हल्द्वानी… #कांग्रेस : अपना फैलाया रायता समेटना भारी पड़ रहा हरदा को, अब हल्द्वानी सीट को लेकर बयान देकर घना कर दिया कुहासा

तेजपाल नेगी

हल्द्वानी। अपने हरदा भी अपने बयानों से जहां-तहां रायता फैलाते रहते हैं। यह उनकी पार्टी में अपने विरोधियों को व्यस्त रखने की तकनीक भी हो सकती है लेकिन कई बार वे अपने टैक्निकल जाल में स्वयं ही फंस जाते हैं।

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गत चुनावों में निवर्तमान सीएम होने के नाते दो-दो जगहों से चुनावी यज्ञ के यजमान बन बैठे हरदा ने अपने दोनों ही हाथ बुरी तरह से जला लिए थे। संभवत: उस दर्द से अब वे उबर चुके हैं और पार्टी में ही अपने विरोधियों को एक-एक कर सबक सिखाने में लगे हैं। हालात यह है कि विरोधी भी चुनावी बेला में ‘हरदा शरण गच्छामि’ के करूण क्रदंन के साथ आत्मसमर्पण कर जाते हैं। लेकिन यहां हम चर्चा कर रहे हैं, हरदा द्वारा हाल ही में अपने बयानों से पैदा किए गए भ्रम के हालातों की, तो शुरू करते हैं चुनाव की तैयारियों के शुरूआती दिनों से।

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यह बात उन दिनों की है जब चुनावी मैदान में उतरने से पहले सभी पार्टियां व दावेदार वार्मअप हो रहे थे। आम आदमी पार्टी ने भी उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के समानांतर कदमताल शुरू कर दी थी। आप की कार्य संस्कृति को ताड़ते हुए अपने हरदा तुरंत एक्शन में आए और उन्होंने अपनी कांग्रेस पार्टी पर दवाब बनाते हुए नई मांग उठा दी कि पार्टी को चुनावी मैदान में उतरने से पहले मुख्यमंत्री पद के दावेदार का ऐलान कर देना चाहिए था। उस वक्त सदन में नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश जीवित थीं, और उनके कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से अच्छी बन रही थी।

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हरदा ने स्वयं को अकेला पाते हुए कांग्रेस आलाकमान के सामने अपनी अहमियत बताते हुए यह मांग उठाई थी। काफी ना नुकुर और लानत मलानत के बाद आखिर हाईकमान ने साफ किया कि इस बार भी कांग्रेस उत्तराखंड में कांग्रेस हरदा के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। साफ है कि कांग्रेस की ओर से सभावित मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं किया गया। अब इस घटना को तकरीबन सवा वर्ष होने जा रहा है हरदा बिना मुख्यमंत्री पद के दावेदार घोषित हुए ही दौड़-दौड़ कर पार्टी को ‘मजबूत’ कर रहे हैं। परिस्थितियों में अंतर सिर्फ यह हुआ है कि हरदा का पार्टी में प्रबल प्रतिद्वंद्वी डा. इंदिरा हृदयेश अब नहीं हैं।

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आपको याद होगा कि हरदा ने पंजाब में चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तराखंड में अनुसूचित जाति के नेता को मुख्यमंत्री के पद पर बैठे देखने की लालसा जताई थी। उस वक्त कांग्रेस में अनुसूचित जाति संबंधित कोई ऐसा नाम नहीं दिख रहा था जिसे मुख्यमंत्री पद पर बिठाए जाने के संकेत हरदा की ओर से दिए जा रहे हों। लेकिन इसके तुरंत बाद अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद भाजपा में गए कैबिनेट मिनिस्टर यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य की कांग्रेस में घर वापसी हो गई। इसके बाद तो लोग कहने लगे हरदा शायद यशपाल आर्य की ओर ही इशारा कर रहे थे। हरदा के कानों में यह चर्चा पहुंची तो वे मचलने लगे सफाई देने को, लेकिन किससे कहें और कैसे कहें। रायता तो फैल चुका था।

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ऐसे में हरदा भगवान केदारनाथ की शरण में जा पहुंचे, जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आपने बाबा केदार से क्या मांगा तो हरदा को अपनी बात कहने का मौका मिल गया। उन्होंने कह दिया कि केदार बाबा से उन्होंने पिछली बार की तरह इस बार भी सेवा का अवसर देने का आशीर्वाद मांगा है। तब कहीं जाकर साफ हो सका कि हरदा स्वयं मुख्यमंत्री पद बैठने काी इच्छा मन में छिपाए बैठे हैं। अनुसूचित जाति के सीएम वाला बयान तो उन्होंने उस वक्त हालात को देखते हुए दे दिया था, उन्हें क्या पता था उनके बयान देते ही उम्मीदवार मैदान में आ खड़ा होगा। खैर अब यशपाल उन्हें सीएम का दावेदार बताते रहते हैं इसलिए मामला शांत समझिए।

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जैसे जैसे चुनाव की ​घड़ियां नजदीक आती जा रही हैं सवाल बड़ा होता जा रहा है कि हरदा स्वयं कहां से चुनाव मैदान में उतरेंगे। वे इस मामले में चुप ही रहते हैं। अपनी बात तो छोड़िए अभी तक हरदा ऐसा कोई इशारा भी नहीं करते देखें जा सके हैं कि फलां सीट पर पार्टी का उम्मीदवार कौन हो सकता है। वे उममीदवारी के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं अपनी भी और दूसरों की भी। लेकिन पिछले दिनों हल्द्वानी सीट का नाम आते ही हरदा अचानक उछल कर बोल पड़े… उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा कि सुमित हृदयेश को हल्द्वानी से टिकट मिलेगा, वे सफाई भी दे गए कि उन्होंने तो पत्रकारों के सवालों के जवाब में सिर्फ यह कहा था कि अपनी मां के काम सुमित संभालेंगे।

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अब मां के अधूरे और पूरे कामों में हल्द्वानी से टिकट को छोड़कर सबकुछ हो सकता है। यानि हरदा ने हल्द्वानी सीट के टिकट पर फैले असमंजस की धुंध को और गहरा कर दिया। उनके साथ दिक्कत यही है कि वे अंतिम समय तक चीजों को लंबा खींचने में यकीन करते हैं। इससे कार्यकर्ता और जनता भ्रम में रहे तो रहे। अच्छा हो कि हल्द्वानी जैसी सीट पर कम से कम हरदा का आशीर्वाद किसी एक उम्मीदवार को मिले ताकि वह जनता के बीच दम के साथ जा सके। उनके इस ताजा बयान के बाद लोग तो यही चर्चा कर रहे हैं कि हरदा की नजर हल्द्वानी सीट पर भी है। इसीलिए वे यहां किसी नाम को स्पष्ट नहीं कर रहे। अलबता उनका यह वीडियो क्लिप विपक्षी खेमे में खूब वायरल हो रहा है।

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