुलदार 7 से 8 साल का है। गुलदार काफी उत्तेजित दिखाई दे रहा है। बीते दिनों यहां पर दो बाइक सवारों पर गुलदार ने हमला किया था। यहां पर बच्चों, महिलाओं और ग्रामीणों को खतरा देखते हुए पिंजरा लगाने की परमिशन ली गई थी। फिलहाल गुलदार को रैस्क्यू सैंटर भेजा जायेगा।
ग्रामीणों ने बताया कि रैंगल के साथ डोबा, सरना, बलम, सैंज, सिद्धपुर, कुमान, जूड़ कफून थाट सहित आसपास के गांवों में गुलदार का आतंक छाया है। जो कि अभी तक 4 से 5 मवेशियों को गुलदार अपना निवाला बना चुका है। ऐसे में गुलदार के पिंजरे में फंसने से ग्रामीणों ने कुछ राहत की सांस ली है। बता दें कि ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग ने 21 अप्रैल को कोट के गधेरे के पास पिंजरा लगाया गया। यहां बीते रोज 25 अप्रैल को पिंजरे में शिकार डाला गया। जिसे खाने के प्रयास में गुलदार पिंजरे में कैद हुआ है।