सितारगंज…वाह : रामलीला में सांप्रदायिक सौहार्द का रंग भर रहे हैं गुरुशान व समसुल

सितारगंज। सितारगंज उत्तरांचल सांस्कृतिक विकास समिति के तत्वाधान में आयोजित रामलीला में सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गुरुशान सिंह लाली पहली बार सीता के रोल में हैं तो समसुल रावण दरबार में अपनी जबरदस्त हाजिरी से दर्शकों का मन मोह ले रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले यह दोनों पात्र ही शानदार अभिनय कर छाप छोड़ते हुए सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते आ रहे हैं।

इनका कहना है कि श्रीरामलीला के मंच पर अभिनय कर उन्हें बेहद खुशी मिलती है। उनके अभिनय करने से उनका परिवार प्रसन्न है। गुरुशान सिंह लाली कहते हैं कि मेरी 75 वर्षीय दादी व मेरा समूचा परिवार बेहद खुश है मेरी दादी सहित मेरा समूचा परिवार प्रत्येक दिन रामलीला आते हैं और मुझे प्रोत्साहित करते हैं वह इसी तरह आगे भी रामलीला में अभिनय करते रहेंगे।

वही समसुल प्रत्येक दिन रावण राम दरबार में विभिन्न पात्रों का अभिनय शानदार तरीके से कर रहे हैं उत्तरांचल सांस्कृतिक विकास समिति के अध्यक्ष गोपाल सिंह बिष्ट कहते हैं कि गुलशान सिंह लाली पहली बार सीता के रोल में हैं। पिछले वर्ष उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम दरबार में अन्य पात्रों का शानदार अभिनय कर दर्शकों को अपनी प्रतिभा का परिचय दिया था। वही दर्शक कहते हैं कि सीता का किरदार निभा रहे रहे गुरुशान ने इस वर्ष की रामलीला में चार चांद लगा दिए हैं उन की मधुर आवाज व शानदार अभिनय की लोग काफी सराहना कर रहे हैं।

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गोपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि गुलशान एक बेहतरीन कलाकार हैं। उन्हें जिस भी रोल की जिम्मेदारी दी जाती है, उसमें वह दर्शकों के बीच अमिट छाप छोड़ते हैं। पिछले वर्ष राम और रावण की सेना में महत्वपूर्ण किरदार किए थे। वहीं गुरुशान सिंह लाली के पिता रोशन सिंह लाली कहते हैं कि रामलीला मंच पर अभिनय कर रहे हैं। उनके सामने कोइ सामाजिक चुनौतियां नहीं हैं।

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उन्हें अभिनय करने से किसी ने नहीं रोका आगे भी अपना रोल निभाते रहेंगे हमारा परिवार पूर्ण रूप से बेटे गुरुशान सिंह लैली के साथ है गुरुशान सिंह लैली के पिता रोशन सिंह लैली का मानना है कि सबका मालिक एक है मानव की कोइ जाति नहीं होती। अभिनय को धर्म से जोड़कर न देखा जाए। वह जीवन भर इसी तरह रामलीला में अभिनय करते रहेंगे। उत्तरांचल सांस्कृतिक विकास समिति के तत्वाधान में आयोजित श्रीरामलीला मंचन में विभिन्न किरदारों का अभियन कर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं।

इस वर्ष पर्वतीय रामलीला धूमधाम से मनाई जा रही है धनुष यज्ञ के दिन राम विवाह के समय जब सीता अपने पिता जनक से विदा ले रही थी उस वक्त सीता का किरदार निभा रहे गुरुशान सिंह लैली की 75 वर्षीय दादी मंच के ठीक सामने बैठी हुई थी सीता की विदाई के वक्त अपने लाडले पोते का अभिनय देख अपने आंसू नहीं रोक सकी वही पिता रोशन सिंह भी भावुक नजर आए इन दोनों पात्रों की काफी सराहना हो रही है।

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उत्तरांचल सांस्कृतिक विकास समिति के अध्यक्ष गोपाल सिंह बिष्ट कहते हैं कि अपनी संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए युवाओं ने आगे आना चाहिए किस राष्ट्र की संस्कृति जीवित रहती है वह राष्ट्र उन्नति करता है।

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