नाराजगी…#हल्द्वानी : उत्तराखंड सर्वोदय मंडल ने किया साबरमती आश्रम का विरोध, देशभर के गांधी अनुयायियों की साबरमती में सभा आज
हल्द्वानी। उत्तराखंड सर्वोदय मंडल ने विश्व धरोहर महात्मा गांधी की प्रारंभिक कर्मस्थली रहे साबरमती आश्रम से छेड़छाड़ का विरोध किया है।
उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष,
इस्लाम हुसैन ने कहा कि पर्यटन स्थल विकसित करने के नाम पर उस पर सरकारी कब्जे का उत्तराखंड के गांधी विचार से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता विरोध करते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से साबरमती आश्रम के स्वरूप में किसी तरह का बदलाव न करने की मांग की है।
पूरे देश में विरोधस्वरूप धरना, प्रदर्शन और पदयात्राओं का आयोजन हो रहा है। इसी सप्ताह गांधी जी के वर्धा स्थित सेवाग्राम में एक सभा के बाद गांधीजन सेवाग्राम से साबरमती आश्रम तक साबरमती आश्रम बचाओ अभियान के अन्तर्गत एक यात्रा निकाल रहे हैं।
इस यात्रा में गांधी स्मारक निधि, गांधी शांति प्रतिष्ठान, सर्व सेवा संघ, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान, सर्वोदय समाज, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, नई तालिम समिति, राष्ट्रीय युवा संगठन, महाराष्ट्र सर्वोदय मंडल, से जुड़े गांधीजनों के अलावा गुजरात के गांधीजन भी सम्मिलित हैं। इस यात्रा के अंत में आज रविवार को साबरमती आश्रम में गांधी के अनुयायियों की सभा है।
केन्द्र सरकार ने 55 एकड़ के साबरमती आश्रम परिसर को ‘विश्वस्तरीय पर्यटक आकर्षण’ केंद्र बनाने के लिए 1,246 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। गांधीजनों को यह आशंका है कि सरकार की इस योजना के लागू होने से स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य केंद्रों में से एक रहा है यह आश्रम और उसके आस पास का इलाका हमेशा के लिए बदल जाएगा।
गांधी आश्रम जो को मूलरूप से सत्याग्रह आश्रम कहा जाता था। महात्मा गांधी ने अपने जीवन के 15 वर्ष, 1917 और 1930 के बीच यहां बिताए और फिर यहीं से मार्च 1930 में दांडी यात्रा का ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह आरम्भ हुआ।
इस आश्रम में हृदय कुंज के अलावा, पांच एकड़ के मुख्य आश्रम क्षेत्र में एक प्रार्थना क्षेत्र शामिल है, एक कुटी विनोबा भावे और गांधी जी की शिष्य मीराबेन के निवास के रूप में जानी जाती है। इसके अलावा मगन निवास जो गांधी के भतीजे और शिष्य मगनलाल गांधी का निवास स्थान है।
हृदय कुंज के आसपास ऐतिहासिक महत्व की अन्य इमारतें, नंदिनी (आश्रम गेस्ट हाउस ) उद्योग मंदिर, सोमनाथ छात्रालय, वास्तुकार चार्ल्स कोरिया द्वारा बाद में जोड़ा गया संग्रहालय, पुस्तकालय और प्रदर्शनी क्षेत्र है।
सरकार इस परिसर के कुछ क्षेत्र के भवनों को तोड़कर और हटाकर में शापिंग माल और पर्यटन गतिविधियों के लिए संरचनाएं बनाना चाहती है, जो गांधी विचार दर्शन व इस विश्व धरोहर की मूल भावना के विरुद्ध है।
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