नमस्कार, जानिए आज का इतिहास, किसकी है जयंती और किसकी है पुण्यतिथी, युवाओं के लिए खास हैं यह जानकारियां

अंग्रेजी के ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार आज साल का 304वाँ दिन है। साल के अभी 62 दिन शेष है। आज सरदार पटेल की जयंती के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बलिदान दिवस, आज का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आज का इतिहास
मार्टीन लूथर ने 1517 में विटेनवर्ग चर्च के द्वार पर अपनी 95 आपत्तियाँ चिपकाई।
फिलीस्तीन के साफेद में 1759 को भूकंप से 100 लोग मारे गये।
नेवादा 1864 को अमेरिका का 36वां प्रांत बना।
अमेरिका के सेंट पीटर्सबर्ग में क्रांतिकारी प्रदर्शन 1905 में हुआ।
चौथे ओलंपिक खेलों का लंदन में 1908 को समापन।
ब्रिटेन तथा फ्रांस ने 1914 में तुर्की के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
मध्य यूरोपीय देश रोमानिया ने 1920 में पूर्वी यूरोप के बेसाराबिया पर कब्जा किया।
बेल्जियम में टेलीविजन का प्रसारण 1953 में शुरू हुआ।
स्वेज नहर को फिर से खोलने के लिए ब्रिटेन तथा फ्रांस ने 1956 को मिस्र पर बमबारी शुरू की।
सोवियत संघ तथा मिस्र ने नील नदी पर अस्वान बांध बनाने के लिए समझौते पर 1959 में हस्ताक्षर किये।
बंगाल की खाड़ी में 1960 को आए चक्रवाती तूफान से करीब दस हजार लोगों की मौत।
भारत के मशहूर तैराक मिहिर सेन ने 1966 में पनामा नहर को तैरकर पार किया।
ईरान में 1978 को तेल कर्मचारियों की हड़ताल शुरू।
यमन ने 1978 में अपना संविधान अंगीकार किया।
पोप जाॅन पॉल 1982 में द्वितीय स्पेन जाने वाले पहले बिशप बने।
तुर्गत ओजल 1989 में तुर्की के राष्ट्रपति चुने गये।
रासायनिक अस्त्र प्रतिबंध संधि को लागू करने के लिए आवश्यक 65 देशों की 1996 में मंजूरी मिली।
हैदराबाद में आयोजित अफ़्रोएशियन हॉकी चैम्पियनशिप में भारत ने 2003 में पाकिस्तान को 3-1 से हराकर स्वर्ण प्राप्त किया।
मलेशियाई प्रधानमंत्री महाथिर मुहम्मद के 22 वर्ष लंबे शासन का अंत 2003 में हुआ।
फालुजा में अमेरिका ने 2004 को हवाई हमला किया।
फ़िलिस्तीन-इस्रायल हिंसा न करने पर 2005 में सहमत।
रूस को 2005 में वोल्कर रिपोर्ट के पीछे जोड़-तोड़ का सन्देह।
चीन और नेपाल सीमा के संयुक्त निरीक्षण पर 2005 में सहमत।
श्रीलंका सरकार ने 2006 में तमिल विद्रोहियों पर जाफना प्राय:द्वीप में जवानों पर गोलीबारी करने का आरोप लगाया।
देश में 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे को गुप्त और अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराने सम्बन्धी विधेयक को केन्दीय मंत्रीमण्डल ने 2008 में मंज़ूरी दी।
रूसी एयरलाइन कोगलीमाविया का विमान 9268 उत्तरी सिनाई में 2015 को दुर्घटनाग्रस्त होने से विमान में सवार सभी 224 लोगों की मौत।
31 अक्टूबर को जन्मे व्यक्ति
भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतन्त्र भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ पटेल का जन्म 1875 में हुआ.
भारत के प्रसिद्ध विद्वान, समाजवादी, विचारक, शिक्षाशास्त्री और देशभक्त नरेन्द्र देव का जन्म 1889 में हुआ।
भारत के प्रथम क्रिकेट कप्तान सी. एन. नायडू का जन्म 1895 में हुआ।
कंबोडिया के राजा नोरोदम शिनौक का जन्म 1922 में हुआ।
अमेरिकी अभिनेत्री बारबरा बेल जेड्स का जन्म 1922 में हुआ।
कोतय्य प्रत्यगात्मा का जन्म 1925 में हुआ।
भारतीय वैज्ञानिक और ‘इसरो’ के भूतपूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर का जन्म 1943 में हुआ।
असम के 14वें मुख्यमंत्री और भारत की सोलहवीं लोकसभा के सांसद सर्बानन्द सोनोवाल का जन्म 1962 में हुआ।
31 अक्टूबर को हुए निधन
बंगला और हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकार तथा गायक सचिन देव बर्मन का निधन 1975 में हुआ।
भारत की चौथी प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी का निधन 1984 में हुआ।
भारत की प्रसिद्ध पंजाबी एवं हिन्दी लेखिका अमृता प्रीतम का निधन 2005 में हुआ।

राष्ट्रीय एकता दिवस
31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जाती है। भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को चिह्नित करने के लिए 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को नेशनल यूनिटी दिवस या राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

इस वर्ष स्वतंत्रता सेनानी वल्लभभाई पटेल की 144 वीं जयंती है। सरदार वल्लभ भाई ने 565 रियासतों का विलय कर भारत को एक राष्ट्र बनाया था। यही कारण है कि वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

भारत की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि

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भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक अजीम शख्यियत थीं। उनके भीतर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी। इंदिरा का जन्म 19 नवंबर, 1917 को हुआ।

पिता जवाहर लाल नेहरू आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों में शामिल थे। वही दौर रहा, जब 1919 में उनका परिवार बापू के सानिध्य में आया और इंदिरा ने पिता नेहरू से राजनीति का ककहरा सीखा। मात्र 11 साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए बच्चों की वानर सेना बनाई। 1938 में वह औपचारिक तौर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुईं और 1947 से 1964 तक अपने प्रधानमंत्री पिता नेहरू के साथ उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। ऐसा भी कहा जाता था कि वह उस वक्त प्रधानमंत्री नेहरू की निजी सचिव की तरह काम करती थीं, हालांकि इसका कोई आधिकारिक ब्यौरा नहीं मिलता।
पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी का ग्राफ अचानक काफी ऊपर पहुंचा और लोग उनमें पार्टी एवं देश का नेता देखने लगे। वह सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं। शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में वह देश के सबसे शक्तिशाली पद ‘प्रधानमंत्री’ पर आसीन हुईं।
एक समय ‘गूंगी गुडिया’ कही जाने वाली इंदिरा गांधी तत्कालीन राजघरानों के प्रिवी पर्स समाप्त कराने को लेकर उठे तमाम विवाद के बावजूद तत्संबंधी प्रस्ताव को पारित कराने में सफलता हासिल करने, बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने जैसा साहसिक फैसला लेने और पृथक बांग्लादेश के गठन और उसके साथ मैत्री और सहयोग संधि करने में सफल होने के बाद बहुत तेजी से भारतीय राजनीति के आकाश पर छा गईं ।
वर्ष 1975 में आपातकाल लागू करने का फैसला करने से पहले भारतीय राजनीति एक ध्रुवीय सी हो गई थी जिसमें चारों तरफ इंदिरा ही इंदिरा नजर आती थीं। इंदिरा की ऐतिहासिक कामयाबियों के चलते उस समय देश में ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा’ का नारा जोर-शोर से गूंजने लगा।
इंदिरा उस वक्त राजनीति एक ध्रुवीय हो गई थी। उनकी शख्सियत इतनी बड़ी हो गई थी कि उनके सामने कोई दूसरा नजर नहीं आता था। अपने व्यक्तित्व को व्यापक बनाने के लिए उन्होंने खुद भी प्रयास किया। इंदिरा के बारे में सबसे सकारात्मक बात यह है कि वह राजनीति की नब्ज को समझती थीं और अपने साथियों से उनका बेहतरीन तालमेल था।
गरीबी मुक्त भारत इंदिरा का एक सपना था। आज भी वह सपना साकार नहीं हो पाया है। सभी लोगों को भारत से गरीबी को मिटाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, ताकि उनके सपने को हकीकत में तब्दील किया जा सके।
अपनी उन भेंट-मुलाकातों के मध्य आमतौर पर इंदिरा के हाथों में ऊन के गोले और सलाइयां रहती थीं। अपने स्वजनों के लिए स्वेटर आदि बुनना उन दिनों उनकी हॉबी बन गई थी।
एक बजे के लगभग भोजन करने के बाद वे घंटेभर विश्राम करती थीं। विश्राम के बाद अक्सर वे पाकिस्तान के मशहूर गायक मेहंदी हसन की गजलों के टेप सुनती थीं। रात में बिस्तर पर जाने के पहले उन्हें आध्यात्मिक साहित्य का पठन-पाठन अच्छा लगता था। इस साहित्य में मा आनंदमयी के अतिरिक्त स्वामी रामतीर्थ और ओशो की पुस्तकें प्रमुख थीं। ओशो के कई टेप भी उन्होंने मंगवा रखे थे, जिनका वे नियमित रूप से श्रवण करती थीं।
श्रीमद् भगवत गीता में भी इस दरम्यान उनकी पर्याप्त रुचि हो गई थी। समय-समय पर वे उसका भी पारायण करती थीं। उन्हीं दिनों कुछ समय के लिए वे हरिद्वार भी आई थीं, जहां स्वामी अखंडानंद के भगवत पाठ का उन्होंने श्रवण किया था। ऋषिकेश के निकट मुनि-की-रेती पर अवस्थित स्वर्गत स्वामी शिवानंद के आश्रम में भी उन्होंने कुछ घंटे व्यतीत किए थे।
इंदिरा की राजनीतिक छवि को आपातकाल की वजह से गहरा धक्का लगा। इसी का नतीजा रहा कि 1977 में देश की जनता ने उन्हें नकार दिया, हालांकि कुछ वर्षों बाद ही फिर से सत्ता में उनकी वापसी हुई। उनके लिए 1980 का दशक खालिस्तानी आतंकवाद के रूप में बड़ी चुनौती लेकर आया।
‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को लेकर उन्हें कई तरह की राजनीतिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। राजनीति की नब्ज को समझने वाली इंदिरा मौत की आहट को तनिक भी भांप नहीं सकीं और 31 अक्टूबर, 1984 को उनकी सुरक्षा में तैनात दो सुरक्षाकर्मियों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उन्हें गोली मार दी। दिल्ली के एम्स ले जाते समय उनका निधन हो गया।

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